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| == कलाओं का संक्षिप्त परिचय == | | == कलाओं का संक्षिप्त परिचय == |
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| + | === गीतम् ॥ Geeta === |
| + | गीतम् - संस्कृत वाङ्ममय में ' गीत, वाद्य, तथा नृत्य इन तीनों की त्रयी को संगीत कहा गया है।<blockquote>गीतं वाद्यं तथा नृत्तं त्रयं संगीतमुच्यते।(संगीत रत्नाकर१/२१)</blockquote>संगीत में वाद्य गीत का अनुगामी है और नृत्य वाद्य का। अतः गीत ही प्रधान एवं प्रथम है।<blockquote>नृत्यं वाद्यानुगं प्रोक्तं वाद्यं गीतानुवर्ति च। अतो गीतं प्रधानत्वादत्रादावभिधीयते॥ (संगीत रत्नाकर १/२५)</blockquote>गीत नादब्रह्म की साधना है, फलतः पुरुषार्थ चतुष्टय की साधक है-<blockquote>धर्मार्थकाममोक्षाणामिदमेवैकसाधनम् ।(संगीत रत्नाकर १/३०)</blockquote>आचार्य शार्गदेवके अनुसार मनोरंजक स्वरसमुदाय की संज्ञा गीत है-<blockquote>रञ्जकः स्वरसन्दर्भो गीतमित्यभिधीयते।((संगीत रत्नाकर ४/१)</blockquote> |
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| + | === वाद्यम् ॥ Vadya === |
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| + | === नृत्यम् ॥ Nrtya === |
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| + | === नाट्यम् ॥ Natya === |
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| + | === आलेख्यम् ॥ Alekhya === |
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| + | === विशेषकच्छेद्यम् ॥ Visheshakacchedya === |
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| + | === तण्डुलकुसुमयलिविकाराः ॥ Tandula kusumayalivikara === |
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| + | === पुष्पास्तरणम् ॥ Pushpaastarana === |
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| + | === दशनवसनाङ्गरागाः ॥ Dashana vasananga raga === |
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| + | === दशनवसनाङ्गरागाः ॥ Dashana vasananga raga === |
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| + | === शयनरचनम् ॥ Shayana rachana === |
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| + | === उदकवाद्यम् ॥ Udakavadya === |
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| + | === उदकघातः ॥ Udakaghata === |
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| + | === चित्रायोगाः ॥ Chitrayoga === |
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| + | === माल्यग्रथनविकल्पाः ॥ Malyagrathana vikalpa === |
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| + | === केशशेखरापीडयोजनम् ॥ Keshashekharapeeda yojana === |
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− | गीतम् - संस्कृत वाङ्ममय में ' गीत, वाद्य, तथा नृत्य इन तीनों की त्रयी को संगीत कहा गया है।<blockquote>गीतं वाद्यं तथा नृत्तं त्रयं संगीतमुच्यते।(संगीत रत्नाकर१/२१)</blockquote>संगीत में वाद्य गीत का अनुगामी है और नृत्य वाद्य का। अतः गीत ही प्रधान एवं प्रथम है।<blockquote>नृत्यं वाद्यानुगं प्रोक्तं वाद्यं गीतानुवर्ति च। अतो गीतं प्रधानत्वादत्रादावभिधीयते॥ (संगीत रत्नाकर १/२५)</blockquote>गीत नादब्रह्म की साधना है, फलतः पुरुषार्थ चतुष्टय की साधक है-<blockquote>धर्मार्थकाममोक्षाणामिदमेवैकसाधनम् ।(संगीत रत्नाकर १/३०)</blockquote>आचार्य शार्गदेवके अनुसार मनोरंजक स्वरसमुदाय की संज्ञा गीत है-<blockquote>रञ्जकः स्वरसन्दर्भो गीतमित्यभिधीयते।((संगीत रत्नाकर ४/१)</blockquote>
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| == निष्कर्ष॥ Discussion == | | == निष्कर्ष॥ Discussion == |