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| ==भाषा का स्थापत्य== | | ==भाषा का स्थापत्य== |
| भाषाविज्ञान भाषा के स्थापत्य का विश्लेषण है और भाषा का यह स्थापत्य मुख्यतः उसके तीन तत्त्वों- ध्वनि, विचार तथा शब्द से संश्लिष्ट है। भाषा मनुष्य के स्वर-यंत्र द्वारा उत्पादित स्वेच्छापूर्वक मान्य वह ध्वनि है जिसके माध्यम से एक समाज आपने विचारों का आदान-प्रदान करता है।<ref>श्री पद्मनारायण, [https://ia601509.us.archive.org/29/items/in.ernet.dli.2015.482396/2015.482396.adhunik-bhaashaa.pdf आधुनिक भाषा-विज्ञान], सन् १९६१, ज्ञानपीठ प्राइवेट लिमिटेड, पटना (पृ० ३३)।</ref> | | भाषाविज्ञान भाषा के स्थापत्य का विश्लेषण है और भाषा का यह स्थापत्य मुख्यतः उसके तीन तत्त्वों- ध्वनि, विचार तथा शब्द से संश्लिष्ट है। भाषा मनुष्य के स्वर-यंत्र द्वारा उत्पादित स्वेच्छापूर्वक मान्य वह ध्वनि है जिसके माध्यम से एक समाज आपने विचारों का आदान-प्रदान करता है।<ref>श्री पद्मनारायण, [https://ia601509.us.archive.org/29/items/in.ernet.dli.2015.482396/2015.482396.adhunik-bhaashaa.pdf आधुनिक भाषा-विज्ञान], सन् १९६१, ज्ञानपीठ प्राइवेट लिमिटेड, पटना (पृ० ३३)।</ref> |
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| + | लिंग्विस्टिक्स (Linguistics) के अर्थ में 'भाषा-विज्ञान' जैसा विषय भारत में नहीं था। भारत में भाषा के अध्ययन के लिए व्याकरण, शब्दानुशासन, शब्दशास्त्र, निर्वचनशास्त्र आदि नाम भी प्रचलित रहे हैं। लिंग्विस्टिक्स के अर्थ में वर्तमान समय में तुलनात्मक भाषा-विज्ञान, भाषाविज्ञान, भाषाशास्त्र, तुलनात्मक भाषाशास्त्र, शब्दशास्त्रा, भाषालोचन, भाषिकी, भाषातत्त्व, भाषाविचार आदि नाम प्रचलित हैं। इन सभी नामों में से 'भाषाविज्ञान' अधिक प्रचलित नाम हैं। |
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| + | ==भाषा विज्ञान के सिद्धांत== |
| + | आधुनिक भाषा विज्ञान (Modern Linguistics) भाषा के वैज्ञानिक अध्ययन को संदर्भित करता है। यह 19वीं सदी के अंत और 20वीं सदी की शुरुआत में विकसित हुआ और इसमें भाषा की संरचना, ध्वनि, अर्थ, और सामाजिक उपयोग के अध्ययन शामिल हैं। आधुनिक भाषा विज्ञान के कुछ प्रमुख क्षेत्रों में शामिल हैं: |
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| + | '''1.ध्वनिविज्ञान (Phonetics):''' भाषाओं में ध्वनियों के उत्पादन, ध्वनि गुणों, और ध्वनियों के ध्वनि तंत्र के अध्ययन को ध्वनिविज्ञान कहा जाता है। |
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| + | '''2. ध्वन्यात्मकता (Phonology):''' ध्वनियों की संरचना और उनके व्यवस्थित संगठन का अध्ययन। |
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| + | '''3. रूपविज्ञान (Morphology):''' शब्दों के आंतरिक संरचना और उनके निर्माण का अध्ययन। |
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| + | '''4. वाक्यविज्ञान (Syntax):''' वाक्यों की संरचना और उनके नियमों का अध्ययन। |
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| + | '''5. अर्थविज्ञान (Semantics):''' शब्दों और वाक्यों के अर्थ का अध्ययन। |
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| + | '''6.प्रग्मेटिक्स (Pragmatics):''' भाषा का उपयोग और उसका संदर्भ पर प्रभाव का अध्ययन। |
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| + | '''7.सामाजिक भाषा विज्ञान (Sociolinguistics):''' भाषा और समाज के बीच के संबंध का अध्ययन। |
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| + | '''8.मनोभाषाविज्ञान (Psycholinguistics):''' भाषा का मानसिक प्रक्रियाओं और भाषा के विकास के साथ संबंध का अध्ययन। |
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| + | आधुनिक भाषा विज्ञान में नोम चॉम्स्की का योगदान महत्वपूर्ण है, जिन्होंने भाषा की उत्पत्ति और संरचना को समझने के लिए कई सिद्धांत प्रस्तुत किए। इसके अतिरिक्त, आधुनिक तकनीकी साधनों और गणनात्मक भाषाविज्ञान (Computational Linguistics) ने भी इस क्षेत्र में नई संभावनाएँ खोली हैं। |
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| + | '''नोम चॉम्स्की का आधुनिक भाषा विज्ञान में योगदान''' |
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| + | नोम चॉम्स्की का आधुनिक भाषा विज्ञान में योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण और प्रभावशाली रहा है। उनकी शोध और सिद्धांतों ने भाषा अध्ययन के क्षेत्र में क्रांति ला दी। उनके प्रमुख योगदानों में शामिल हैं: |
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| + | '''1.सार्वभौमिक व्याकरण (Universal Grammar):''' - चॉम्स्की ने यह प्रस्तावित किया कि सभी मानव भाषाओं के पीछे एक सामान्य व्याकरणिक संरचना होती है, जिसे सार्वभौमिक व्याकरण कहा जाता है। उनका मानना है कि यह संरचना जैविक रूप से मानव मस्तिष्क में निहित होती है। |
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| + | '''2.उत्पादनात्मक व्याकरण (Generative Grammar): -''' चॉम्स्की ने उत्पादनात्मक व्याकरण का सिद्धांत प्रस्तुत किया, जिसमें उन्होंने भाषा को एक प्रणाली के रूप में देखा जो सीमित नियमों का उपयोग करके अनंत वाक्य उत्पन्न कर सकती है। उन्होंने इसके लिए "स्ट्रक्चरल डेस्क्रिप्शन" और "डीप स्ट्रक्चर" जैसी अवधारणाओं का विकास किया। |
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| + | '''3. सतह संरचना और गहन संरचना (Surface Structure and Deep Structure):''' - चॉम्स्की ने भाषा के दो स्तरों की पहचान की: सतह संरचना (Surface Structure), जो वाक्य का वास्तविक रूप होता है, और गहन संरचना (Deep Structure), जो वाक्य का गहरा अर्थ होता है। उन्होंने यह दिखाया कि एक ही गहन संरचना विभिन्न सतह संरचनाओं में व्यक्त की जा सकती है। |
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| + | '''4.परिवर्तन नियम (Transformational Rules):''' - चॉम्स्की ने परिवर्तन नियमों का सिद्धांत प्रस्तुत किया, जो यह बताते हैं कि गहन संरचनाओं को सतह संरचनाओं में कैसे परिवर्तित किया जाता है। इन नियमों के माध्यम से वाक्य संरचनाओं को अधिक गहनता से समझा जा सकता है। |
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| + | '''5.लैंग्वेज एक्विजिशन डिवाइस (Language Acquisition Device):''' - चॉम्स्की ने यह प्रस्तावित किया कि मानव मस्तिष्क में एक लैंग्वेज एक्विजिशन डिवाइस (LAD) होता है, जो बच्चों को सहज रूप से भाषा सीखने में सक्षम बनाता है। उनका मानना है कि बच्चे जन्म से ही भाषा सीखने की क्षमता के साथ पैदा होते हैं। |
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| + | '''6.भाषाई कम्प्यूटेशन (Computational Linguistics):''' - चॉम्स्की के सिद्धांतों ने गणनात्मक भाषाविज्ञान में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनके विचारों ने भाषा को गणितीय और कम्प्यूटेशनल रूप से समझने की दिशा में नई संभावनाएं खोलीं। |
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| + | चॉम्स्की के विचारों और सिद्धांतों ने भाषा विज्ञान को एक नई दिशा दी है, और उनके शोध ने भाषा के अध्ययन को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से समझने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। |
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| + | ==प्रमुख सिद्धांतकार== |
| + | आधुनिक भाषा विज्ञान के प्रमुख सिद्धांतकारों ने भाषा के अध्ययन के विभिन्न पहलुओं को समझने और विश्लेषण करने के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया है। यहाँ कुछ प्रमुख सिद्धांतकार और उनके योगदान का विवरण दिया गया है: |
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| + | '''1. नोम चॉम्स्की (Noam Chomsky):''' |
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| + | '''सिद्धांत:''' उत्पादनात्मक व्याकरण (Generative Grammar), सार्वभौमिक व्याकरण (Universal Grammar) |
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| + | '''योगदान:''' चॉम्स्की ने भाषा की संरचना को समझने के लिए उत्पादनात्मक व्याकरण का सिद्धांत प्रस्तुत किया, जिसमें गहन संरचना (Deep Structure) और सतह संरचना (Surface Structure) की अवधारणाएँ शामिल हैं। उन्होंने यह भी प्रस्तावित किया कि सभी मानव भाषाओं में एक सामान्य व्याकरणिक ढांचा होता है जो मानव मस्तिष्क में निहित है। |
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| + | '''2. फर्डिनेंड डी सॉसुर (Ferdinand de Saussure):''' |
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| + | '''सिद्धांत''': स्ट्रक्चरलिज़्म (Structuralism) |
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| + | '''योगदान:''' सॉसुर ने भाषा को एक संरचना के रूप में देखने का प्रस्ताव दिया, जिसमें 'सिंक्रोनिक' (समकालीन) और 'डायाक्रोनिक' (इतिहासिक) दृष्टिकोण शामिल हैं। उन्होंने भाषा के अध्ययन के लिए 'साइन' (चिह्न) की अवधारणा प्रस्तुत की, जिसमें 'साइनिफायर' (संकेतक) और 'साइनिफाइड' (संकेतित) शामिल हैं। |
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| + | '''3. विलियम लाबोव (William Labov):''' |
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| + | '''सिद्धांत''': सामाजिक भाषा विज्ञान (Sociolinguistics) |
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| + | '''योगदान:''' लाबोव ने भाषा और समाज के बीच संबंधों का अध्ययन किया, जिसमें उन्होंने सामाजिक वर्ग, गुट और भाषाई विविधता के प्रभावों का विश्लेषण किया। उनके काम ने भाषा के सामाजिक और सांस्कृतिक संदर्भों को समझने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। |
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| + | '''4. जॉन ऑस्टिन (John Austin) और जॉन सेरले (John Searle):''' |
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| + | '''सिद्धांत:''' प्रागमैटिक्स (Pragmatics) और वाक्य क्रिया सिद्धांत (Speech Act Theory) |
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| + | '''योगदान:''' ऑस्टिन और सेरले ने भाषा के उपयोग और संदर्भ के अध्ययन पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने वाक्य क्रिया सिद्धांत (Speech Act Theory) विकसित किया, जिसमें यह बताया गया कि किस प्रकार वक्ता के द्वारा बोले गए शब्दों का सामाजिक और क्रियात्मक प्रभाव पड़ता है। |
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| + | '''5. एडवर्ड सपिर (Edward Sapir) और बेंजामिन ली व्हॉर्फ (Benjamin Lee Whorf):''' |
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| + | '''सिद्धांत:''' सपिर-व्हॉर्फ हाइपोथीसिस (Sapir-Whorf Hypothesis) |
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| + | '''योगदान:''' सपिर और व्हॉर्फ ने यह प्रस्तावित किया कि भाषा हमारे विचारों और संसार के दृष्टिकोण को प्रभावित करती है। उनके अनुसार, विभिन्न भाषाओं के बोलने वाले व्यक्ति संसार को अलग-अलग तरीकों से अनुभव करते हैं। |
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| + | '''6. रोमन जैकब्सन (Roman Jakobson):''' |
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| + | '''सिद्धांत:''' स्ट्रक्चरलिज़्म (Structuralism) और संप्रेषण मॉडल (Communication Model) |
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| + | '''योगदान:''' जैकब्सन ने भाषा के कार्यों और संरचनाओं का अध्ययन किया। उन्होंने संप्रेषण मॉडल विकसित किया, जिसमें भाषा के विभिन्न कार्यों जैसे संदर्भात्मक, भावात्मक, संकेतिक, सौंदर्यात्मक और फाटिक कार्यों का वर्णन किया। |
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| + | '''7.हर्बर्ट पॉल ग्राइस (H. P. Grice):''' |
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| + | सिद्धांत: प्रागमैटिक्स (Pragmatics) और संवाद के अधिकतम सिद्धांत (Maxims of Conversation) |
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| + | '''योगदान:''' ग्राइस ने वार्तालापीय अधिकतम (Conversational Maxims) का सिद्धांत प्रस्तुत किया, जिसमें उन्होंने संवाद में उपयोग होने वाले चार प्रमुख सिद्धांतों का वर्णन किया: गुणवत्ता, मात्रा, संबंध, और रीति। |
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| + | '''8.डेल हाइम्स (Dell Hymes):''' |
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| + | *'''सिद्धांत:''' एथ्नोग्राफी ऑफ़ स्पीकिंग (Ethnography of Speaking) |
| + | *'''योगदान:''' हाइम्स ने भाषा के सामाजिक और सांस्कृतिक संदर्भों का अध्ययन किया। उन्होंने भाषाई समुदायों के संचार पैटर्न और भाषाई व्यवहार का विश्लेषण किया। |
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| + | ये सिद्धांतकार आधुनिक भाषा विज्ञान में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले प्रमुख व्यक्ति हैं और उनके सिद्धांतों ने भाषा के विभिन्न पहलुओं को समझने और विश्लेषण करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। |
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| ==भाषा की उत्पत्ति== | | ==भाषा की उत्पत्ति== |
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| #तुलनात्मक भाषा-विज्ञान | | #तुलनात्मक भाषा-विज्ञान |
| #सैद्धान्तिक भाषा-विज्ञान | | #सैद्धान्तिक भाषा-विज्ञान |
| + | पश्चिम में वर्तमान भाषा-विज्ञान का आरंभ १७८६ ई० में विलियम जोन्स द्वारा हुआ। उन्होंने संस्कृत, लैटिन, ग्रीक के तुलनात्मक अध्ययन के संकेत दिए। पश्चिम में भाषा-विज्ञान के लिये सर्वप्रथम 'कम्पेरेटिव ग्रामर' (Comparative Grammar) नाम दिया गया। वहाँ पहले व्याकरण और भाषा-विज्ञान में कोई भेद नहीं किया जाता था। भाषाओं की तुलना पर बल देने के कारण १८वीं शताब्दी में इसे कम्पेरेटिव फिलोलॉजी (Comparative Philology) नाम दिया गया। भाषा-विज्ञान तुलनात्मक ही होता है, इसलिए कम्पेरेटिव शब्द का त्याग कर दिया गया। |
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| + | डेवीज ने १८१७ ई० में भाषा-विज्ञान के लिये ग्लासोलोजी (Glossology) शब्द का प्रयोग किया, पर यह नाम भी नहीं चला। |
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| + | 1841 ई० में प्रिचर्ड ने ग्लाटोलोजी (Glattology) नाम प्रस्तुत किया जो चल नहीं सका। |
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| + | उपर्युक्त नामों में से फिलोलॉजी शब्द आज तक चल रहा है। अंग्रेजी में इसके लिए साइंस ऑफ लेंग्वेज (Science of Language) नाम का प्रचलन है। <ref>प्रो० अंजू थापा, [https://www.distanceeducationju.in/pdf/HIN-301%20(Bhasha%20Vigyan).pdf भाषा विज्ञान-एम० ए० हिन्दी], सन् २०२३, दूरस्थ एवं ऑनलाइन शिक्षा निदेशालय, जम्मू विश्वविद्यालय, जम्मू (पृ० 14)।</ref> |
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| + | अँग्रेजी में इसके लिए साईंस ऑफ लेंग्वेज (Science of Language) नाम का प्रचलन है। वर्तमान में अधिक प्रचलित नाम लिंग्विस्टिक्स (Linguistics) है। यह शब्द लैटिन के शब्द लिंगुआ (Lingua) से बना है, जिसका अर्थ है-जीभ। भाषाविज्ञान के अर्थ में लेंगिस्टीक (Linguistique) शब्द का प्रचलन फ्रांस में हुआ और 18वीं शताब्दी के चौथे दशक में अंग्रेजी में यह Linguistic नाम से ग्रहण किया गया। छठे दशक में यह शब्द (Linguistics) के रूप में अपनाया गया और आज तक यही नाम अधिक प्रचलित है। जर्मन भाषा में भाषाविज्ञान के लिए स्प्राचविस्सेनशाफ्ट (Sprachwissenschaft) नाम है। रूसी भाषा में इसके लिए 'यजिकाज्नानिमे' शब्द है। इसमें 'यज़िक' का अर्थ भाषा है और 'ज्नानिमे का अर्थ विज्ञान है। |
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| ==भाषा-विज्ञान की उपयोगिता== | | ==भाषा-विज्ञान की उपयोगिता== |