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| गच्क्षता तिष्ठता वापि स्वपता जग्रताथवा | काशीत्येष महामन्त्रो येन जप्तः स निर्गम || | | गच्क्षता तिष्ठता वापि स्वपता जग्रताथवा | काशीत्येष महामन्त्रो येन जप्तः स निर्गम || |
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− | जो प्राणी चलते , स्थिर रहते , सोते और जागते हुवे हर समय ' ' काशी ' इस दो अक्षरों के महामंत्र को जपते रहते है , वे इस कराल संसार मे निर्भय रहते है (अर्थात इस भयानक संसार से मुक्त हो जाते है) ।<blockquote> योजनानां शतस्थोपी विमुक्तम संस्मरेद्यदि | बहुपातक पुर्णोःपि पदं गच्छत्यनामयम ||</blockquote>काशी विश्वनाथ से एक सौ योजन (1200 किलोमीटर दूर) पर स्थित रहने पर भी जो काशी नगरी का स्मरण करता है । वह पापी होते हुवे भी सभी पापो से मुक्त हो जाता है । | + | जो प्राणी चलते , स्थिर रहते , सोते और जागते हुवे हर समय ' ' काशी ' इस दो अक्षरों के महामंत्र को जपते रहते है , वे इस कराल संसार मे निर्भय रहते है (अर्थात इस भयानक संसार से मुक्त हो जाते है) ।<blockquote> योजनानां शतस्थोपी विमुक्तम संस्मरेद्यदि | बहुपातक पुर्णोःपि पदं गच्छत्यनामयम ||</blockquote>काशी विश्वनाथ से एक सौ योजन (1200 किलोमीटर दूर) पर स्थित रहने पर भी जो काशी नगरी का स्मरण करता है । वह पापी होते हुवे भी सभी पापो से मुक्त हो जाता है । |
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− | == विश्वेश्वर खण्ड == | + | == काशी खण्ड का परिचय तथा महत्व == |
| + | स्कन्द पुराण के ७ खण्डों में से काशीखण्ड चौथा और महत्वपूर्ण खण्ड है । यह १०० अध्यायों में विभक्त है। सातों मोक्षपुरियों में प्रधान होने के कारण काशी को जिस प्रकार मध्य में रखा जाता है उसी प्रकार काशीखण्ड को भी ७ खण्डों में से चौथे स्थान पर रखा गया है। |
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| + | काशीखण्ड मात्र शैवों का ग्रन्थ नहीं हैं वरन् इसमें पाञ्चभौतिक शरीर को शुद्ध कर देने वाली पाञ्चदैविक आराधना का स्पष्ट उल्लेख है। यह श्लेष एवं परिसंख्या में बाण की शैली के समान है।यथा - <blockquote>यत्र क्षपणका इव दृश्यन्ते मूलधारिणः। विभ्रमो यत्र नारीषु न विद्वत्सु च कर्हिचित्॥ </blockquote>अनेक महाकवियों नें इसके श्लोकों को अपने काव्यों में केवल छन्द परिवर्तन करके रख दिया है। |
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| + | परिचय |
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| + | स्कन्दमहापुराण इसके रचनाकार कृष्णद्वैपायन व्यास जी हैं । इसका अध्ययन करने से बारहवीं शताब्दी की काशी का दृश्य उपस्थित होता है । यह सांस्कृतिक दृष्टि से |
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| + | === काशी खण्ड के प्रतिपाद्य विषय === |
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| + | ==== काशी खण्डोक्त देवालय विभजना ==== |
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| + | ====== विश्वेश्वर खण्ड ====== |
| भगवान विश्वेश्वर की अन्तर्गृह यात्रा का विवरण - | | भगवान विश्वेश्वर की अन्तर्गृह यात्रा का विवरण - |
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| 68. विश्वेश्वरः ( प्रसिद्धोऽयं ज्योतिर्लिगः ) | | 68. विश्वेश्वरः ( प्रसिद्धोऽयं ज्योतिर्लिगः ) |
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− | == केदार खण्ड == | + | ====== केदार खण्ड ====== |
| भगवान गौरीकेदारेश्वर जी के अन्तर्गृह यात्रा का विधान- | | भगवान गौरीकेदारेश्वर जी के अन्तर्गृह यात्रा का विधान- |
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| 125 केदारेश्वरः ( प्रसिद्धः ) | | 125 केदारेश्वरः ( प्रसिद्धः ) |
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− | == ओंकार खण्ड == | + | ====== ओंकार खण्ड ====== |
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| + | ओंकार खण्ड अन्तर्गत अन्तर्गृह यात्रा का विवरण - |
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| + | 1.शूलेश्वरः - ओंकारस्य अकारमन्दिरस्य दक्षिणस्य वृक्षस्य अध नादेश्वर: -तत्रैव पृष्ठभागे |
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| + | 2.बिन्दूवीरेश्वर: - नादेश्वरस्य समीपे |
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| + | 3.ओंकारेश्वरः (अकाररूपात्मन्)- तत्रैव |
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| + | 4.ओंकारेश्वरः (उकाररूपात्मन्) - ओंकारय दक्षिण भागे |
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| + | 5.ओंकारेश्वरः (मकाररूपात्मन्) - प्रसिद्धोऽयम् |
| + | |
| + | 6.तारतीर्थ: (कपालमोचन तीर्थः) - ओकास्यपश्चिमभागे (इदानीं शुष्कः) |
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| + | 7.शुभोदककूप: - तत्रैव पार्श्वे |
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| + | 8.श्रीमुखीगुहा लुप्तः |
| + | |
| + | 9.गर्गेश्वरः - लुप्त |
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| + | 10.दमनकेश्वर:- प्रसिद्ध: मकारमन्दिरस्य समक्षे |
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| + | 11.प्रहलदकेशव- प्रहलादघट्टे ए० 10/80 |
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| + | 12.प्रहलादेश्वरः - तत्रैव |
| + | |
| + | 13.वीरेश्वर - प्रहलाददेश्वरस्य उत्तरस्य |
| + | |
| + | 14.पिलिप्पिलतीर्थ.. त्रिलोचनघट्टे गङ्गायां तहे |
| + | |
| + | 15.त्रिलोचनेश्वर:- त्रिलोचनघट्टोपरि ए० 2/80 |
| + | |
| + | 16.अरुणादित्य, त्रिलोचनमन्दिर |
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| + | 17.बाल्मीकीश्वरः - त्रिलोचनमन्दिरे |
| + | |
| + | 18.महादेव: - त्रिलोचनस्य पृष्ठे आदिमहादेव नामेन प्रसिद्धः |
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| + | 19.नरनारायणकेशव: - मध्हया घट्टोपरि० वदरीनारायण नाम्ना प्रसिद्धः |
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| + | 20.उद्दालकेश्वर: राजमन्दिरसमीप के० 20/159 |
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| + | 21.कपिलेश्वरगुहा - के० 29/12 |
| + | |
| + | 22.बिन्दुमाधव - पञ्चगङ्गाघट्टोपरि के० 22/33 |
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| + | 23.धूतपापेश्वरः - पञ्चगङ्गा घट्टे |
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| + | 24.किरणेश्वर:- लुप्त. |
| + | |
| + | 25.हनूमदीश्वर:- रामघट्टे कालविनायकस्य समक्षे |
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| + | 26.मध्यमेश्वर: - के० 53/63 |
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| + | 27.मृत्थ्वीश्वर- दारानगरे इदानी मृत्युञ्जय के 52/39) |
| + | |
| + | 28.मातलीश्वर: - वृद्धकालमन्दिरे के 52/39 |
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| + | 29.वृद्धकालेश्वर तत्रैव |
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| + | 30.महाकालेश्वर तत्रैव |
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| + | 31.दक्षेश्वर तत्रैव |
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| + | 32.बलीश्वर (बन्दीश्वर.)- तत्रैव |
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| + | 33.बलीश्वरकुण्ड - लुप्तः |
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| + | 34.महाकालकुण्ड दुहड़ी गड़ही |
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| + | 35.जयन्तेश्वर:- वृद्धकालमन्दिरे के 52/39 |
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| + | 36.अन्तकेश्वर:- तत्रैव |
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| + | 37.हस्तिपालेश्वरः - तत्रैव |
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| + | 38.ऐरावतेश्वरः तत्रैव |
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| + | 39.ऐरावतकुण्डः - लुप्तः |
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| + | 40.विष्वक्सेनेश्वरः - वृद्धकालमन्दिरे |
| + | |
| + | 41.कृत्तिवासेश्वर: आलमगीरीमस्जिदे (स्थानमात्र पूजनम्) - |
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| + | 42.कृत्तिवासेश्वरः रत्नेश्वरस्यपाखें के 46/23 w |
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| + | 43.हंसतीर्थ. हरतीर्थस्य तडागः |
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| + | 44.रत्नेश्वर वृद्धकालस्य मार्ग के 53/40 |
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| + | 45.दाक्षायिणीश्वरः तत्रसमीपे के० 46/32 |
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| + | 46.अम्बिकेश्वर:- के 53/38 |
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| + | 47.ऋणहरेश्वरः तत्रैव |
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| + | 48.कालकूप. - दण्डपाणिभैरवस्य मन्दिरे के० 31/49 |
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| + | 49.कालेश्वर - तत्रैव |
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| + | 50.कालराज (काल भैरव.)- प्रसिद्धोऽयम के 32/22 |
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| + | 51.जैगोषव्येश्वरः-सप्तसागर क्षेत्रे (पुनस्थापित) |
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| + | 52.व्याघेश्वर - तत्रैव के 63/16 |
| + | |
| + | 53.कन्दुकेश्वर - तत्रैव के० 63/29 |
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| + | 54.देवकेश्वर: - तत्रैव |
| + | |
| + | 55.शतकालेश्वर: - तत्रैव |
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| + | 56.हेतुकेश्वर: - तत्रैव |
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| + | 57.तक्षककुण्ड - लुप्तः |
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| + | 58.तक्षकेश्वरः - औघड़नस्यतकिया क्षेत्रे (पुन: स्थापित) |
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| + | 59.वासुकीश्वरः - तत्रैव |
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| + | 60.वासुकिकुण्ड:- लुप्त. |
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| + | 61.ईश्वरगंगा - ईश्वरगद्दी तदाग नाम्नि प्रसिद्धः |
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| + | 62.जैमीषव्यगुहा- नरहरिपुराक्षेत्रे जे० 66/3 |
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| + | 63.जैगीषव्येश्वर: - तत्रैव |
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| + | 64.अग्नीध्रेश्वर: - जागेश्वरस्येदानी जे० 66/3 |
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| + | 65.कर्कोटकवापी- नागकुआँ जे० 23/206 |
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| + | 66.कर्कोटकनाग - तत्रैव |
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| + | 67.कर्कोटकेश्वर - तत्रैव |
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| + | 68.वागीश्वरीः - जे. 6/33 |
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| + | 69.वागीश्वरीवापी - लुप्तः |
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| + | 70.सिद्धवापी - तत्रैव लुप्तः इदानी कूपरूपेण जे० 6/84 |
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| + | 71.सिद्धेश्वरः - तत्रैव |
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| + | 72.ज्वरहरेश्वरः (जराहरेश्वर?) तत्रैव |
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| + | 73.आग्नातकेश्वर: (सोमेश्वर?) -तत्रैव |
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| + | 74.सिद्धगण - तत्रैव लुप्तः |
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| + | 75.शैलेश्वर - मढ़िया घट्टे वरणाया तटे |
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| + | 76.शैलेश्वरी - मढिया घट्टे |
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| + | 77.वरणानदी - तत्रैव |
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| + | 78.पापमोचनतीर्थ:- पठानी टोला पार्श्वे |
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| + | 79.पापमोचनेश्वर, तत्रैव |
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| + | 80.ऋणमोचनतीर्थ: - लड्डूगइहा स्थानस्य पार्श्वे |
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| + | 81.आंगारेश्वर -ऋणमोचन ग्वालगइहस्थानयोः मध्ये स्थाने |
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| + | 82.धनदेश्वर: - पीलीकोठी गृहपार्श्वे नरहरिदासस्य मठे |
| + | |
| + | 83.हलीशेश्वरः- तत्रैव |
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| + | 84.धनदेश्वर तीर्थः- धनसरा ताल |
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| + | 85.विश्वकर्मेश्वर :- स्ट्रीथफील्ड पथे ए० 34/61 |
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| + | 86.कपालमोचनतीर्थ (भैरवतीर्थ.)- लाट भैरवस्य तडागे |
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| + | 87.नव भैरवः- तत्रैव पार्श्वे |
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| + | 88.कपालेश्वरः- तत्रैव |
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| + | 89.ऐतरणी - तत्रैवसमीपे |
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| + | 90.वैतरणी - तत्रैव |
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| + | 91.वरणासंगमः - प्रसिद्धोऽयं तीर्थ: |
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| + | 92.संगमेश्वर:- आदिकेशस्य पार्श्वे मन्दिरस्थ |
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| + | 93.प्रयागलिंगम् - तत्रैव सगमेश्वर मन्दिरे |
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| + | 94.शान्तिकरीगौरी - तत्रैव सगमेश्वरस्य पूर्वे |
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| + | 95.केशवादित्य: - आदिकेशवस्य मन्दिरस्य भित्तौ |
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| + | 96.आदिकेशवः - वरणासंगमे |
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| + | 97.ज्ञानकेशव:- तत्रैव |
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| + | 98.वेदेश्वरः- आदिकेशवस्य द्वारस्थ कक्षे |
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| + | 99.नक्षत्रेश्वरः- तत्रैव वेदेश्वरस्य पार्श्वे |
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| + | 100.दण्डीश्वरः - तत्रैव |
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| + | 101.तुंगेश्वरः - तत्रैव |
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| + | 102.गजतीर्थः - आदिकेशवस्य पृष्टे इदानीं लुप्त |
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| + | 103.भैरवतीर्थः - लुप्तः |
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| + | 104.स्वर्लीनेश्वरः - प्रह्लादघट्टस्य समीपेसम्प्रति नयामहादेव ए० 11/29 |
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| == श्रीशिवअंगयात्रा == | | == श्रीशिवअंगयात्रा == |