शून्य और अनंत यह दोनों ही संकल्पनाएँ इस पूर्णत्व की शोध प्रक्रिया का ही प्रतिफल है । ० से ९ तक के ऑंकडे भी पूर्णत्व के प्रतीक ही है । वेदों से भी अत्यंत प्राचीन काल से चले आ रहे इन भारतीय ऑंकडों में और एक ऑंकडा जोडने की आजतक किसी को आवश्यकता नहीं लगी । यही इस अंक प्रणालि के पूर्णत्व का लक्षण है । हमारे भारतीय पूर्वजों ने विकसित की हुई अंकगणित की जोड, घट, गुणाकार, भागाकार, वर्गमूल, घनमूल, कलन और अवकलन की आठ क्रियाएं भी पूर्णता का ही लक्षण है । इसी तरह गो-आधारित कृषि का तंत्र भी ऐसा पूर्ण है की जबतक सृष्टि में मानव है यह कृषि प्रणालि मानव की अन्न की आवश्यकताएं हमेशा पूर्ण करती रहेगी । | शून्य और अनंत यह दोनों ही संकल्पनाएँ इस पूर्णत्व की शोध प्रक्रिया का ही प्रतिफल है । ० से ९ तक के ऑंकडे भी पूर्णत्व के प्रतीक ही है । वेदों से भी अत्यंत प्राचीन काल से चले आ रहे इन भारतीय ऑंकडों में और एक ऑंकडा जोडने की आजतक किसी को आवश्यकता नहीं लगी । यही इस अंक प्रणालि के पूर्णत्व का लक्षण है । हमारे भारतीय पूर्वजों ने विकसित की हुई अंकगणित की जोड, घट, गुणाकार, भागाकार, वर्गमूल, घनमूल, कलन और अवकलन की आठ क्रियाएं भी पूर्णता का ही लक्षण है । इसी तरह गो-आधारित कृषि का तंत्र भी ऐसा पूर्ण है की जबतक सृष्टि में मानव है यह कृषि प्रणालि मानव की अन्न की आवश्यकताएं हमेशा पूर्ण करती रहेगी । |