Line 2: |
Line 2: |
| | | |
| == परिचय == | | == परिचय == |
− | जय संहिता | + | जय संहिता - इस ग्रन्थ का मौलिक रूप जय नाम से प्रसिद्ध था। इस ग्रन्थ में नारायण, नर, सरस्वती देवी को नमस्कार कर जिस जय नामक ग्रन्थ के पठन का विधान है वह महाभारत का मूल प्रतीत होता है। पाण्डवों के विजय वर्णन के कारण ही इस ग्रन्थ का ऐसा नामकरण किया गया है - जयो नामेतिहासोऽयं श्रोतव्यो विजिगीषुणा। (महाभा० आदि० ६२-२०) |
| | | |
| भारत - दूसरे ग्रंथों इसका नाम भारत पडा। इसमें उपाख्यानों का समावेशन नहीं था। केवल युद्ध का विस्तृत वर्णन ही प्रधान विषय था। इसी भारत को वैशम्पायन ने पढकर जनमेजय को सुनाया था। | | भारत - दूसरे ग्रंथों इसका नाम भारत पडा। इसमें उपाख्यानों का समावेशन नहीं था। केवल युद्ध का विस्तृत वर्णन ही प्रधान विषय था। इसी भारत को वैशम्पायन ने पढकर जनमेजय को सुनाया था। |
Line 8: |
Line 8: |
| महाभारत - इस ग्रन्थ का यही अन्तिम रूप है। इसमें एक लाख श्लोक बतलाये जाते हैं। यह श्लोक संख्या अट्ठारह पर्वों की ही नहीं है, किन्तु हरिवंश के मिलाने से ही एक लाख तक पहुँचती है। आश्वलायन गृह्यसूत्र में भी भारत के साथ महाभारत का नाम निर्दिष्ट है। | | महाभारत - इस ग्रन्थ का यही अन्तिम रूप है। इसमें एक लाख श्लोक बतलाये जाते हैं। यह श्लोक संख्या अट्ठारह पर्वों की ही नहीं है, किन्तु हरिवंश के मिलाने से ही एक लाख तक पहुँचती है। आश्वलायन गृह्यसूत्र में भी भारत के साथ महाभारत का नाम निर्दिष्ट है। |
| | | |
− | == महाभारत का वर्ण्यविषय == | + | ==महाभारत का वर्ण्यविषय== |
| | | |
− | == महाभारत में आख्यान ==
| + | *महाभारत को शतसाहस्र संहिता भी कहा जाता है। |
| + | * |
| | | |
− | == महाभारत का संक्षिप्त परिचय == | + | ==महाभारत में आख्यान== |
| + | |
| + | ==महाभारतीय प्रमुख युद्ध== |
| + | |
| + | *प्रथम दिवसीय युद्ध - भीमसेन का कौरव पक्ष के योद्धाओं से युद्ध। |
| + | *शल्य-उत्तर का युद्ध |
| + | *भीष्म-श्वेत युद्ध |
| + | *द्वितीय दिवसीय युद्ध - क्रौंच व्यूह का निर्माण |
| + | *भीष्म-अर्जुन युद्ध |
| + | *तृतीय दिवसीय युद्ध - भीष्म द्वारा गरुड व्यूह की रचना |
| + | *अर्जुन द्वारा अर्धचन्द्राकार व्यूह की रचना |
| + | *भीष्मार्जुन युद्ध |
| + | *चतुर्थ दिवसीय युद्ध - दोनों सेनाओं का व्यूह निर्माण और धृष्टद्युम्न एवं भीमसेन का कौरव सेना के साथ युद्ध |
| + | *घटोत्कच-भगदत्त युद्ध |
| + | *पंचम दिवसीय युद्ध - कौरवों का मकर व्यूह और पांडवों का श्येन व्यूह |
| + | *भीमसेन और भीष्म का युद्ध |
| + | * विराट और भीष्म का युद्ध |
| + | *अश्वत्थामा-अर्जुन का युद्ध |
| + | *दुर्योधन-भीमसेन का युद्ध |
| + | * अभिमन्यु और लक्ष्मण का युद्ध |
| + | *सात्यकि और भूरिश्रवा का युद्ध |
| + | *षड् दिवसीय युद्ध - पांडवों का मकरव्यूह तथा कौरवों द्वारा क्रौञ्च व्यूह। |
| + | *भीमसेन का कौरव योद्धाओं के साथ युद्ध |
| + | *धृष्टद्युम्न का कौरव पक्षीय योद्धाओं के साथ युद्ध |
| + | *भीमसेन द्वारा दुर्योधन की पराजय |
| + | *अभिमन्यु का कौरव पक्षीय योद्धाओं के साथ युद्ध |
| + | *सप्त दिवसीय युद्ध - |
| + | |
| + | ==महाभारत का संक्षिप्त परिचय== |
| महाभारत की कथा एवं कथावस्तु मुख्य रूप से कौरवों और पाण्डवों के वंश के इतिहास और उनके राज्य के अधिकार तथा युद्ध पर आधारित है। महाभारत रचना के विषय में यह प्रसिद्ध श्लोक प्राप्त होता है कि - | | महाभारत की कथा एवं कथावस्तु मुख्य रूप से कौरवों और पाण्डवों के वंश के इतिहास और उनके राज्य के अधिकार तथा युद्ध पर आधारित है। महाभारत रचना के विषय में यह प्रसिद्ध श्लोक प्राप्त होता है कि - |
| | | |
− | == महाभारत का पर्वानुसार संक्षिप्त परिचय== | + | त्रिभिर्वर्षैः सदोत्थायी कृष्णद्वैपायनो मुनिः। महाभारतमाख्यानं कृतवानिदमद्भुतम्॥ |
− | वर्तमान में उपलब्ध महाभारत हरिवंश पुराण समेत १९ पर्वों से युक्त माना जाता है, जिसमें एक लाख श्लोक हैं। यह एक विशद् महाकाव्य है। यहाँ हम उनकी संक्षिप्त कथाएँ प्रस्तत करेंगे - | + | |
| + | '''भावार्थ -''' प्रतिदिन प्रातःकाल उठकर इस ग्रन्थका निर्माण करने वाले महामुनि श्रीकृष्णद्वैपायन ने महाभारत नामक इस अद्भुत इतिहास (आख्यान) को तीन वर्षों में पूर्ण किया है। |
| + | |
| + | ==महाभारत का पर्वानुसार संक्षिप्त परिचय== |
| + | वर्तमान में उपलब्ध महाभारत हरिवंश पुराण समेत १९ पर्वों से युक्त माना जाता है, जिसमें एक लाख श्लोक हैं। यह एक विशद् महाकाव्य है। यहाँ हम उनकी संक्षिप्त कथाएँ प्रस्तत करेंगे -<ref>शोधगंगा- बृजेश कुमार द्विवेदी, [http://hdl.handle.net/10603/313405 महाभारत में युद्ध विज्ञान], सन् २०१०, महात्मा गाँधी काशी विद्यापीठ, (पृ० १३१)।</ref> |
| | | |
| #आदिपर्व | | #आदिपर्व |