Line 39: |
Line 39: |
| === गढ़मंडला === | | === गढ़मंडला === |
| पूर्वी मध्यभारत में स्थित यह एक ऐतिहासिक किला है। महारानी दुर्गावती की शौर्य-गाथा का साक्षी है यह किला। महारानी दुर्गावती ने छतरपुर यहीं पर मुगल शासक अकबर की सेना के छक्के छुड़ा दिये थे। गढ़ मण्डला नर्मदा नदी के किनारे पर स्थित विशाल दुर्ग है। दुर्ग में राजराजेश्वरी देवी का पुराना मन्दिर है। इस मन्दिर में सहस्त्रार्जुन तथा विभिन्न देवी-देवताओं की मूर्तियाँ हैं। दुर्ग के सामने महर्षि व्यास का आश्रम तथा व्यास नारायण शिवमन्दिर हैं। यहाँ शिवरात्रि को विशाल मेला लगता है। | | पूर्वी मध्यभारत में स्थित यह एक ऐतिहासिक किला है। महारानी दुर्गावती की शौर्य-गाथा का साक्षी है यह किला। महारानी दुर्गावती ने छतरपुर यहीं पर मुगल शासक अकबर की सेना के छक्के छुड़ा दिये थे। गढ़ मण्डला नर्मदा नदी के किनारे पर स्थित विशाल दुर्ग है। दुर्ग में राजराजेश्वरी देवी का पुराना मन्दिर है। इस मन्दिर में सहस्त्रार्जुन तथा विभिन्न देवी-देवताओं की मूर्तियाँ हैं। दुर्ग के सामने महर्षि व्यास का आश्रम तथा व्यास नारायण शिवमन्दिर हैं। यहाँ शिवरात्रि को विशाल मेला लगता है। |
| + | |
| + | === पंचमढ़ी === |
| + | पंचमढ़ी एक छोटी पहाड़ी पर स्थित सुरम्य स्थल है। यहाँ जटाशंकर महादेव का गुफा मन्दिर है। चारों ओर पहाड़ियों से घिरे एक गुफानुमा स्थान परजटाशंकर महादेव विराजमान हैं।इस गुफा में प्राय: खड़े-खड़े सर्प मिलते हैं, परन्तु तीर्थ-यात्रियों को हानि नहीं पहुँचाते। भारत के प्रथम राष्ट्रपति डा. राजेन्द्र प्रसाद प्राय: यहाँ आया करते थे। |
| + | |
| + | === भण्डारा === |
| + | महाराष्ट्र का पुराना नगर तथा शैवों का पवित्र तीर्थ है। यहाँ खुदाई के दौरान कईपुरानी मूर्तियाँ प्राप्त हुई। हिरण्येश्वर शिव मन्दिर में खुदाई से प्राप्त अति प्राचीन शिवलिंग प्रतिष्ठित है। रामदूत हनुमान् का भी सुन्दर मन्दिर है यहाँ। शिवरात्रि व वसंत पंचमी पर यहाँ मेला लगता हैं। |
| + | |
| + | === रामटेक === |
| + | नागपुर के पास एक प्राचीन कस्बा है रामटेक। वनवास के समय भगवान् श्री राम ने जानकी व लक्ष्मण के साथ यहाँ कुछ दिन निवास किया था। अत: यह स्थान रामटेक कहलाता है। बस्ती के पास रामगिरेि पर्वत है। पर्वतशिखर परश्रीराम मन्दिर में राम, सीता तथा लक्ष्मण एवं भगवान वाराह की मूर्तियाँ हैं। एक पुराना किला है। जिसमें बावड़ी व मन्दिर हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वितीय सरसंघचालक श्री गुरूजी का यह पैतृक स्थान है। |
| + | |
| + | अटवर्ती |
| + | |
| + | अमरावती महाराष्ट्र का एक सुन्दर नगर है। इसे देवताओं की नगरी |
| + | |
| + | माना जाता है,अत: इसे अमरावती नाम दिया गया है। एक छोटी सी नदी |
| + | |
| + | के तटपर यह नगरी बसी है। नदी के तट पर वीरा देवी का सुन्दर मन्दिर |
| + | |
| + | है। नदी के दूसरे तट पर अम्बा जी का मन्दिर है। इन मन्दिरों की |
| + | |
| + | आसपास के क्षेत्र में बहुत मान्यता है। पास के गाँव में नीललोहित महादेव |
| + | |
| + | का मन्दिर है। यहाँ करंज ऋषि भगवती की तपस्या कर रोगमुक्त हुए थे। |
| + | |
| + | बागपुर |
| + | |
| + | नागपुर प्रसिद्ध भोंसले शासकों की राजधानी रहा है। स्वतंत्रता |
| + | |
| + | आन्दोलन के दौरान डा. बालकृष्ण मुंजे, वीर सावरकर, लोकमान्य तिलक |
| + | |
| + | और गोपाल कृष्ण गोखले का कार्य-क्षेत्र बनने का श्रेय भी इस नगर को |
| + | |
| + | हुआ। सन् 1925 (विजया दशमी सं. 1982 वि)में यहीं पर संघ कार्य का |
| + | |
| + | श्रीगणेश हुआ।भोंसले राजाओं का सीतावड़ीं नामक किला तथा डॉक्टर |
| + | |
| + | हेडगेवार और श्रीगुरुजी की समाधियाँ यहाँ के प्रमुख स्थान हैं। राष्ट्रीय |
| + | |
| + | स्वयंसेवक संघ का केन्द्रीय कार्यालय (मुख्यालय) भी यहीं है। |
| | | |
| ==References== | | ==References== |