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#गान्धर्व-सनातनकाल से प्रचलित, गन्धर्वों द्वारा प्रयुक्त, श्रेयस् का हेतु गीत सम्प्रदन्य गान्धर्व कहा जाता है। इसे ही भरतादि आचार्यों द्वारा प्रयुक्त मार्ग संगीत कहते हैं। भगवान् विरिञ्चि द्वारा इसका मार्गण या खोज होने के कारण इसे मार्ग कहा गया है।
 
#गान्धर्व-सनातनकाल से प्रचलित, गन्धर्वों द्वारा प्रयुक्त, श्रेयस् का हेतु गीत सम्प्रदन्य गान्धर्व कहा जाता है। इसे ही भरतादि आचार्यों द्वारा प्रयुक्त मार्ग संगीत कहते हैं। भगवान् विरिञ्चि द्वारा इसका मार्गण या खोज होने के कारण इसे मार्ग कहा गया है।
 
#गान - लोकगायकों द्वारा रचित देशी रागादि से युक्त लोकरंजक गीत गान कहा जाता है। इसी की संज्ञा देशी गीत है।
 
#गान - लोकगायकों द्वारा रचित देशी रागादि से युक्त लोकरंजक गीत गान कहा जाता है। इसी की संज्ञा देशी गीत है।
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== संगीत कला एवं गान्धर्ववेद॥ Sangit kala And gandharva veda ==
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सामवेद तथा गान्धर्ववेद की शास्त्रीय परम्परा की संगीत कला के साथ अविच्छिन्न सम्बन्ध भारतीय संस्कृति में निरन्तर अनुस्यूत है क्योंकि भारतीय मनीषा अपने पारम्परिक ज्ञान का स्रोत वेद को ही स्वीकार करती है। भारतीय परम्परा में सामवेद का आधिदैविक स्वरूप हयवदनात्मक है। इनके वामहस्त में शोभित शंख प्राणवायु से उद्भूत ध्वनिमाधुर्य का तथा दाहिने हाथ में धृत माला हस्तादि-अंगोद्गत ध्वनिलहरी का उपलक्षक है। ये दो ही विधायें समग्र संगीत कला में व्याप्त रहती हैं।
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===वाद्यम् ॥ Vadya===
 
===वाद्यम् ॥ Vadya===
 
कामसूत्र की 64 कलाओं में द्वितीय कला है वाद्यम् अर्थात् वादन-कला। गीत, नृत्य और नाट्य की पूर्णता वाद्य से मानी गई है। अतः संगीत के अन्तर्गत वाद्य का विशेष महत्त्व है।
 
कामसूत्र की 64 कलाओं में द्वितीय कला है वाद्यम् अर्थात् वादन-कला। गीत, नृत्य और नाट्य की पूर्णता वाद्य से मानी गई है। अतः संगीत के अन्तर्गत वाद्य का विशेष महत्त्व है।
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नाटक और आख्यायिका काव्यशास्त्र के पारिभाषिक शब्द हैं। नाट्य को दृश्य होने के कारण रूप कहा जाता है। संस्कृत वाङ्मय में इतिहासपुरुषों के जीवन को आख्यायिकाओं के माध्यम से संगृहीत किया गया है। आख्यानों के अभिनेय प्रसंगों का नटों द्वारा अभिनय भी किया जाता था। कृष्णलीला, हर-लीला, मदन-लीला आदि का भी अभिनय होता था। इस प्रकार यह कला कविहृदय के साथ संवाद स्थापित करने की और साहित्य के शिव तत्त्व से जीवन को मंगलमय बनाने की कला है।
 
नाटक और आख्यायिका काव्यशास्त्र के पारिभाषिक शब्द हैं। नाट्य को दृश्य होने के कारण रूप कहा जाता है। संस्कृत वाङ्मय में इतिहासपुरुषों के जीवन को आख्यायिकाओं के माध्यम से संगृहीत किया गया है। आख्यानों के अभिनेय प्रसंगों का नटों द्वारा अभिनय भी किया जाता था। कृष्णलीला, हर-लीला, मदन-लीला आदि का भी अभिनय होता था। इस प्रकार यह कला कविहृदय के साथ संवाद स्थापित करने की और साहित्य के शिव तत्त्व से जीवन को मंगलमय बनाने की कला है।
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== उद्धरण॥ References ==
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