− | १. नखभेद, २. व्यवाई, ३. पादशूल, ४. पाद भ्रंश, ५. पाद सुप्तता, ६. पाद खुड्डता, ७. गुल्मग्रह, ८. पिण्डिकोद्वेष्टन, ९. गृध्रसी, १०. जानुभेद, ११. जानुविश्लेष. १२. उरुस्तम्भ, १३. उरुसाद, १४. पाङ्गुल्य, १५. गुदभ्रंश, १६. गुदार्ति, १७. वृषणोत्क्षेप, १८. शेफस्तम्भ, १९. वक्षणान, २०. श्रोणिमेद, २१. विड्भेद, २२. उदावर्त, २३. खञ्जता, २४. कुब्जता, २५. वामनत्व, २६. तृक्ग्रह, २७ पुष्टग्रह, २८. पार्श्वावमर्द, २९. उदरावेष्ट, ३०. हृन्मोह, ३१. हृदद्रव, ३२. वक्षोघर्ष, ३३. वक्षोपरोध, ३४. वक्षस्तोद, ३५. वाडूशोष, ३६. ग्रवास्तम्भ, ३७. मन्यास्तम्भ, ३८. कण्ठोध्वंस, ३९ हनुभेद, ४०. ओष्ठभेद, ४१. अक्षिभेद, ४२. दन्तभेद, ४३. दन्तशैथिल्य, ४४. मूकत्व, ४५. वाक्संग, ४६. काषायस्यता, ४७. मुख शोष, ४८ अरसज्ञता, ४९. घ्राणनाश, ५०. कर्णमूल, ५१. ५२ उच्चैश्रुति, ५३. बहरापन, ५४. वर्त्मस्तम्भ, ५५. वर्त्मसंकोच, ५६. तिमिर, ५७. नेत्रशूल, ५८. अक्षिब्युदास, ५९. ब्रूव्युदास, ६०. शंखभेद, ६१ ललाटभेद, ६२. शिरःशूल, ६३. केशभूमिस्फुटन, ६४. आदिंत, ६५. एकाङ्गरोग, ६६. सर्वाङ्गरोग, ६७. आक्षेपक, ६८. दण्डक, ६९. तम, ७०. भ्रम, ७१. वैपयु, ७२. जम्भाई, ७३. हिचकी, ७४. विषाद, ७५. अतिप्रलाप, ७६. रुक्षता, ७७. परुषता, ७८. श्यावशरीर, ७९. लाल शरीर, ८०. अस्वप्न अनवस्थित । ये मुख्यतः वात जन्य व्याधियाँ हैं । शनि, राहु, तथा केतु ग्रह की दुर्बलता, अनिष्ट अरिष्ट सूचक होने पर उक्त व्याधियों का होना सुनिश्चित है । | + | {{columns-list|colwidth=10em|style=width: 800px; font-style: italic;| |