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| The Atharvan Caranavyuha is aware of 24 sakhas | | The Atharvan Caranavyuha is aware of 24 sakhas |
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− | तत्र यजुर्वेदस्य चतुर्विंशतिर्भेदा भवन्ति । | + | तत्र यजुर्वेदस्य चतुर्विंशतिर्भेदा भवन्ति । Atharvan Parishishta 49 |
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| Mahabharata narrates hundred and one Sakhas | | Mahabharata narrates hundred and one Sakhas |
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− | षट् पञ्चाशतमष्टौ च सप्तत्रिंशतमित्युत । यस्मिन्शाखा यजुर्वेदे सोऽहमाध्वर्यवे स्मृतः ॥ | + | षट् पञ्चाशतमष्टौ च सप्तत्रिंशतमित्युत । यस्मिन्शाखा यजुर्वेदे सोऽहमाध्वर्यवे स्मृतः ॥ Adi Parva 353.33 |
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| and it is Confirmed by Divyavadana | | and it is Confirmed by Divyavadana |
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− | इतीयं ब्राह्मणाध्वर्यूणां शाखा । एकविंशत्यध्वर्यवो भूत्वा एकोत्तरं शतधा भिन्नम् । | + | इतीयं ब्राह्मणाध्वर्यूणां शाखा । एकविंशत्यध्वर्यवो भूत्वा एकोत्तरं शतधा भिन्नम् । Avadana 33 |
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| and the Mahabhasya. | | and the Mahabhasya. |
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| The Ahirbudhnya Samhita is of the same view. | | The Ahirbudhnya Samhita is of the same view. |
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− | शतं चैका च शाखाः स्युर्यजुश्ःआमेकवर्त्मनाम् ॥ | + | शतं चैका च शाखाः स्युर्यजुश्ःआमेकवर्त्मनाम् ॥ 12.9 |
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| The the Vayu-Purana gives same number | | The the Vayu-Purana gives same number |
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− | इत्येते वाजिनः प्रोक्ता दश पञ्च च संस्मृताः । शतमेकाधिकं कृत्स्नं यजुषां वै विकल्पकाः ॥ | + | इत्येते वाजिनः प्रोक्ता दश पञ्च च संस्मृताः । शतमेकाधिकं कृत्स्नं यजुषां वै विकल्पकाः ॥ 61.26 |
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| which is supported by the Brahmanda-Purana | | which is supported by the Brahmanda-Purana |
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− | शतमेकाधिकं कृत्स्नं यजुषां वै विकल्पकाः ॥ | + | शतमेकाधिकं कृत्स्नं यजुषां वै विकल्पकाः ॥1.35.30 |
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| me Kurma-Purana speaks of hundred Sakhas. | | me Kurma-Purana speaks of hundred Sakhas. |
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− | शाखानां तु शतेनैव यजुर्वेदमथाकरोत् ॥ | + | शाखानां तु शतेनैव यजुर्वेदमथाकरोत् ॥ 1.52.19 |
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− | The Vishnu Purana differs and according to it the number of the Sakhas of"the Yajur-Veda is 42. The number 101 however is favoured by most of the authorities and it is confirmed also by the colophon occuring in some MSS of the Kathaka-Sarhhita. | + | The Vishnu Purana (3.5.1 & 3.5.29) differs and according to it the number of the Sakhas of"the Yajur-Veda is 42. The number 101 however is favoured by most of the authorities and it is confirmed also by the colophon occuring in some MSS of the Kathaka-Sarhhita. |
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| इत्येकोत्तरशतशाखाऽध्वर्युप्रभेदभिन्ने श्रीमद्यजुर्वेदे | | इत्येकोत्तरशतशाखाऽध्वर्युप्रभेदभिन्ने श्रीमद्यजुर्वेदे |