आनंदमय कोश के विकास का अर्थ है, चित्त का विकास । अपने शरीर में स्थित उस परमात्वतत्व को जैसा वह है वैसा ही जानने की क्षमता, सहजता, स्वतंत्रता, सौंदर्यबोध यह चित्त के विकास के लक्षण है । | आनंदमय कोश के विकास का अर्थ है, चित्त का विकास । अपने शरीर में स्थित उस परमात्वतत्व को जैसा वह है वैसा ही जानने की क्षमता, सहजता, स्वतंत्रता, सौंदर्यबोध यह चित्त के विकास के लक्षण है । |