निरुक्त निर्वचनप्रधान शास्त्र है, जिसमें महर्षि यास्क ने बहुत से वैदिक मन्त्रों की व्याख्या नवीन शैली में प्रस्तुत की है। निरुक्त में निघण्टु के कहे गये वैदिक शब्दों की व्याख्या की गयी है, इसे निघण्टु का भाष्य भी कहते हैं। वेदों से निकाल एकत्र संग्रहीत किये गये वैदिक कठिन पदों के संग्रह का नाम ही निघण्टु रखा गया, तथा परवर्ती आचार्यों द्वारा निघण्टु पदों की जो व्याख्या की गयी, उसी व्याख्यान-ग्रन्थ को निरुक्त के नाम से अभिहित किया गया, अनेक आचार्यों ने निघण्टु ग्रन्थ पर अपनी-अपनी व्याख्यायें की, परंतु वर्तमान में जो निरुक्त प्राप्त होता है, वह यास्क कृत निरुक्त माना जाता है। | निरुक्त निर्वचनप्रधान शास्त्र है, जिसमें महर्षि यास्क ने बहुत से वैदिक मन्त्रों की व्याख्या नवीन शैली में प्रस्तुत की है। निरुक्त में निघण्टु के कहे गये वैदिक शब्दों की व्याख्या की गयी है, इसे निघण्टु का भाष्य भी कहते हैं। वेदों से निकाल एकत्र संग्रहीत किये गये वैदिक कठिन पदों के संग्रह का नाम ही निघण्टु रखा गया, तथा परवर्ती आचार्यों द्वारा निघण्टु पदों की जो व्याख्या की गयी, उसी व्याख्यान-ग्रन्थ को निरुक्त के नाम से अभिहित किया गया, अनेक आचार्यों ने निघण्टु ग्रन्थ पर अपनी-अपनी व्याख्यायें की, परंतु वर्तमान में जो निरुक्त प्राप्त होता है, वह यास्क कृत निरुक्त माना जाता है। |