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− | भारतीय ज्ञान परंपरा के अन्तर्गत चौंसठ कलाओं में से एक कला को स्वप्न के रूप में भी जाना जाता है। भारतीय विद्याओं में वेद, [[Puranas (पुराणानि)|पुराण]], दर्शन, [[Jyotisha (ज्योतिष)|ज्योतिष]], एवं [[Ayurveda (आयुर्वेदः)|आयुर्वेद]] शास्त्र में स्वप्नों के संबंध में वर्णन प्राप्त होता है। निद्रा अवस्था में चित्तवृत्तिजनित प्रत्यक्ष दर्शन-ज्ञान को स्वप्न कहते हैं। स्वप्न एक रहस्यमयी कला है, जो व्यक्ति के मानसिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक जीवन को समृद्ध बनाती है। | + | भारतीय ज्ञान परंपरा के अन्तर्गत चौंसठ कलाओं में से एक कला को स्वप्न के रूप में भी जाना जाता है। भारतीय विद्याओं में वेद, [[Puranas (पुराणानि)|पुराण]], दर्शन, [[Jyotisha (ज्योतिष)|ज्योतिष]], एवं [[Ayurveda (आयुर्वेदः)|आयुर्वेद]] शास्त्र में स्वप्नों के संबंध में वर्णन प्राप्त होता है। निद्रा अवस्था में चित्तवृत्तिजनित प्रत्यक्ष दर्शन-ज्ञान को स्वप्न कहते हैं। स्वप्न एक रहस्यमयी कला है, जो व्यक्ति के मानसिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक जीवन को समृद्ध बनाती है। प्राचीन ज्योतिष शास्त्र में स्वप्नों को एक विशिष्ट विज्ञान के रूप में देखा गया, जो व्यक्ति के मानसिक और आध्यात्मिक अनुभवों के साथ-साथ ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी जुड़ा होता है। |
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| ==परिचय॥ Introduction== | | ==परिचय॥ Introduction== |
| स्वप्नों का अध्ययन और उनका [[Jyotisha (ज्योतिष)|ज्योतिष]] तथा अन्य प्राचीन विद्याओं से गहरा संबंध है। भारतीय परंपरा में स्वप्नों को मात्र एक मानसिक प्रक्रिया नहीं माना गया, बल्कि उन्हें जीवन, भविष्य, और आध्यात्मिक संकेतों का महत्वपूर्ण स्रोत माना गया है। यह विश्वास किया जाता है कि स्वप्नों के माध्यम से व्यक्ति को भविष्य की घटनाओं, शुभ-अशुभ संकेतों, या किसी विशेष चेतावनी की जानकारी मिल सकती है। स्वप्न ज्योतिष, तंत्र, और [[Ayurveda (आयुर्वेदः)|आयुर्वेद]] जैसी प्राचीन भारतीय [[Vidya (विद्या)|विद्याओं]] से जुड़ा हुआ है, जो यह समझने का प्रयास करता है कि स्वप्नों के माध्यम से व्यक्ति के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ सकता है। | | स्वप्नों का अध्ययन और उनका [[Jyotisha (ज्योतिष)|ज्योतिष]] तथा अन्य प्राचीन विद्याओं से गहरा संबंध है। भारतीय परंपरा में स्वप्नों को मात्र एक मानसिक प्रक्रिया नहीं माना गया, बल्कि उन्हें जीवन, भविष्य, और आध्यात्मिक संकेतों का महत्वपूर्ण स्रोत माना गया है। यह विश्वास किया जाता है कि स्वप्नों के माध्यम से व्यक्ति को भविष्य की घटनाओं, शुभ-अशुभ संकेतों, या किसी विशेष चेतावनी की जानकारी मिल सकती है। स्वप्न ज्योतिष, तंत्र, और [[Ayurveda (आयुर्वेदः)|आयुर्वेद]] जैसी प्राचीन भारतीय [[Vidya (विद्या)|विद्याओं]] से जुड़ा हुआ है, जो यह समझने का प्रयास करता है कि स्वप्नों के माध्यम से व्यक्ति के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ सकता है। |
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− | ==स्वप्न क्या है?॥ What is dream?== | + | == स्वप्न क्या है?॥ What is dream?== |
| निद्रावस्था में हमारी मानसिक वृत्तियाँ सर्वथा निस्तेज नहीं हो जातीं। हाँ, जागृत अवस्था में जो शृंघला मानसिक वृत्तियों में देखी जाती है, वह अवश्य नष्ट हो जाती है। नाना प्रकार की अद्भुत चिन्ताएँ और दृश्य मन में उत्पन्न होते हैं, यही स्वप्न हैं। शास्त्रकार जिसे सुषुप्ति कहते हैं, निद्रा की उस प्रगाढ अवस्था में स्वप्न दिखलाई नहीं देते।<ref>डॉ० गिरीन्द्र शेखर, [https://ia801203.us.archive.org/33/items/in.ernet.dli.2015.539358/2015.539358.Swapna-Vigyan.pdf स्वप्न विज्ञान], सन 1942, किताब-महल, प्रयागराज (पृ० 14)।</ref> मुख्यतः स्वप्न सात प्रकार के होते हैं -(भद्रबाहु संहिता पृ० 444) | | निद्रावस्था में हमारी मानसिक वृत्तियाँ सर्वथा निस्तेज नहीं हो जातीं। हाँ, जागृत अवस्था में जो शृंघला मानसिक वृत्तियों में देखी जाती है, वह अवश्य नष्ट हो जाती है। नाना प्रकार की अद्भुत चिन्ताएँ और दृश्य मन में उत्पन्न होते हैं, यही स्वप्न हैं। शास्त्रकार जिसे सुषुप्ति कहते हैं, निद्रा की उस प्रगाढ अवस्था में स्वप्न दिखलाई नहीं देते।<ref>डॉ० गिरीन्द्र शेखर, [https://ia801203.us.archive.org/33/items/in.ernet.dli.2015.539358/2015.539358.Swapna-Vigyan.pdf स्वप्न विज्ञान], सन 1942, किताब-महल, प्रयागराज (पृ० 14)।</ref> मुख्यतः स्वप्न सात प्रकार के होते हैं -(भद्रबाहु संहिता पृ० 444) |
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| इसी तरह भरत के सपने जो उनके पिता की मृत्यु का प्रतीक हैं और भगवान हनुमान द्वारा देखे गए सपनों का भी विस्तार से वर्णन किया गया है। | | इसी तरह भरत के सपने जो उनके पिता की मृत्यु का प्रतीक हैं और भगवान हनुमान द्वारा देखे गए सपनों का भी विस्तार से वर्णन किया गया है। |
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− | महाभारत में कौरवों के स्वप्न का वर्णन किया गया है जो पांडवों के हाथों उनकी हार का संकेत है।[८] | + | महाभारत में कौरवों के स्वप्न का वर्णन किया गया है जो पांडवों के हाथों उनकी हार का संकेत है। |
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− | कणाद स्वप्न-ज्ञान को मन के साथ स्वयं के एक विशेष संयोजन द्वारा उत्पन्न चेतना के रूप में परिभाषित करते हैं, जो अतीत के अनुभव के अवचेतन छापों, जैसे स्मरण के सहयोग से होता है।[९] | + | कणाद स्वप्न-ज्ञान को मन के साथ स्वयं के एक विशेष संयोजन द्वारा उत्पन्न चेतना के रूप में परिभाषित करते हैं, जो अतीत के अनुभव के अवचेतन छापों, जैसे स्मरण के सहयोग से होता है। |
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| प्रशस्तपाद स्वप्न का वर्णन इस प्रकार करते हैं, स्वप्न ऐसी संवेदनाएं हैं जो केवल मनस से अनुभव की जाती हैं, जो कि बाह्य इंद्रियों द्वारा सुप्त अवस्था में अनुभव की जाने वाली संवेदनाओं के समान होती हैं, जब बाह्य इंद्रियां निष्क्रिय होती हैं और मनस के कार्य भी क्षीण हो जाते हैं, अर्थात वह प्रलीनावस्था में होती है। उन्होंने स्वप्न के तीन कारण बताए हैं - | | प्रशस्तपाद स्वप्न का वर्णन इस प्रकार करते हैं, स्वप्न ऐसी संवेदनाएं हैं जो केवल मनस से अनुभव की जाती हैं, जो कि बाह्य इंद्रियों द्वारा सुप्त अवस्था में अनुभव की जाने वाली संवेदनाओं के समान होती हैं, जब बाह्य इंद्रियां निष्क्रिय होती हैं और मनस के कार्य भी क्षीण हो जाते हैं, अर्थात वह प्रलीनावस्था में होती है। उन्होंने स्वप्न के तीन कारण बताए हैं - |
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| मांडूक्य उपनिषद में स्वप्नावस्था (तैजस) का विशेष रूप से वर्णन है। इसमें आत्मा की तीन अवस्थाओं - जाग्रत, स्वप्न, और सुषुप्ति - को समझाया गया है। स्वप्नावस्था को तैजस कहा गया है, क्योंकि इस अवस्था में मन विभिन्न रूपों को ग्रहण करता है और अनुभव करता है - <blockquote>स्वप्नस्थानो अन्तःप्रज्ञः सप्ताङ्ग एकोनविंशतिमुखः तैजसो द्वितीयः पादः। (मांडूक्य उपनिषद, श्लोक 3)<ref>[https://sa.wikisource.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%A3%E0%A5%8D%E0%A4%A1%E0%A5%81%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A5%8B%E0%A4%AA%E0%A4%A8%E0%A4%BF%E0%A4%B7%E0%A4%A6%E0%A5%8D मांडूक्य उपनिषद] </ref></blockquote>स्वप्नावस्था में आत्मा आंतरिक चेतना के साथ क्रियाशील रहती है। इसमें वह सूक्ष्म रूप से अनुभव करती है। यह अवस्था सात अंगों और उन्नीस मुखों (इंद्रियों) वाली होती है, और इसे तैजस कहा जाता है। | | मांडूक्य उपनिषद में स्वप्नावस्था (तैजस) का विशेष रूप से वर्णन है। इसमें आत्मा की तीन अवस्थाओं - जाग्रत, स्वप्न, और सुषुप्ति - को समझाया गया है। स्वप्नावस्था को तैजस कहा गया है, क्योंकि इस अवस्था में मन विभिन्न रूपों को ग्रहण करता है और अनुभव करता है - <blockquote>स्वप्नस्थानो अन्तःप्रज्ञः सप्ताङ्ग एकोनविंशतिमुखः तैजसो द्वितीयः पादः। (मांडूक्य उपनिषद, श्लोक 3)<ref>[https://sa.wikisource.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%A3%E0%A5%8D%E0%A4%A1%E0%A5%81%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A5%8B%E0%A4%AA%E0%A4%A8%E0%A4%BF%E0%A4%B7%E0%A4%A6%E0%A5%8D मांडूक्य उपनिषद] </ref></blockquote>स्वप्नावस्था में आत्मा आंतरिक चेतना के साथ क्रियाशील रहती है। इसमें वह सूक्ष्म रूप से अनुभव करती है। यह अवस्था सात अंगों और उन्नीस मुखों (इंद्रियों) वाली होती है, और इसे तैजस कहा जाता है। |
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− | '''आधुनिक पाश्चात्य विचारधारा में स्वप्न विश्लेषण'''
| + | ==स्वप्न के भेद॥ Secrets of dreams== |
| + | दृष्टः श्रुतोऽनुभूतश्च प्रार्थितः कल्पितस्तथा। भाविकोदोषजश्चेति स्वप्नः सप्तविधो मतः॥ |
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− | कई महत्वपूर्ण सिद्धांतों और वैज्ञानिक दृष्टिकोणों के माध्यम से विकसित हुआ है, जिनमें सिगमंड फ्रॉयड और कार्ल जंग के मनोवैज्ञानिक सिद्धांतों से लेकर न्यूरोसाइंस के आधुनिक दृष्टिकोण तक की व्यापक व्याख्या शामिल है।
| + | तेष्वाद्या निष्फलाः पञ्च यथास्वप्रकृतिर्दिवा। निद्रया चानुहतः प्रतीपैर्वचनैस्तथा॥(अष्टांग हृदय)<ref>शोधगंगा-राचोटि देव, [https://shodhganga.inflibnet.ac.in/handle/10603/225648 वैदिकवांग्मये स्वप्नशास्त्रस्य समीक्षात्मकमध्ययनम्], सन 2017, शोधकेंद्र-मैसूरु विश्वविद्यालय, मैसूरु (पृ० 127)। </ref> |
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− | सिगमंड फ्रॉयड का स्वप्न विश्लेषण (The Interpretation of Dreams)
| + | सुप्तानां तु मनश्चेष्टा स्वप्न इत्यभिधीयते। अनागतमतिक्रान्तं पश्यते सञ्चरन्मनः।। (महाभारत) |
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− | सिगमंड फ्रॉयड (Sigmund Freud) स्वप्न विश्लेषण के सबसे महत्वपूर्ण विचारकों में से एक माने जाते हैं। उनकी पुस्तक The Interpretation of Dreams (1899) ने आधुनिक स्वप्न विज्ञान की नींव रखी। फ्रॉयड के अनुसार, स्वप्न अवचेतन मन की गतिविधियों का प्रतिबिंब होते हैं। उन्होंने यह तर्क दिया कि स्वप्न व्यक्ति की दबी हुई इच्छाओं, खासकर यौन और आक्रामक प्रवृत्तियों का प्रतीकात्मक रूप में प्रकट होना होता है। फ्रॉयड ने स्वप्न को दो मुख्य घटकों में विभाजित किया -
| + | ==स्वप्न विद्या के भारतीय सिद्धांत॥ Indian theory of dream science== |
| + | संस्कृत वांग्मय में स्वप्न विद्या को पराविद्या का अंग माना गया है। अतः स्वप्न के माध्यम से सृष्टि के रहस्यों को जानने का प्रयास भारतीय ऋषि, मुनि और आचार्यों ने किया है। <ref name=":0">डॉ० कामेश्वर उपाध्याय, [https://www.scribd.com/document/442222673/%E0%A4%B8-%E0%A4%B5%E0%A4%AA-%E0%A4%A8-%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%9C%E0%A4%9E%E0%A4%BE%E0%A4%A8-pdf स्वप्न-विद्या], सन १९९४, त्रिस्कन्धज्योतिषम् प्रकाशन वाराणसी (पृ० 12)।</ref> |
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− | स्पष्ट सामग्री (Manifest Content) - वह जो व्यक्ति स्वप्न में देखता है, जैसे घटनाएँ, लोग, और स्थान।
| + | == पाश्चात्य विचारधारा में स्वप्न विश्लेषण == |
− | | + | कई महत्वपूर्ण सिद्धांतों और वैज्ञानिक दृष्टिकोणों के माध्यम से विकसित हुआ है, जिनमें सिगमंड फ्रॉयड और कार्ल जंग के मनोवैज्ञानिक सिद्धांतों से लेकर न्यूरोसाइंस के आधुनिक दृष्टिकोण तक की व्यापक व्याख्या शामिल है। |
− | गुप्त सामग्री (Latent Content) - वह छिपा हुआ अर्थ जो स्वप्न में प्रतीकों के माध्यम से प्रकट होता है। यह गुप्त सामग्री मुख्य रूप से अवचेतन इच्छाओं और चिंताओं का परिणाम होती है।
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− | फ्रॉयड के अनुसार, स्वप्न विश्लेषण के माध्यम से व्यक्ति अवचेतन मन के दमन और आंतरिक संघर्षों को समझ सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि स्वप्न, रक्षात्मक तंत्र के माध्यम से रूपांतरित होते हैं ताकि व्यक्ति की दबी इच्छाएँ और भय सीधे तौर पर प्रकट न हों।
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− | '''प्रमुख सिद्धांत'''
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− | स्वप्न इच्छापूर्ति (Wish Fulfillment) का कार्य करते हैं। | + | '''सिगमंड फ्रॉयड का स्वप्न विश्लेषण -The Interpretation of Dreams''' |
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− | प्रतीकों के माध्यम से छिपी हुई इच्छाओं का प्रदर्शन होता है।
| + | सिगमंड फ्रॉयड (Sigmund Freud) स्वप्न विश्लेषण के सबसे महत्वपूर्ण विचारकों में से एक माने जाते हैं। उनकी पुस्तक The Interpretation of Dreams (1899) ने आधुनिक स्वप्न विज्ञान की नींव रखी। फ्रॉयड के अनुसार, स्वप्न अवचेतन मन की गतिविधियों का प्रतिबिंब होते हैं। उन्होंने यह तर्क दिया कि स्वप्न व्यक्ति की दबी हुई इच्छाओं, खासकर यौन और आक्रामक प्रवृत्तियों का प्रतीकात्मक रूप में प्रकट होना होता है। फ्रॉयड ने स्वप्न को दो मुख्य घटकों में विभाजित किया -<ref name=":0" /> |
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− | स्वप्नों के विश्लेषण से मनोवैज्ञानिक समस्याओं की जड़ तक पहुंचा जा सकता है।
| + | * स्पष्ट सामग्री (Manifest Content) - वह जो व्यक्ति स्वप्न में देखता है, जैसे घटनाएँ, लोग, और स्थान। |
| + | * गुप्त सामग्री (Latent Content) - वह छिपा हुआ अर्थ जो स्वप्न में प्रतीकों के माध्यम से प्रकट होता है। यह गुप्त सामग्री मुख्य रूप से अवचेतन इच्छाओं और चिंताओं का परिणाम होती है। |
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− | '''कार्ल जंग का स्वप्न और सामूहिक अवचेतन (Collective Unconscious)'''
| + | फ्रॉयड के अनुसार स्वप्न विश्लेषण के माध्यम से व्यक्ति अवचेतन मन के दमन और आंतरिक संघर्षों को समझ सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि स्वप्न, रक्षात्मक तंत्र के माध्यम से रूपांतरित होते हैं ताकि व्यक्ति की दबी इच्छाएँ और भय सीधे तौर पर प्रकट न हो। उनके कुछ प्रमुख सिद्धांत इस प्रकार हैं - |
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− | कार्ल जंग (Carl Jung) ने फ्रॉयड के सिद्धांतों से कुछ भिन्न दृष्टिकोण अपनाया। फ्रॉयड के विपरीत, जिन्होंने स्वप्नों को व्यक्तिगत इच्छाओं का परिणाम माना, जंग ने स्वप्नों में सामूहिक अवचेतन (Collective Unconscious) की अवधारणा को जोड़ा।
| + | * स्वप्न इच्छापूर्ति (Wish Fulfillment) का कार्य करते हैं। |
| + | * प्रतीकों के माध्यम से छिपी हुई इच्छाओं का प्रदर्शन होता है। |
| + | * स्वप्नों के विश्लेषण से मनोवैज्ञानिक समस्याओं की जड़ तक पहुंचा जा सकता है। |
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− | जंग के अनुसार, स्वप्न केवल व्यक्तिगत अवचेतन को प्रकट नहीं करते, बल्कि यह आर्कटाइप्स (Archetypes) के माध्यम से मानवता के सामूहिक अनुभवों को भी व्यक्त करते हैं। उनके अनुसार, आर्कटाइप्स सार्वभौमिक प्रतीक होते हैं जो पीढ़ियों से मानव सभ्यता में मौजूद हैं। | + | '''कार्ल जंग का स्वप्न और सामूहिक अवचेतन - Collective Unconscious''' |
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− | जंग का मानना था कि स्वप्न आत्म-प्रकटीकरण और व्यक्तित्व विकास (Individuation) की प्रक्रिया का हिस्सा होते हैं। स्वप्न व्यक्ति के अवचेतन से संकेत देते हैं, जिससे उसे अपने जीवन के विभिन्न पहलुओं में संतुलन और समग्रता प्राप्त करने में मदद मिलती है। जंग के सिद्धांतों में स्वप्नों का आध्यात्मिक और दार्शनिक पहलू भी महत्वपूर्ण है, जहां स्वप्न चेतना और अवचेतन के बीच संवाद का माध्यम होते हैं। | + | कार्ल जंग ने फ्रॉयड के सिद्धांतों से कुछ भिन्न दृष्टिकोण अपनाया। फ्रॉयड के विपरीत, जिन्होंने स्वप्नों को व्यक्तिगत इच्छाओं का परिणाम माना, इन्होंने स्वप्नों में सामूहिक अवचेतन की अवधारणा को जोड़ा। |
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− | '''प्रमुख सिद्धांत'''
| + | जंग के अनुसार, स्वप्न केवल व्यक्तिगत अवचेतन को प्रकट नहीं करते, बल्कि यह आर्कटाइप्स के माध्यम से मानवता के सामूहिक अनुभवों को भी व्यक्त करते हैं। उनके अनुसार, आर्कटाइप्स सार्वभौमिक प्रतीक होते हैं जो पीढ़ियों से मानव सभ्यता में मौजूद हैं। |
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− | आर्कटाइप्स - स्वप्नों में सामान्य प्रतीक जो सामूहिक अवचेतन का हिस्सा होते हैं, जैसे कि माँ, नायक, और छाया।
| + | जंग का मानना था कि स्वप्न आत्म-प्रकटीकरण और व्यक्तित्व विकास की प्रक्रिया का हिस्सा होते हैं। स्वप्न व्यक्ति के अवचेतन से संकेत देते हैं, जिससे उसे अपने जीवन के विभिन्न पहलुओं में संतुलन और समग्रता प्राप्त करने में मदद मिलती है। जंग के सिद्धांतों में स्वप्नों का आध्यात्मिक और दार्शनिक पहलू भी महत्वपूर्ण है, जहां स्वप्न चेतना और अवचेतन के बीच संवाद का माध्यम होते हैं। इनके कुछ प्रमुख सिद्धांत इस प्रकार हैं - |
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− | स्वप्न आत्म-प्रकटीकरण का साधन हैं और व्यक्तित्व के विकास में मदद करते हैं। | + | * आर्कटाइप्स - स्वप्नों में सामान्य प्रतीक जो सामूहिक अवचेतन का हिस्सा होते हैं, जैसे कि माँ, नायक, और छाया। |
| + | * स्वप्न आत्म - प्रकटीकरण का साधन हैं और व्यक्तित्व के विकास में मदद करते हैं। |
| + | * स्वप्न प्रतीकात्मक होते हैं, जिनका विश्लेषण सांस्कृतिक और सार्वभौमिक संदर्भों में किया जा सकता है। |
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− | स्वप्न प्रतीकात्मक होते हैं, जिनका विश्लेषण सांस्कृतिक और सार्वभौमिक संदर्भों में किया जा सकता है।
| + | '''न्यूरोसाइंस और REM स्लीप द्वारा स्वप्न की व्याख्या''' |
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− | '''न्यूरोसाइंस और REM स्लीप द्वारा स्वप्न की वैज्ञानिक व्याख्या''' | |
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| आधुनिक न्यूरोसाइंस में, स्वप्नों को मस्तिष्क की जैविक प्रक्रियाओं से जोड़ा गया है। यह वैज्ञानिक दृष्टिकोण REM (Rapid Eye Movement) नींद के दौरान मस्तिष्क की गतिविधियों के अध्ययन पर आधारित है। REM नींद वह अवस्था होती है जिसमें मस्तिष्क सबसे सक्रिय होता है, और इस दौरान स्वप्न सबसे अधिक स्पष्ट होते हैं। | | आधुनिक न्यूरोसाइंस में, स्वप्नों को मस्तिष्क की जैविक प्रक्रियाओं से जोड़ा गया है। यह वैज्ञानिक दृष्टिकोण REM (Rapid Eye Movement) नींद के दौरान मस्तिष्क की गतिविधियों के अध्ययन पर आधारित है। REM नींद वह अवस्था होती है जिसमें मस्तिष्क सबसे सक्रिय होता है, और इस दौरान स्वप्न सबसे अधिक स्पष्ट होते हैं। |
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− | न्यूरोसाइंटिफिक दृष्टिकोण के अनुसार, स्वप्न मस्तिष्क की यादों, अनुभवों, और भावनाओं को समेकित करने की प्रक्रिया का हिस्सा होते हैं। कई शोधों से पता चला है कि स्वप्न मस्तिष्क के उन हिस्सों में होते हैं जो भावनाओं और स्मृतियों से जुड़े होते हैं, जैसे हिप्पोकैम्पस और एमिगडाला। | + | न्यूरोसाइंटिफिक दृष्टिकोण के अनुसार, स्वप्न मस्तिष्क की यादों, अनुभवों और भावनाओं को संकेत करने की प्रक्रिया का हिस्सा होते हैं। कई शोधों से पता चला है कि स्वप्न मस्तिष्क के उन हिस्सों में होते हैं जो भावनाओं और स्मृतियों से जुड़े होते हैं, जैसे हिप्पोकैम्पस और एमिगडाला। |
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| ऐक्टिवेशन-सिंथेसिस थ्योरी (Activation-Synthesis Theory) - हार्वर्ड के शोधकर्ताओं जे. ए. होब्सन और रॉबर्ट मैककली ने यह सिद्धांत प्रस्तुत किया, जिसमें कहा गया कि स्वप्न मस्तिष्क की यादृच्छिक न्यूरोलॉजिकल गतिविधियों का परिणाम होते हैं। जब व्यक्ति REM नींद में होता है, तो मस्तिष्क के विभिन्न हिस्सों में होने वाली गतिविधियाँ स्वप्न के रूप में अनुभव की जाती हैं, और मस्तिष्क इन गतिविधियों को अर्थ देने की कोशिश करता है। | | ऐक्टिवेशन-सिंथेसिस थ्योरी (Activation-Synthesis Theory) - हार्वर्ड के शोधकर्ताओं जे. ए. होब्सन और रॉबर्ट मैककली ने यह सिद्धांत प्रस्तुत किया, जिसमें कहा गया कि स्वप्न मस्तिष्क की यादृच्छिक न्यूरोलॉजिकल गतिविधियों का परिणाम होते हैं। जब व्यक्ति REM नींद में होता है, तो मस्तिष्क के विभिन्न हिस्सों में होने वाली गतिविधियाँ स्वप्न के रूप में अनुभव की जाती हैं, और मस्तिष्क इन गतिविधियों को अर्थ देने की कोशिश करता है। |
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− | सर्केडियन रिदम और स्वप्न: मस्तिष्क की गतिविधियाँ दिन-रात के चक्रों के अनुसार बदलती हैं, और स्वप्न देखने की प्रवृत्ति REM नींद के साथ जुड़ी होती है, जो सामान्यतः सर्केडियन रिदम के अंतर्गत आती है। | + | सर्केडियन रिदम और स्वप्न: मस्तिष्क की गतिविधियाँ दिन-रात के चक्रों के अनुसार बदलती हैं, और स्वप्न देखने की प्रवृत्ति REM नींद के साथ जुड़ी होती है, जो सामान्यतः सर्केडियन रिदम के अंतर्गत आती है। जैसे कि प्रमुख सिद्धांत |
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− | '''प्रमुख सिद्धांत'''
| + | * REM स्लीप के दौरान स्वप्न सबसे अधिक होते हैं। |
− | | + | * स्वप्न मस्तिष्क की भावनात्मक और स्मृति प्रक्रियाओं का हिस्सा होते हैं। |
− | REM स्लीप के दौरान स्वप्न सबसे अधिक होते हैं। | + | * ऐक्टिवेशन-सिंथेसिस थ्योरी - स्वप्नों को मस्तिष्क की यादृच्छिक गतिविधियों से जोड़ती है। |
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− | स्वप्न मस्तिष्क की भावनात्मक और स्मृति प्रक्रियाओं का हिस्सा होते हैं। | |
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− | ऐक्टिवेशन-सिंथेसिस थ्योरी स्वप्नों को मस्तिष्क की यादृच्छिक गतिविधियों से जोड़ती है। | |
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− | ==स्वप्न के भेद॥ Secrets of dreams==
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− | दृष्टः श्रुतोऽनुभूतश्च प्रार्थितः कल्पितस्तथा। भाविकोदोषजश्चेति स्वप्नः सप्तविधो मतः॥
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− | तेष्वाद्या निष्फलाः पञ्च यथास्वप्रकृतिर्दिवा। निद्रया चानुहतः प्रतीपैर्वचनैस्तथा॥(अष्टांग हृदय)<ref>शोधगंगा-राचोटि देव, [https://shodhganga.inflibnet.ac.in/handle/10603/225648 वैदिकवांग्मये स्वप्नशास्त्रस्य समीक्षात्मकमध्ययनम्], सन 2017, शोधकेंद्र-मैसूरु विश्वविद्यालय, मैसूरु (पृ० 127)। </ref>
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− | सुप्तानां तु मनश्चेष्टा स्वप्न इत्यभिधीयते। अनागतमतिक्रान्तं पश्यते सञ्चरन्मनः।। (महाभारत)
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− | ==स्वप्न विद्या के भारतीय सिद्धांत॥ Indian theory of dream science==
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− | संस्कृत वांग्मय में स्वप्न विद्या को पराविद्या का अंग माना गया है। अतः स्वप्न के माध्यम से सृष्टि के रहस्यों को जानने का प्रयास भारतीय ऋषि, मुनि और आचार्यों ने किया है। <ref>डॉ० कामेश्वर उपाध्याय, [https://www.scribd.com/document/442222673/%E0%A4%B8-%E0%A4%B5%E0%A4%AA-%E0%A4%A8-%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%9C%E0%A4%9E%E0%A4%BE%E0%A4%A8-pdf स्वप्न-विद्या], सन १९९४, त्रिस्कन्धज्योतिषम् प्रकाशन वाराणसी (पृ० 12)।</ref>
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| ==स्वप्न के सिद्धांत॥ Dream theory== | | ==स्वप्न के सिद्धांत॥ Dream theory== |