प्रयागराज में स्थित अक्षयवट आदि वट के नाम से कहा गया है और वह वह कल्पान्त (प्रलय) में भी स्थिर देखा जाता है या वर्तमान रहता है। उसके पत्र पर प्रलय काल में भगवान विष्णु शयन करते हैं। अतः उसको अक्षय वट कहा गया है - <ref>शोधकर्ता-विनय प्रकाश यादव, [https://archive.org/details/in.ernet.dli.2015.480648/page/n14/mode/1up प्रयाग के प्राचीन स्थलों का संजाति इतिहास], सन 2002, शोध केंद्र - मानव विज्ञान विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, इलाहाबाद (पृ० 29)। </ref><blockquote>आदिवटः समाख्यातः कल्पान्ते अपि च दृश्यते। शेते विष्णुर्यस्य पत्रे अतो अयमव्ययः स्मृतः॥ (पद्मपुराण)</blockquote> | प्रयागराज में स्थित अक्षयवट आदि वट के नाम से कहा गया है और वह वह कल्पान्त (प्रलय) में भी स्थिर देखा जाता है या वर्तमान रहता है। उसके पत्र पर प्रलय काल में भगवान विष्णु शयन करते हैं। अतः उसको अक्षय वट कहा गया है - <ref>शोधकर्ता-विनय प्रकाश यादव, [https://archive.org/details/in.ernet.dli.2015.480648/page/n14/mode/1up प्रयाग के प्राचीन स्थलों का संजाति इतिहास], सन 2002, शोध केंद्र - मानव विज्ञान विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, इलाहाबाद (पृ० 29)। </ref><blockquote>आदिवटः समाख्यातः कल्पान्ते अपि च दृश्यते। शेते विष्णुर्यस्य पत्रे अतो अयमव्ययः स्मृतः॥ (पद्मपुराण)</blockquote> |