Changes

Jump to navigation Jump to search
सुधार जारि
Line 8: Line 8:  
== परिभाषा ==
 
== परिभाषा ==
   −
 
+
जिस स्कन्ध में सभी प्रकार की गणितीय प्रक्रिया के साथ उपपत्तियों का समावेश है, वह सिद्धान्त स्कन्ध है। ग्रह, नक्षत्र एवं तारों की स्थिति आदि निरूपण में गणितशास्त्र के मूल सिद्धान्तों का उद्भव एवं विकास हुआ।
 
== सिद्धान्त ज्योतिष के भेद ==
 
== सिद्धान्त ज्योतिष के भेद ==
 
सिद्धान्त ज्योतिष के प्रमुख तीन भेद होते हैं- प्रथम सिद्धान्त, द्वितीय तन्त्र और तृतीय करण।
 
सिद्धान्त ज्योतिष के प्रमुख तीन भेद होते हैं- प्रथम सिद्धान्त, द्वितीय तन्त्र और तृतीय करण।
Line 25: Line 25:     
== सिद्धान्त स्कन्ध के प्रसिद्ध आचार्य व ग्रन्थ ==
 
== सिद्धान्त स्कन्ध के प्रसिद्ध आचार्य व ग्रन्थ ==
आचार्य लगध से प्रारम्भ कर आचार्य सुधाकर पर्यन्त जो मूल सिद्धान्त ग्रन्थ के प्रणेता हैं उनका संक्षिप्त परिचय दिया जा रहा है-{{columns-list|colwidth=10em|style=width: 800px; font-style: normal;|
+
आचार्य लगध से प्रारम्भ कर आचार्य सुधाकर पर्यन्त जो मूल सिद्धान्त ग्रन्थ के प्रणेता हुये हैं वह इस प्रकार से हैं-{{columns-list|colwidth=10em|style=width: 800px; font-style: normal;|
    
लगधाचार्य - वेदांग ज्योतिष
 
लगधाचार्य - वेदांग ज्योतिष
Line 31: Line 31:  
आर्यभट - आर्यभटीय
 
आर्यभट - आर्यभटीय
   −
लल्लाचार्य - शिष्यधीवृद्धिदतन्त्रम्
+
लल्लाचार्य-शिष्यधीवृद्धिदतन्त्रम्
    
वराहमिहिर - पञ्चसिद्धान्तिका
 
वराहमिहिर - पञ्चसिद्धान्तिका
Line 53: Line 53:  
मुनीश्वर- सिद्धान्तसार्वभौम
 
मुनीश्वर- सिद्धान्तसार्वभौम
   −
आचार्य सुधाकर द्विवेदी - गणकतरंगिणी}}
+
आचार्य सुधाकर द्विवेदी-गणकतरंगिणी}}
    
उपर्युक्त आचार्य एवं उनके ग्रन्थ कालान्तर में अत्यन्त प्रसिद्ध हुये। परन्तु इसके अतिरिक्त भी अनेक आचार्य हुए जिन्होंने सिद्धान्त विषय में ग्रन्थों की रचना की।
 
उपर्युक्त आचार्य एवं उनके ग्रन्थ कालान्तर में अत्यन्त प्रसिद्ध हुये। परन्तु इसके अतिरिक्त भी अनेक आचार्य हुए जिन्होंने सिद्धान्त विषय में ग्रन्थों की रचना की।
Line 59: Line 59:  
== सिद्धान्त स्कन्ध के प्रमुख विषय ==
 
== सिद्धान्त स्कन्ध के प्रमुख विषय ==
 
सिद्धान्त ज्योतिष के अन्तर्गत परिगणित किये जाने वाले विषयों में निम्न प्रमुख है- गणित के तीन भेद, पाटीगणित, बीजगणित और व्यक्ताव्यक्तगणित, अहर्गण आनयन, भूपरिधि साधन, देशान्तर ज्ञान, उदयान्तर साधन, चरकाल ज्ञान, अयनांश विचार, ग्रहण विचार, भूगोल वर्णन, मध्यमाधिकार, ग्रहस्पष्टीकरण दिग्देशकालसंज्ञक त्रिप्रश्न, छेद्यकाधिकार, ग्रहयुत्यधिकार, भग्रहयुति, पातविचार, कालमान, चन्द्रश्रृङ्गोन्नति इत्यादि । सिद्धान्त ज्योतिष के विविध ग्रन्थ व ग्रन्थकारों के वर्णन के संदर्भ में भी विविध विषयों का निरूपण किया गया। सिद्धान्तज्योतिष अन्तर्गत समागत विषयों के सन्दर्भ में बृहत्संहिता ग्रन्थ में आचार्यवराहमिहिर ने दैवज्ञलक्षणवर्णन के सन्दर्भ में विस्तार से वर्णन किया कि एक दैवज्ञ को किन किन विषयों का ज्ञाता होना चाहिये, इस वर्णन के सन्दर्भ में सिद्धान्त ज्योतिष से संबंधित निम्न विषयों का उल्लेख किया।
 
सिद्धान्त ज्योतिष के अन्तर्गत परिगणित किये जाने वाले विषयों में निम्न प्रमुख है- गणित के तीन भेद, पाटीगणित, बीजगणित और व्यक्ताव्यक्तगणित, अहर्गण आनयन, भूपरिधि साधन, देशान्तर ज्ञान, उदयान्तर साधन, चरकाल ज्ञान, अयनांश विचार, ग्रहण विचार, भूगोल वर्णन, मध्यमाधिकार, ग्रहस्पष्टीकरण दिग्देशकालसंज्ञक त्रिप्रश्न, छेद्यकाधिकार, ग्रहयुत्यधिकार, भग्रहयुति, पातविचार, कालमान, चन्द्रश्रृङ्गोन्नति इत्यादि । सिद्धान्त ज्योतिष के विविध ग्रन्थ व ग्रन्थकारों के वर्णन के संदर्भ में भी विविध विषयों का निरूपण किया गया। सिद्धान्तज्योतिष अन्तर्गत समागत विषयों के सन्दर्भ में बृहत्संहिता ग्रन्थ में आचार्यवराहमिहिर ने दैवज्ञलक्षणवर्णन के सन्दर्भ में विस्तार से वर्णन किया कि एक दैवज्ञ को किन किन विषयों का ज्ञाता होना चाहिये, इस वर्णन के सन्दर्भ में सिद्धान्त ज्योतिष से संबंधित निम्न विषयों का उल्लेख किया।
 +
 +
== सिद्धान्त स्कन्ध का महत्त्व ==
 +
गणित, कालक्रिया और गोल का सामंजस्य स्थापित करना ही सिद्धान्त ज्योतिष की मुख्य प्रवृत्ति है। ये तीनों विषय आपस में अन्योन्याश्रय सम्बन्ध को रखते है। अर्थात् ये तीनों की युगपत् (एक साथ) स्थिति हो सकती है तथा अलग अलग इनका अस्तित्व नहीं है। काल गणित तथा गोल पर आश्रित है। ग्रहों की स्थिति गति आदि विषय केवल काल साधन में ही नहीं बल्कि ज्योतिष के सिद्धान्त के अतिरिक्त स्कन्धों  के लिये भी महत्वपूर्ण है। फलादेश हेतु स्पष्टग्रहों की आवश्यकता होती है तथा ग्रहों के आधार पर प्राकृतिक आपदाओं का ज्ञान किया जाता है।
    
== उद्धरण ==
 
== उद्धरण ==
911

edits

Navigation menu