कुशमें त्रिदेवका निवास -<blockquote>कुशमूले स्थितो ब्रह्मा कुशमध्ये जनार्दनः।कुशाग्रे शङ्करो देवः त्रयो देवाः कुशे स्थिताः॥<ref name=":2">पं० श्रीवेणीराम शर्मा गौड़,यज्ञमीमांसा,चौखम्बा विद्याभवन वाराणसी (पृ०३७२)।</ref></blockquote>'''अनु -''' कुशके मूल में ब्रह्मा, कुशके मध्य में जनार्दन (विष्णु) और कुशके अग्रभागमें भगवान् शङ्कर-ये तीनों देवता कुश में निवास करते हैं।<blockquote>प्रादेशमात्रं दर्भ: स्याद् द्विगुणं कुशमुच्यते । कृतरनिर्भवेद्बर्हिस्तदूर्ध्वं तृणमुच्यते ॥<ref>नित्योपासना देवपूजा पद्धति(पृ० १०२)।</ref></blockquote>'''अनु -''' एक प्रादेश (अँगूठा और तर्जनी फैलाना) का दर्भ, दो प्रादेश की कुशा और हाथ की कोहनी से कनिष्ठा अँगुली की जड़ पर्यन्त का बर्हि कहा जाता है, इससे लम्बा तृण कहलाता है। | कुशमें त्रिदेवका निवास -<blockquote>कुशमूले स्थितो ब्रह्मा कुशमध्ये जनार्दनः।कुशाग्रे शङ्करो देवः त्रयो देवाः कुशे स्थिताः॥<ref name=":2">पं० श्रीवेणीराम शर्मा गौड़,यज्ञमीमांसा,चौखम्बा विद्याभवन वाराणसी (पृ०३७२)।</ref></blockquote>'''अनु -''' कुशके मूल में ब्रह्मा, कुशके मध्य में जनार्दन (विष्णु) और कुशके अग्रभागमें भगवान् शङ्कर-ये तीनों देवता कुश में निवास करते हैं।<blockquote>प्रादेशमात्रं दर्भ: स्याद् द्विगुणं कुशमुच्यते । कृतरनिर्भवेद्बर्हिस्तदूर्ध्वं तृणमुच्यते ॥<ref>नित्योपासना देवपूजा पद्धति(पृ० १०२)।</ref></blockquote>'''अनु -''' एक प्रादेश (अँगूठा और तर्जनी फैलाना) का दर्भ, दो प्रादेश की कुशा और हाथ की कोहनी से कनिष्ठा अँगुली की जड़ पर्यन्त का बर्हि कहा जाता है, इससे लम्बा तृण कहलाता है। |