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इसका इस्तेमाल ग्रहण के दौरान खाने-पीने की चीज़ों में रखने के लिए होता है
 
इसका इस्तेमाल ग्रहण के दौरान खाने-पीने की चीज़ों में रखने के लिए होता है
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नास्य केशान् प्रवपन्ति, नोरसि ताडमानते। (देवी भागवत 19/32)
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अर्थात कुश धारण करने से सिर के बाल नहीं झडते और छाती में आघात यानी दिल का दौरा नहीं होता।
      
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