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| == नामाभिधानम् ॥ Names == | | == नामाभिधानम् ॥ Names == |
| + | Samskrit lexicons since the vedic times like the Vedic Nighantu, Amarakosha by Amarasimha, Rajanighantu by Vaidya Narahari, Abhidhanatantra by Jatadhara, Shabdaratnavali by Mathuresha, Shabdakalpadruma by Raja Radhakantdev Bahadur, etc. have enlisted multiple samskrit terms for 'earth'. They are as follows<ref name=":1" />: |
| + | {| class="wikitable" |
| + | |+Terms for 'earth' in Sanskrit Lexicons |
| + | !Amarakosha (2.1.3-8)<ref name=":2" /> |
| + | !Rajanighantu (2.1-3)<ref name=":3">[https://niimh.nic.in/ebooks/e-Nighantu/rajanighantu/?mod=read Rajanighantu,] See: Dharanyadi Varga, Bhumi (1-3)</ref> |
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| + | |- |
| + | |भूः । bhūḥ |
| + | |धरणिः । dharaṇiḥ |
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| + | |भूमिः । bhūmiḥ |
| + | |धरित्री । dharitrī |
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| + | |अचला । acalā |
| + | |भूतधात्री । bhūtadhātrī |
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| + | |अनन्ता । anantā |
| + | |धरा । dharā |
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| + | |रसा । rasā |
| + | |भूः । bhūḥ |
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| + | |विश्वम्भरा । viśvambharā |
| + | |क्षितिः । kṣitiḥ |
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| + | |स्थिरा । sthirā |
| + | |महिः । mahiḥ |
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| + | |धरा । dharā |
| + | |धरणी । dharaṇī |
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| + | |धरित्री । dharitrī |
| + | |इडा । iḍā |
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| + | |धरणिः । dharaṇiḥ |
| + | |क्ष्मा । kṣmā |
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| + | |- |
| + | |क्षोणिः । kṣoṇiḥ |
| + | |अवनी । avanī |
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| + | |- |
| + | |ज्या । jyā |
| + | |मेदिनी । medinī |
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| + | |काश्यपी । kāśyapī |
| + | |ज्या । jyā |
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| + | |क्षितिः । kṣitiḥ |
| + | |अवनिः । avaniḥ |
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| + | |सर्वंसहा । sarvaṁsahā |
| + | |उदधिः । udadhiḥ |
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| + | |- |
| + | |वसुमती । vasumatī |
| + | |<nowiki>वस्त्रा | vastrā</nowiki> |
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| + | |- |
| + | |वसुधा । vasudhā |
| + | |<nowiki>गौः | gauḥ</nowiki> |
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| + | |- |
| + | |उर्वी । urvvī |
| + | |क्षमा । kṣamā |
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| + | |- |
| + | |वसुन्धरा । vasundharā |
| + | |<nowiki>क्षौणिः | kṣauṇiḥ</nowiki> |
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| + | |- |
| + | |गोत्रा । gotrā |
| + | |उर्वी । urvvī |
| + | | |
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| + | |- |
| + | |कुः । kuḥ |
| + | |कुः । kuḥ |
| + | | |
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| + | |- |
| + | |पृथिवी । pr̥thivī |
| + | |वसुमती । vasumatī |
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| + | |- |
| + | |पृथ्वी । pr̥thvī |
| + | |<nowiki>इरा | irā</nowiki> |
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| + | |- |
| + | |क्ष्मा । kṣmā |
| + | |काश्यपी । kāśyapī |
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| + | |- |
| + | |अवनिः । avaniḥ |
| + | |रत्नगर्भा । ratnagarbhā |
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| + | |- |
| + | |मेदिनी । medinī |
| + | |<nowiki>आदिमा | ādimā</nowiki> |
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| + | |- |
| + | |मही । mahī |
| + | |भूमिः । bhūmiḥ |
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| + | |विपुला । vipulā |
| + | |इला । ilā |
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| + | |गह्वरी । gahvarī |
| + | |वसुन्धरा । vasundharā |
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| + | |धात्री । dhātrī |
| + | |<nowiki>वरा | varā</nowiki> |
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| + | |गो । go |
| + | |धात्री । dhātrī |
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| + | |- |
| + | |इला । ilā |
| + | |वसुधा । vasudhā |
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| + | |कुम्भिनी । kumbhinī |
| + | |अचला । acalā |
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| + | |- |
| + | |क्षमा । kṣamā |
| + | |<nowiki>उर्वरा | urvarā</nowiki> |
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| + | |- |
| + | |भूतधात्री । bhūtadhātrī |
| + | |विश्वम्भरा । viśvambharā |
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| + | |- |
| + | |रत्नगर्भा । ratnagarbhā |
| + | |<nowiki>आद्या | ādyā</nowiki> |
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| + | |- |
| + | |जगती । jagatī |
| + | |जगती । jagatī |
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| + | |सागराम्बरा । sāgarāmbarā |
| + | |<nowiki>क्षिती | kṣitī</nowiki> |
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| + | |<nowiki>रसा | rasā</nowiki> |
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| + | |- |
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| + | |पृथ्वी । pr̥thvī |
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| + | |- |
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| + | |गोत्रा । gotrā |
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| + | |पृथिवी । pr̥thivī |
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| + | |- |
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| + | |<nowiki>पृथुः | pr̥thuḥ</nowiki> |
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| + | |मही । mahī |
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| + | |<nowiki>क्षौणी | kṣauṇī</nowiki> |
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| + | |सर्वंसहा । sarvaṁsahā |
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| + | |अनन्ता । anantā |
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| + | |<nowiki>भूतमाता | bhūtamātā</nowiki> |
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| + | |<nowiki>निश्चला | niścalā</nowiki> |
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| + | |<nowiki>भूमी | bhūmī</nowiki> |
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| + | |<nowiki>बीजप्रसूः | bījaprasūḥ</nowiki> |
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| + | |<nowiki>श्यामा | śyāmā</nowiki> |
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| + | |<nowiki>क्रोड्ककान्ता | kroḍkakāntā</nowiki> |
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| Amarakosha : | | Amarakosha : |
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− | भूर्भूमिरचलानन्ता रसा विश्वम्भरा स्थिता ।। २.१.३ ।। धरा धरित्री धरणिः क्षोणिर्ज्या काश्यपी क्षितिः ।। २.१.४ ।। सर्वंसहा वसुमती वसुधोर्वी वसुन्धरा ।। २.१.५ ।। गोत्रा कुः पृथिवी पृथ्वी क्ष्मावनिर्मेदिनी मही ।। २.१.६ ।। विपुला गह्वरी धात्री गौरिला कुम्भिनी क्षमा ।। २.१.७ ।। भूतधात्री रत्नगर्भा जगती सागराम्बरा ।। २.१.८ ।।<ref>Amarakosha, [https://sa.wikisource.org/wiki/%E0%A4%85%E0%A4%AE%E0%A4%B0%E0%A4%95%E0%A5%8B%E0%A4%B6%E0%A4%83/%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A5%80%E0%A4%AF%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%A3%E0%A5%8D%E0%A4%A1%E0%A4%AE%E0%A5%8D Kanda 2]</ref> | + | भूर्भूमिरचलानन्ता रसा विश्वम्भरा स्थिता ।। २.१.३ ।। धरा धरित्री धरणिः क्षोणिर्ज्या काश्यपी क्षितिः ।। २.१.४ ।। सर्वंसहा वसुमती वसुधोर्वी वसुन्धरा ।। २.१.५ ।। गोत्रा कुः पृथिवी पृथ्वी क्ष्मावनिर्मेदिनी मही ।। २.१.६ ।। विपुला गह्वरी धात्री गौरिला कुम्भिनी क्षमा ।। २.१.७ ।। भूतधात्री रत्नगर्भा जगती सागराम्बरा ।। २.१.८ ।।<ref name=":2">Amarakosha, [https://sa.wikisource.org/wiki/%E0%A4%85%E0%A4%AE%E0%A4%B0%E0%A4%95%E0%A5%8B%E0%A4%B6%E0%A4%83/%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A5%80%E0%A4%AF%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%A3%E0%A5%8D%E0%A4%A1%E0%A4%AE%E0%A5%8D Kanda 2]</ref> |
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− | समानार्थक:भू,भूमि,अचला,अनन्ता,रसा,विश्वम्भरा,स्थिरा,धरा,धरित्री,धरणि,क्षोणि,ज्या,काश्यपी,क्षिति,सर्वंसहा,वसुमती,वसुधा,उर्वी,वसुन्धरा,गोत्रा,कु,पृथिवी,पृथ्वी,क्ष्मा,अवनि,मेदिनी,मही,विपुला,गह्वरी,धात्री,गो,इला,कुम्भिनी,क्षमा,भूतधात्री,रत्नगर्भा,जगती,सागराम्बरा,इडा,भूत,इरा,रोदस्,रोदसी
| + | Shabdakalpadruma<ref name=":1">Shabdakalpadruma, Kanda 3, See: [https://sa.wikisource.org/wiki/%E0%A4%B6%E0%A4%AC%E0%A5%8D%E0%A4%A6%E0%A4%95%E0%A4%B2%E0%A5%8D%E0%A4%AA%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%81%E0%A4%AE%E0%A4%83/%E0%A4%AA%E0%A5%82%E0%A4%9C%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A4%83 पृथिवी and पृथ्वी |]</ref> |
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− | 2।1।3।2।4
| + | भूः २ भूमिः ३ अचला ४ अनन्ता ५ रसा ६ विश्वम्भरा ७ स्थिरा ८ धरा ९ धरित्री १० धरणी ११ क्षौणी १२ ज्या १३ काश्यपी १४ क्षितिः १५ सर्व्वंसहा १६ वसुमती १७ वसुधा १८ उर्व्वी १९ वसुन्धरा २० गोत्रा २१ कुः २२ पृथ्वी २३ क्ष्मा २४ अवनिः २५ मेदिनी २६ मही । '''इत्यमरः''' । २ । १ । २ -- ३ ॥ |
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− | सर्वंसहा वसुमती वसुधोर्वी वसुन्धरा। गोत्रा कुः पृथिवी पृथ्वी क्ष्मावनिर्मेदिनी मही॥ विपुला गह्वरी धात्री गौरिला कुम्भिनी क्षमा। भूतधात्री रत्नगर्भा जगती सागराम्बरा।
| + | धरणीधरा ४६ धारणी ४७ महाकान्ता ४८ जगद्वहा ४९ गन्धवती ५० खण्डनी ५१ गिरिकर्णिका ५२ धारयित्री ५३ धात्री ५४ सागरमेखला ५५ सहा ५६ अचलकीला ५७ गौः ५८ अब्धिद्बीपा ५९ द्विरा ६० इडा ६१ इडिका ६२ इला ६३ इलिका ६४ । '''इति शब्दरत्नावली ॥''' |
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− | Shabdakalpadruma<ref>Shabdakalpadruma, Kanda 3, See: [https://sa.wikisource.org/wiki/%E0%A4%B6%E0%A4%AC%E0%A5%8D%E0%A4%A6%E0%A4%95%E0%A4%B2%E0%A5%8D%E0%A4%AA%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%81%E0%A4%AE%E0%A4%83/%E0%A4%AA%E0%A5%82%E0%A4%9C%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A4%83 पृथिवी and पृथ्वी |]</ref>
| + | उदधि- वस्त्रा ६५ इरा ६६ आदिमा ६७ ईला ६८ वरा ६९ उर्व्वरा ७० आद्या ७१ जगती ७२ पृथुः ७३ भुवनमाता ७४ निश्चला ७५ बीज- प्रसूः ७६ श्यामा ७७ क्रोडकान्ता ७८ । '''इति राजनिर्घण्टः ॥''' |
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− | भूः २ भूमिः ३ अचला ४ अनन्ता ५ रसा ६ विश्वम्भरा ७ स्थिरा ८ धरा ९ धरित्री १० धरणी ११ क्षौणी १२ ज्या १३ काश्यपी १४ क्षितिः १५ सर्व्वंसहा १६ वसुमती १७ वसुधा १८ उर्व्वी १९ वसुन्धरा २० गोत्रा २१ कुः २२ पृथ्वी २३ क्ष्मा २४ अवनिः २५ मेदिनी २६ मही । '''इत्यमरः''' । २ । १ । २ -- ३ ॥
| + | अथ धरणि धरित्री भूतधात्री धरा भूक्षिति महि धरणीडा क्ष्मा वनी मेदिनीज्या | अवनिरुदधिवस्त्रा गौः क्षमा क्षौणिरुर्वी कुरपि वसुमतीरा काश्यपी रत्नगर्भा ||१|| |
| | | |
− | भूर् २८ भूमी २९ धरणिः ३० क्षोणिः ३१ क्षोणी ३२ क्षौणिः ३३ क्षमा ३४ अवनी ३५ महिः ३६ रत्नगर्भा ३७ सागराम्बरा ३८ अब्धिमेखला ३९ भूतधात्री ४० रत्नावती ४१ देहिनी ४२ पारा ४३ विपुला ४४ मध्यमलोक- वर्त्मा ४५ । '''इति भरतः ॥'''
| + | क्षमाऽऽदिमा भूमिरिला वसुन्धरा वरा च धात्री वसुधाऽचलोर्वरा | विश्वम्भराद्या जगती क्षिती रसा पृथ्वी च गोत्रा पृथिवी पृथुर्मही ||२|| |
| | | |
− | धरणीधरा ४६ धारणी ४७ महाकान्ता ४८ जगद्वहा ४९ गन्धवती ५० खण्डनी ५१ गिरिकर्णिका ५२ धारयित्री ५३ धात्री ५४ सागरमेखला ५५ सहा ५६ अचलकीला ५७ गौः ५८ अब्धिद्बीपा ५९ द्विरा ६० इडा ६१ इडिका ६२ इला ६३ इलिका ६४ । '''इति शब्दरत्नावली ॥'''
| + | क्षौणी सर्वंसहाऽनन्ता भूतमाता च निश्चला | भूमी वीजप्रसूः श्यामा क्रोड्ककान्ता च कीर्तिता ||३||<ref name=":3" /> |
− | | |
− | उदधि- वस्त्रा ६५ इरा ६६ आदिमा ६७ ईला ६८ वरा ६९ उर्व्वरा ७० आद्या ७१ जगती ७२ पृथुः ७३ भुवनमाता ७४ निश्चला ७५ बीज- प्रसूः ७६ श्यामा ७७ क्रोडकान्ता ७८ । '''इति राजनिर्घण्टः ॥'''
| |
| | | |
| खगवती ७९ अदितिः ८० । '''इति जटाधरः''' ॥ * ॥ (पृथवी ८१ । '''इति शब्दार्णषः''' ॥) | | खगवती ७९ अदितिः ८० । '''इति जटाधरः''' ॥ * ॥ (पृथवी ८१ । '''इति शब्दार्णषः''' ॥) |
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− | पृथ्वी । '''तद्वैदिकपर्य्यायः''' । गौः १ ग्मा २ ज्मा ३ क्ष्मा ४ क्षा ५ क्षामा ६ क्षोणी ७ क्षितिः ८ अवनिः ९ ऊर्व्वी १० पृथ्वी ११ मही १२ रिपः १३ अदितिः १४ इला १५ निरृतिः १६ भूः १७ भूमिः १८ पूषा १९ गातुः २० गोत्रा २१ । इत्येकविंशतिपृथिवीनामधेयानि । '''इति वेद- निघण्टौ १ अध्यायः ॥''' (अन्तरिक्षम् । इति निघण्टुः । १ । ३ ॥ यथा, ऋग्वेदे । १० । १२१ । १ । “स दाधार पृथिवीं द्यामुतेमां कस्मै देवाय हविषा विधेम ॥” “पृथिवीत्यन्तरिक्षनाम ।” इति तद्भाष्ये सायनः ॥) | + | पृथ्वी । '''तद्वैदिकपर्य्यायः''' । गौः १ ग्मा २ ज्मा ३ क्ष्मा ४ क्षा ५ क्षामा ६ क्षोणी ७ क्षितिः ८ अवनिः ९ ऊर्व्वी १० पृथ्वी ११ मही १२ रिपः १३ अदितिः १४ इला १५ निरृतिः १६ भूः १७ भूमिः १८ पूषा १९ गातुः २० गोत्रा २१ । इत्येकविंशतिपृथिवीनामधेयानि । '''इति वेद- निघण्टौ १ अध्यायः ॥''' (अन्तरिक्षम् । इति निघण्टुः । १ । ३ ॥ यथा, ऋग्वेदे । १० । १२१ । १ । “स दाधार पृथिवीं द्यामुतेमां कस्मै देवाय हविषा विधेम ॥” “पृथिवीत्यन्तरिक्षनाम ।” इति तद्भाष्ये सायनः ॥)<ref>Nighantu, [https://sa.wikisource.org/wiki/%E0%A4%A8%E0%A4%BF%E0%A4%98%E0%A4%A3%E0%A5%8D%E0%A4%9F%E0%A5%81%E0%A4%B6%E0%A4%BE%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%AE%E0%A5%8D/%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%A5%E0%A4%AE%E0%A5%8B%E0%A4%A7%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%AF%E0%A4%83 Adhyaya 1]</ref> |
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| == Shabdakalpadruma == | | == Shabdakalpadruma == |