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११. उस भूत को निकालने में कष्ट तो होगा ही। शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक सभी स्तरों पर कष्ट होगा । परन्तु उन कष्टों का औषध मानकर सहना होगा । काँटे को काँटे से निकालने और विष को विष से उतारने जैसे प्रयोग हमें करने ही होंगे ।
 
११. उस भूत को निकालने में कष्ट तो होगा ही। शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक सभी स्तरों पर कष्ट होगा । परन्तु उन कष्टों का औषध मानकर सहना होगा । काँटे को काँटे से निकालने और विष को विष से उतारने जैसे प्रयोग हमें करने ही होंगे ।
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१२. 'तिरस्कार, उपेक्षा, उपहास, वक़ बोली आदि किसी को नीचा दिखाने के लिये प्रयुक्त होनेवाले मनोवैज्ञानिक शाख्र हैं । गालीप्रदान इसी हेतु से किया जाता है। अंग्रेजी भाषा, अंग्रेजी पद्धति, अंग्रेजी शिष्टाचार के प्रति इस प्रकार से नीचा दिखाने का प्रचलन बढाना चाहिये ।
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१२. 'तिरस्कार, उपेक्षा, उपहास, वक़ बोली आदि किसी को नीचा दिखाने के लिये प्रयुक्त होनेवाले मनोवैज्ञानिक शास्त्र हैं । गालीप्रदान इसी हेतु से किया जाता है। अंग्रेजी भाषा, अंग्रेजी पद्धति, अंग्रेजी शिष्टाचार के प्रति इस प्रकार से नीचा दिखाने का प्रचलन बढाना चाहिये ।
    
१३. तुम अंग्रेजी बोलते हो ? छीः, तुम्हारे मुँह से दुर्गन्ध आ रही है, तुम्हारा मुँह अपवित्र बन गया है। जाओ, धोकर आओ फिर हमसे बात करो । दुर्गन्ध मत फैलाओ । और याद रखो, हम से बात करनी है, हमारी मित्रता करनी है, हमारे गट में शामिल होना है तो अंग्रेजी को घर रखकर आओ । और हाँ, जब तक तुम्हारे घर में अंग्रेजी है, हम ऐसे अपवित्र स्थान में पैर भी नहीं रख सकते ।
 
१३. तुम अंग्रेजी बोलते हो ? छीः, तुम्हारे मुँह से दुर्गन्ध आ रही है, तुम्हारा मुँह अपवित्र बन गया है। जाओ, धोकर आओ फिर हमसे बात करो । दुर्गन्ध मत फैलाओ । और याद रखो, हम से बात करनी है, हमारी मित्रता करनी है, हमारे गट में शामिल होना है तो अंग्रेजी को घर रखकर आओ । और हाँ, जब तक तुम्हारे घर में अंग्रेजी है, हम ऐसे अपवित्र स्थान में पैर भी नहीं रख सकते ।

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