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{| class="wikitable"
 
{| class="wikitable"
|+नक्षत्रों के नाम, स्वामी, पर्यायवाची एवं
+
|+नक्षत्रों के नाम, पर्यायवाची, देवता, तारकसंख्या एवं आकृति
 
!क्र०सं०
 
!क्र०सं०
 
!नक्षत्र नाम
 
!नक्षत्र नाम
 
!पर्यायवाची
 
!पर्यायवाची
 
!नक्षत्र स्वामी
 
!नक्षत्र स्वामी
 +
!तारकसंख्या
 +
!आकृतिः
 
|-
 
|-
 
|1
 
|1
Line 28: Line 30:  
|नासत्य, दस्र, अश्वियुक् तुरग, वाजी, अश्व, हय।
 
|नासत्य, दस्र, अश्वियुक् तुरग, वाजी, अश्व, हय।
 
|अश्विनी कुमार
 
|अश्विनी कुमार
 +
|3
 +
|अश्वमुख
 
|-
 
|-
 
|2
 
|2
Line 33: Line 37:  
|अन्तक, यम, कृतान्त।
 
|अन्तक, यम, कृतान्त।
 
|यम
 
|यम
 +
|3
 +
|योनि
 
|-
 
|-
 
|3
 
|3
Line 38: Line 44:  
|अग्नि, वह्नि, अनल, कृशानु, दहन, पावक, हुतभुक् , हुताश।
 
|अग्नि, वह्नि, अनल, कृशानु, दहन, पावक, हुतभुक् , हुताश।
 
|अग्नि
 
|अग्नि
 +
|6
 +
|क्षुरा
 
|-
 
|-
 
|4
 
|4
Line 43: Line 51:  
|धाता, ब्रह्मा, कः, विधाता, द्रुहिण, विधि, विरञ्चि, प्रजापति।
 
|धाता, ब्रह्मा, कः, विधाता, द्रुहिण, विधि, विरञ्चि, प्रजापति।
 
|ब्रह्मा
 
|ब्रह्मा
 +
|5
 +
|शकट
 
|-
 
|-
 
|5
 
|5
Line 48: Line 58:  
|शशभृत् , शशी, शशांक, मृगांक, विधु, हिमांशु, सुधांशु।
 
|शशभृत् , शशी, शशांक, मृगांक, विधु, हिमांशु, सुधांशु।
 
|चन्द्रमा
 
|चन्द्रमा
 +
|3
 +
|मृगास्य
 
|-
 
|-
 
|6
 
|6
Line 53: Line 65:  
|रुद्र, शिव, ईश, त्रिनेत्र।
 
|रुद्र, शिव, ईश, त्रिनेत्र।
 
|रुद्र
 
|रुद्र
 +
|1
 +
|मणि
 
|-
 
|-
 
|7
 
|7
Line 58: Line 72:  
|अदिति, आदित्य।
 
|अदिति, आदित्य।
 
|अदिति
 
|अदिति
 +
|4
 +
|गृह
 
|-
 
|-
 
|8
 
|8
Line 63: Line 79:  
|ईज्य, गुरु, जीव, तिष्य, देवपुरोहित।
 
|ईज्य, गुरु, जीव, तिष्य, देवपुरोहित।
 
|बृहस्पति
 
|बृहस्पति
 +
|3
 +
|शर
 
|-
 
|-
 
|9
 
|9
Line 68: Line 86:  
|सर्प, उरग, भुजग, भुजंग, अहि, भोगी।
 
|सर्प, उरग, भुजग, भुजंग, अहि, भोगी।
 
|सर्प
 
|सर्प
 +
|5
 +
|चक्र
 
|-
 
|-
 
|10
 
|10
Line 73: Line 93:  
|पितृ, पितर।
 
|पितृ, पितर।
 
|पितर
 
|पितर
 +
|5
 +
|भवन
 
|-
 
|-
 
|11
 
|11
Line 78: Line 100:  
|भग, योनि, भाग्य।
 
|भग, योनि, भाग्य।
 
|भग(सूर्य विशेष)
 
|भग(सूर्य विशेष)
 +
|2
 +
|मञ्च
 
|-
 
|-
 
|12
 
|12
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|अर्यमा।
 
|अर्यमा।
 
|अर्यमा(सूर्य विशेष)
 
|अर्यमा(सूर्य विशेष)
 +
|2
 +
|शय्या
 
|-
 
|-
 
|13
 
|13
Line 88: Line 114:  
|रवि, कर, सूर्य, व्रघ्न, अर्क, तरणि, तपन।
 
|रवि, कर, सूर्य, व्रघ्न, अर्क, तरणि, तपन।
 
|रवि
 
|रवि
 +
|5
 +
|हस्त
 
|-
 
|-
 
|14
 
|14
Line 93: Line 121:  
|त्वष्टृ, त्वाष्ट्र, तक्ष।
 
|त्वष्टृ, त्वाष्ट्र, तक्ष।
 
|त्वष्टा(विश्वकर्मा)
 
|त्वष्टा(विश्वकर्मा)
 +
|1
 +
|मुक्ता
 
|-
 
|-
 
|15
 
|15
Line 98: Line 128:  
|वायु, वात, अनिल, समीर, पवन, मारुत।
 
|वायु, वात, अनिल, समीर, पवन, मारुत।
 
|वायु
 
|वायु
 +
|1
 +
|मूँगा
 
|-
 
|-
 
|16
 
|16
Line 103: Line 135:  
|शक्राग्नी, वृषाग्नी, इन्द्राग्नी, द्वीश, राधा।
 
|शक्राग्नी, वृषाग्नी, इन्द्राग्नी, द्वीश, राधा।
 
|अग्नि और इन्द्र
 
|अग्नि और इन्द्र
 +
|4
 +
|तोरण
 
|-
 
|-
 
|17
 
|17
Line 108: Line 142:  
|मित्र।
 
|मित्र।
 
|मित्र(सूर्य विशेष)
 
|मित्र(सूर्य विशेष)
 +
|4
 +
|बलि
 
|-
 
|-
 
|18
 
|18
Line 113: Line 149:  
|इन्द्र, शक्र, वासव, आखण्डल, पुरन्दर।
 
|इन्द्र, शक्र, वासव, आखण्डल, पुरन्दर।
 
|इन्द्र
 
|इन्द्र
 +
|3
 +
|कुण्डल
 
|-
 
|-
 
|19
 
|19
Line 118: Line 156:  
|निरृति, रक्षः, अस्रप।
 
|निरृति, रक्षः, अस्रप।
 
|निरृति(राक्षस)
 
|निरृति(राक्षस)
 +
|11
 +
|सिंहपुच्छ
 
|-
 
|-
 
|20
 
|20
Line 123: Line 163:  
|जल, नीर, उदक, अम्बु, तोय।
 
|जल, नीर, उदक, अम्बु, तोय।
 
|जल
 
|जल
 +
|2
 +
|गजदन्त
 
|-
 
|-
 
|21
 
|21
Line 128: Line 170:  
|विश्वे, विश्वेदेव।
 
|विश्वे, विश्वेदेव।
 
|विश्वेदेव
 
|विश्वेदेव
 +
|2
 +
|मञ्च
 
|-
 
|-
 
|22
 
|22
Line 133: Line 177:  
|विधि, विरञ्चि, धाता, विधाता।
 
|विधि, विरञ्चि, धाता, विधाता।
 
|ब्रह्मा
 
|ब्रह्मा
 +
|3
 +
|त्रिकोण
 
|-
 
|-
 
|23
 
|23
Line 138: Line 184:  
|गोविन्द, विष्णु, श्रुति, कर्ण, श्रवः।
 
|गोविन्द, विष्णु, श्रुति, कर्ण, श्रवः।
 
|विष्णु
 
|विष्णु
 +
|3
 +
|वामन
 
|-
 
|-
 
|24
 
|24
 
|धनिष्ठा
 
|धनिष्ठा
 
|वसु, श्रविष्ठा।
 
|वसु, श्रविष्ठा।
|
+
|अष्टवसु
 +
|4
 +
|मृदंग
 
|-
 
|-
 
|25
 
|25
 
|शतभिषा
 
|शतभिषा
 
|वरुण, अपांपति, नीरेश, जलेश।
 
|वरुण, अपांपति, नीरेश, जलेश।
|अष्टवसु
+
|वरुण
 +
|100
 +
|वृत्तम्
 
|-
 
|-
 
|26
 
|26
 
|पूर्वाभाद्रपदा
 
|पूर्वाभाद्रपदा
 
|अजपाद, अजचरण, अजांघ्रि।
 
|अजपाद, अजचरण, अजांघ्रि।
|वरुण
+
|अजचरण (सूर्य विशेष)
 +
|2
 +
|मंच
 
|-
 
|-
 
|27
 
|27
Line 158: Line 212:  
|अहिर्बुध्न्य नाम के सूर्य।
 
|अहिर्बुध्न्य नाम के सूर्य।
 
|अहिर्बुध्न्य(सूर्यविशेष)
 
|अहिर्बुध्न्य(सूर्यविशेष)
 +
|2
 +
|यमल
 
|-
 
|-
 
|28
 
|28
Line 163: Line 219:  
|पूषा नाम के सूर्य, अन्त्य, पौष्ण।
 
|पूषा नाम के सूर्य, अन्त्य, पौष्ण।
 
|पूषा(सूर्य विशेष)
 
|पूषा(सूर्य विशेष)
 +
|32
 +
|मृदंग
 
|}
 
|}
    
== नक्षत्र फल ==
 
== नक्षत्र फल ==
 
आश्विन्यामतिबुद्धिवित्तविनयप्रज्ञायशस्वी सुखी याम्यर्क्षे विकलोऽन्यदारनिरतः क्रूरः कृतघ्नी धनी। तेजस्वी बहुलोद्भवः प्रभुसमोऽमूर्खश्च विद्याधनी। रोहिण्यां पररन्ध्रवित्कृशतनुर्बोधी परस्त्रीरतः॥
 
आश्विन्यामतिबुद्धिवित्तविनयप्रज्ञायशस्वी सुखी याम्यर्क्षे विकलोऽन्यदारनिरतः क्रूरः कृतघ्नी धनी। तेजस्वी बहुलोद्भवः प्रभुसमोऽमूर्खश्च विद्याधनी। रोहिण्यां पररन्ध्रवित्कृशतनुर्बोधी परस्त्रीरतः॥
 +
 +
चान्द्रे सौम्यमनोऽटनः कुटिलदृक् कामातुरो रोगवान् आर्द्रायामधनश्चलोऽधिकबलः क्षुद्रक्रियाशीलवान् । मूढात्मा च पुनर्वसौ धनबलख्यातः कविः कामुकस्तिष्ये विप्रसुरप्रियः सघनधी राजप्रियो बन्धुमान् ॥
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सार्पे मूढमतिः कृतघ्नवचनः कोपी दुराचारवान् । गर्वी पुण्यरतः कलत्रवशगो मानी मघायां धनी॥ फल्गुन्यां चपलः कुकर्मचरितस्त्यागी दृढः कामुको। भोगी चोत्तरफल्गुनीभजनितो मानी कृतज्ञः सुधीः॥
 +
 +
हस्तर्क्षे यदि कामधर्मनिरतः प्राज्ञोपकर्ता धनी। चित्रायामतिगुप्तशीलनिरतो मानी परस्त्रीरतः॥ स्वातयां देवमहीसुरप्रियकरो भोगी धनी मन्दधीः। गर्वी दारवशो जितारिरधिकक्रोधी विशाखोद्भवः॥
 +
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मैत्रे सुप्रियवाग् धनीः सुखरतः पूज्यो यशस्वी विभु र्ज्येष्ठायामतिकोपवान् परवधूसक्तो विभुर्धार्मिकः। मूलर्क्षे पटुवाग्विधूतकुशलो धूर्तः कृतघ्नो धनी पूर्वाषाढभवो विकारचरितो मानी सुखी शान्तधीः॥
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मान्यः शान्तः सुखी च धनवान् विश्वर्क्षजः पण्डितः। श्रोणायां द्विजदेवभक्ति निरतो राजा धनी धर्मवान् ॥ आशालुर्वसुमान वसूडुजनितः पीनोरूकण्ठः सुखी। कालज्ञः शततारकोद्भवनरः शान्तोऽल्पभुक् साहसी॥
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पूर्वप्रोष्ठपदि प्रगल्भवचनो धूर्तो भयार्तो मृदु श्चाहिर्बुध्न्यजमानवो मृदुगुणस्त्यागी धनी पण्डितः। रेवत्यामुरूलाञ्छनोपगतनुः कामातुरः सुन्दरो मन्त्री पुत्रकलत्रमित्रसहितो जातः स्थिरः श्रीरतः॥ 
 +
 +
== उद्धरण ==
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