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ग्रहण आकाशीय अद्भुत चमत्कृतिका अनोखा दृश्य है। उससे अश्रुतपूर्व, अद्भुत ज्योतिष्क-ज्ञान और ग्रह-उपग्रहोंकी गतिविधि एवं स्वरूपका परिस्फुट परिचय प्राप्त हुआ है। आकाशीय यह घटना भारतीय मनीषियोंको अत्यन्त प्राचीनकालसे अभिज्ञात रही है और इस पर धार्मिक तथा वैज्ञानिक विवेचन धार्मिक एवं ज्योतिषीय ग्रन्थों में प्राप्त होता आया है। महर्षि अत्रिमुनि ग्रहण ज्ञानके उपज्ञ(प्रथम ज्ञाता) आचार्य थे। ऋग्वेदीय प्रकाशकालसे ग्रहणके ऊपर अध्ययन, मनन और स्थापन होते चले आये हैं। गणितके बलपर ग्रहणका पूर्ण पर्यवेक्षण प्रायः पर्यवसित हो चुका है।