इन में प्रजा का निर्माण यह तो शुध्द पारिवारिक काम है। इस से आगे पाँच वर्ष तक की शिक्षा का अर्थात् इंद्रिय, मन और संस्कारों की शिक्षा का काम भी मोटे तौर पर परिवार में ही होता है। इस के बाद जब बालक विद्यालय में शिक्षा प्राप्त करने जाता है तब वह जिम्मेदारी समाज की होती है। जीवन की विविध आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये भिन्न भिन्न प्रकार के उद्योग चलाये जाते है। यह सामाजिक प्रयासों का ही क्षेत्र होता है। समाज ठीक चले इस दृष्टि से विभिन्न व्यवस्थाओं का निर्माण भी किया जाता है। जैसे सडक बनाना, कुए बनाना, धर्मशालाएं बनाना, मंदिर बनाना, विद्यालय बनाना आदि। यह व्यवस्थाएं अच्छीं चलें इस के लिये भी ध्यान देना पडता है। सामाजिक सुरक्षा का भी एक महत्वपूर्ण पहलू सामाजिक कार्यों की सूची में आता है। | इन में प्रजा का निर्माण यह तो शुध्द पारिवारिक काम है। इस से आगे पाँच वर्ष तक की शिक्षा का अर्थात् इंद्रिय, मन और संस्कारों की शिक्षा का काम भी मोटे तौर पर परिवार में ही होता है। इस के बाद जब बालक विद्यालय में शिक्षा प्राप्त करने जाता है तब वह जिम्मेदारी समाज की होती है। जीवन की विविध आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये भिन्न भिन्न प्रकार के उद्योग चलाये जाते है। यह सामाजिक प्रयासों का ही क्षेत्र होता है। समाज ठीक चले इस दृष्टि से विभिन्न व्यवस्थाओं का निर्माण भी किया जाता है। जैसे सडक बनाना, कुए बनाना, धर्मशालाएं बनाना, मंदिर बनाना, विद्यालय बनाना आदि। यह व्यवस्थाएं अच्छीं चलें इस के लिये भी ध्यान देना पडता है। सामाजिक सुरक्षा का भी एक महत्वपूर्ण पहलू सामाजिक कार्यों की सूची में आता है। |