एक आलू की बोरी में आलू बंधे होते हैं । जब तक बाहरी बोरी खुलती या फटती नहीं आलू बोरी के अन्दर रहते हैं । जैसे ही बोरी का अवरोध हट जाता है आलू बिखर जाते हैं । ऐसे बिखरने वाले आलू और बोरी जैसा व्यक्ति और समाज का सम्बन्ध नहीं होता । यह स्थिर होता है । लेकिन अनार को तोडने पर भी अनार के दाने बिखरते नहीं हैं । तो क्या समाज और व्यक्ति संबंध अनार और उसके दानोंजैसा है? | एक आलू की बोरी में आलू बंधे होते हैं । जब तक बाहरी बोरी खुलती या फटती नहीं आलू बोरी के अन्दर रहते हैं । जैसे ही बोरी का अवरोध हट जाता है आलू बिखर जाते हैं । ऐसे बिखरने वाले आलू और बोरी जैसा व्यक्ति और समाज का सम्बन्ध नहीं होता । यह स्थिर होता है । लेकिन अनार को तोडने पर भी अनार के दाने बिखरते नहीं हैं । तो क्या समाज और व्यक्ति संबंध अनार और उसके दानोंजैसा है? |