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| |आस्तिक(वेदप्रामाण्य): ([[Shad Darshanas (षड्दर्शनानि)|षड दर्शन]]) | | |आस्तिक(वेदप्रामाण्य): ([[Shad Darshanas (षड्दर्शनानि)|षड दर्शन]]) |
| सांख्य, वैशेषिक, न्याय, मीमांसा, योग, उत्तर मीमांसा/ वेदान्त | | सांख्य, वैशेषिक, न्याय, मीमांसा, योग, उत्तर मीमांसा/ वेदान्त |
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| + | नास्तिक: चार्वाक, बौद्ध, जैन |
| + | |<nowiki>आस्तिक और नास्तिक दर्शन यह भेद अंग्रेजों का निर्माण किया हुआ है |</nowiki> |
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| + | वास्तव में चार्वाक छोड़कर शेष सभी दर्शन वैदिक दर्शन ही हैं| |
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| + | |१२ |
| + | |दर्शनों से सम्बंधित सूत्र |
| + | |ब्रह्मसूत्र\वेदान्तसूत्र |
| + | सान्ख्यसूत्र |
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| + | योगसूत्र |
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− | |4* | + | |१३ |
− | |Artha Shastra | + | |निरुक्त के प्रकार |
− | |Public administration, governance, economy and polity | + | |वर्णागम, वर्णविपर्यय, वर्णविकास, वर्णनाश, धात्वर्थयोग |
− | |Yajur Veda | + | | |
| |- | | |- |
| + | |१४ |
| + | |निरुक्त (व्युत्पत्ति शास्त्र) के भाग |
| + | |नैघंटुक, नैगम, दैवत |
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| + | |- |
| + | |१५ |
| + | |प्रस्थानत्रयी |
| + | |ब्रह्मसूत्र, उपनिषद् , श्रीमद्भगवद्गीता |
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− | | | + | |- |
| + | |१६ |
| + | |स्मृतियाँ |
| + | |मनु, बृहस्पति, दक्ष, गौतम, यम, अंगीरा, अत्रि, विष्णू, याज्ञवल्क्य, उशनस, आपस्तम्ब, व्यास, शंख-लिखित, वशिष्ठ, योगीश्वर, प्रचेता, शातातप, पाराशर, हारित, देवल, आदि दर्जनों और भी हैं |
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| |} | | |} |
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− | ७. ७.१
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− | ८. ८.१
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− | ९.
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− | १०. शूल्बसूत्र
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− | ११. ११.१
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− | ११.२ नास्तिक ११.२.१ चार्वाक ११.२.२ बौद्ध ११.२.३ जैन
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− | आस्तिक और नास्तिक दर्शन यह भेद अंग्रेजों का निर्माण किया हुआ है| वास्तव में चार्वाक छोड़कर शेष सभी दर्शन वैदिक दर्शन ही हैं|
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− | ११. दर्शनों से सम्बंधित सूत्र : ११.१ ब्रह्मसूत्र\वेदान्तसूत्र ११.२ सान्ख्यसूत्र ११.३ योगसूत्र
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− | १२. निरुक्त के प्रकार १२.१ वर्णागम १२.२ वर्णविपर्यय १२.३ वर्णविकास १२.४ वर्णनाश १२.५ धात्वर्थयोग
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− | १३. निरुक्त (व्युत्पत्ती शास्त्र) के भाग १३.१ नैघंटुक १३.२ नैगम १३.३ दैवत
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− | १४. प्रस्थानत्रयी १४.१ ब्रह्मसूत्र १४.२ उपनिषद् १४.३ श्रीमद्भगवद्गीता
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− | १५. स्मृतियाँ - मनु - बृहस्पति - दक्ष - गौतम - यम - अंगीरा - अत्रि - विष्णू - याज्ञवल्क्य - उशनस - आपस्तम्ब - व्यास - शंख - लिखित - वशिष्ठ - योगीश्वर - प्रचेता - शातातप - पाराशर - हारित - देवल ... आदि दर्जनों और भी हैं|
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| संक्षेप में जानकारी | | संक्षेप में जानकारी |
| वेद : वेद का अर्थ परम ज्ञान है| आगम, आम्नाय, श्रुति ये वेद शब्द के पर्यायवाची हैं| भारत के सभी शास्त्रों का और आस्तिक दर्शनों का स्रोत वेद हैं| इसीलिये वेदों को आम्नाय या आगम भी कहा जाता है| वेद ज्ञान तो पहले से ही था| समाधी अवस्था में उसका दर्शन करनेवाले द्रष्टा ऋषियोंने इस ज्ञान की बुद्धि के स्तरपर समझनेवाले लोगों के लिए जो वाचिक प्रस्तुति की वही श्रुति है| वेदों को गुरू शिष्य परम्परा से कंठस्थीकरण के माध्यम से प्रक्षेपों और विकृतीकरण से सुरक्षित रखा गया है| | | वेद : वेद का अर्थ परम ज्ञान है| आगम, आम्नाय, श्रुति ये वेद शब्द के पर्यायवाची हैं| भारत के सभी शास्त्रों का और आस्तिक दर्शनों का स्रोत वेद हैं| इसीलिये वेदों को आम्नाय या आगम भी कहा जाता है| वेद ज्ञान तो पहले से ही था| समाधी अवस्था में उसका दर्शन करनेवाले द्रष्टा ऋषियोंने इस ज्ञान की बुद्धि के स्तरपर समझनेवाले लोगों के लिए जो वाचिक प्रस्तुति की वही श्रुति है| वेदों को गुरू शिष्य परम्परा से कंठस्थीकरण के माध्यम से प्रक्षेपों और विकृतीकरण से सुरक्षित रखा गया है| |