कार्तिक लगते ही पूर्णिमा से लेकर एक माह तक नित्य प्रति व्रत करें। प्रतिदिन रात्रि में तारों को अर्घ्य देकर फिर स्वयं भोजन करें। व्रत के आखिरी दिन उजमन करें। उजमन में पांच सीदे और पांच सुराई ब्राह्मणों को दें। साड़ी, ब्लाउज और रुपये रखकर अपनी सासु मां को पैर छू कर दें। | कार्तिक लगते ही पूर्णिमा से लेकर एक माह तक नित्य प्रति व्रत करें। प्रतिदिन रात्रि में तारों को अर्घ्य देकर फिर स्वयं भोजन करें। व्रत के आखिरी दिन उजमन करें। उजमन में पांच सीदे और पांच सुराई ब्राह्मणों को दें। साड़ी, ब्लाउज और रुपये रखकर अपनी सासु मां को पैर छू कर दें। |