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पारीवारिक मामलों में स्त्री को निर्णय का अधिकार और सामाजिक मामलों में जहाँ परिवार से बाहर के वातावरण का संबंध होता है, स्त्री के लिये सुरक्षा की समस्या निर्माण हो सकती है, उस में पुरूष को निर्णय का अधिकार भारतीय परिवार और समाज व्यवस्था की विशेषता रही है।  
 
पारीवारिक मामलों में स्त्री को निर्णय का अधिकार और सामाजिक मामलों में जहाँ परिवार से बाहर के वातावरण का संबंध होता है, स्त्री के लिये सुरक्षा की समस्या निर्माण हो सकती है, उस में पुरूष को निर्णय का अधिकार भारतीय परिवार और समाज व्यवस्था की विशेषता रही है।  
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हिंदू शास्त्र बताते है: <blockquote>'आत्मवत् सर्वभूतेषू'{{Citation needed}}  या 'आत्मन: प्रतिकूलानि परेषां न समाचरेत् '</blockquote>अर्थ है - जो बात अपने लिये अयोग्य या प्रतिकूल समझते हो उसे औरों के लिये भी अयोग्य और प्रतिकूल समझो और उसे मत करो। इसी का विस्तार है ' मातृवत् परदारेषू '। अपनी बहन, बेटी, माता और पत्नि के साथ अन्य पुरूष अभद्र व्यवहार न करें, सम्मान का व्यवहार करें ऐसी यदि आप औरों से अपेक्षा करते है तो आप भी किसी अन्य की बहन, बेटी, पत्नि या माता के साथ अभद्र व्यवहार न करें, उन्हे सम्मान दें।  
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हिंदू शास्त्र बताते है: <blockquote>'आत्मवत् सर्वभूतेषू'{{Citation needed}}  या 'आत्मन: प्रतिकूलानि परेषां न समाचरेत्<ref>पद्मपुराण, शृष्टि १९.३५७
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श्रूयतां धर्म सर्वस्व श्रुत्वा धार्यताम्।
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आत्मन: प्रतिकूलानि परेषां न समाचरेत्
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</ref> '</blockquote>अर्थ है - जो बात अपने लिये अयोग्य या प्रतिकूल समझते हो उसे औरों के लिये भी अयोग्य और प्रतिकूल समझो और उसे मत करो। इसी का विस्तार है ' मातृवत् परदारेषू '। अपनी बहन, बेटी, माता और पत्नि के साथ अन्य पुरूष अभद्र व्यवहार न करें, सम्मान का व्यवहार करें ऐसी यदि आप औरों से अपेक्षा करते है तो आप भी किसी अन्य की बहन, बेटी, पत्नि या माता के साथ अभद्र व्यवहार न करें, उन्हे सम्मान दें।  
    
समाज में स्त्री को योग्य स्थान और सम्मान मिले इस दृष्टि से स्त्री को माँ के रूप में देखा गया। अपनी पत्नि को छोडकर अन्य सभी स्त्रियों के प्रति माता की भावना को सुसंस्कार कहा गया।  
 
समाज में स्त्री को योग्य स्थान और सम्मान मिले इस दृष्टि से स्त्री को माँ के रूप में देखा गया। अपनी पत्नि को छोडकर अन्य सभी स्त्रियों के प्रति माता की भावना को सुसंस्कार कहा गया।  
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समाज में स्त्री को योग्य स्थान और सम्मान मिले इस दृष्टि से स्त्री को माँ के रूप में देखा गया। यह भी कहा गया कि <blockquote>यत्र नार्यस्तु पुज्यंते रमंते तर देवता: </blockquote>अर्थ : जहाँ नारी की पूजा होती है वहाँ देवता रहते है अर्थात् वह समाज देवता स्वरूप बन जाता है। सुख समृध्दि से भर जाता है।
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समाज में स्त्री को योग्य स्थान और सम्मान मिले इस दृष्टि से स्त्री को माँ के रूप में देखा गया। यह भी कहा गया कि <blockquote>यत्र नार्यस्तु पुज्यंते रमंते तत्र देवता:<ref>मनुस्मृति अध्याय ३, श्लोक ५६-६०</ref> </blockquote>अर्थ : जहाँ नारी की पूजा होती है वहाँ देवता रहते है अर्थात् वह समाज देवता स्वरूप बन जाता है। सुख समृध्दि से भर जाता है।
    
== भारतीय स्त्री विषयक दृष्टि - तत्व और व्यवहार ==
 
== भारतीय स्त्री विषयक दृष्टि - तत्व और व्यवहार ==
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स्त्री को अंतर्मुख होना कठिन होता है। त्रयस्थ वृत्ति से वह अपने व्यवहार का विश्लेषण नहीं कर सकती। स्त्री शारीरिक दृष्टि से पुरूष से दुर्बल तो होती ही है, गर्भावस्था में वह और भी परावलंबी बन जाती है।  
 
स्त्री को अंतर्मुख होना कठिन होता है। त्रयस्थ वृत्ति से वह अपने व्यवहार का विश्लेषण नहीं कर सकती। स्त्री शारीरिक दृष्टि से पुरूष से दुर्बल तो होती ही है, गर्भावस्था में वह और भी परावलंबी बन जाती है।  
इस दुर्बलता के कारण ही मनु ने कहा है<blockquote>पिता रक्षति कौमार्ये, भर्ता रक्षति यौवने, स्थवीरे रक्षति पुत्र:</blockquote>अर्थात् कौमार्यावस्था में स्त्री को पिता का यौवन में पति का और वार्धक्य में पुत्र का संरक्षण मिलना आवश्यक होता है। इस से उस स्त्री का और समाज का भी भला होता है।
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इस दुर्बलता के कारण ही मनु ने कहा है<blockquote>पिता रक्षति कौमार्ये, भर्ता रक्षति यौवने, स्थवीरे रक्षति पुत्र:<ref>मनुस्मृतिः 9.3</ref></blockquote>अर्थात् कौमार्यावस्था में स्त्री को पिता का यौवन में पति का और वार्धक्य में पुत्र का संरक्षण मिलना आवश्यक होता है। इस से उस स्त्री का और समाज का भी भला होता है।
    
इस सब विश्लेषण का हेतु पुरूष और स्त्री में परमात्मा प्रदत्त अंतर होता है यह बताने का है। इस अंतर के कारण स्त्रियों के और पुरूषों के बल स्थान और दुर्बल स्थान भिन्न होते है, यह बताने का है।  
 
इस सब विश्लेषण का हेतु पुरूष और स्त्री में परमात्मा प्रदत्त अंतर होता है यह बताने का है। इस अंतर के कारण स्त्रियों के और पुरूषों के बल स्थान और दुर्बल स्थान भिन्न होते है, यह बताने का है।  
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