6. आश्रय शक्तिहीन जिस शक्तिशाली की शरण में जाकर शक्तिसम्पन्न बन जाता है, उस प्रबल राजा को आश्रय कहते हैं - यैर्गुप्तो बलवान भूयाद् दुर्बलोऽपि स आश्रयः। (शुक्रनीति 4. 7. 238) जब किसी शक्तिशाली राजा द्वारा राज्य विनष्ट की स्थिति में आ जाए तो किसी कुलीन, दृढ-प्रतिज्ञ,शक्तिशाली अन्य राजा की शरण लेनी चाहिए। उच्छिद्यमानो बलिना निरूपाय प्रतिक्रियः। कुलोद्भवं सत्यमार्य्यामाश्रयेत बलोत्कटम् ॥ (शुक्रनीति 4. 7. 289) | 6. आश्रय शक्तिहीन जिस शक्तिशाली की शरण में जाकर शक्तिसम्पन्न बन जाता है, उस प्रबल राजा को आश्रय कहते हैं - यैर्गुप्तो बलवान भूयाद् दुर्बलोऽपि स आश्रयः। (शुक्रनीति 4. 7. 238) जब किसी शक्तिशाली राजा द्वारा राज्य विनष्ट की स्थिति में आ जाए तो किसी कुलीन, दृढ-प्रतिज्ञ,शक्तिशाली अन्य राजा की शरण लेनी चाहिए। उच्छिद्यमानो बलिना निरूपाय प्रतिक्रियः। कुलोद्भवं सत्यमार्य्यामाश्रयेत बलोत्कटम् ॥ (शुक्रनीति 4. 7. 289) |