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| === कोणार्क === | | === कोणार्क === |
− | कोणावल यह ऐतिहासिक नगर वर्तमान उड़ीसा की राजधानी है। प्राचीन
| + | कोणार्क को प्राचीन पद्मक्षेत्र कहा जाता है।भगवान् श्रीकृष्ण के पुत्र साम्ब ने यहाँ सूर्योपासना कर कुष्ठ रोग से मुक्ति पायी। साम्ब ने यहाँ पर सूर्य-मूर्ति की स्थापना की थी (यह मूर्ति अब पुरी संग्रहालय में सुरक्षित है)। वर्तमान में बना रथाकार सूर्य मन्दिर १३ वीं शताब्दी का है। इसकी कला उत्कृष्ट कोटि की है। विधर्मी आक्रमणकारियों ने इसे कई बार और लूटा,परन्तु पूरी तरह सफल नहीं हो पाये। मन्दिर का शिखर व पहिए टूटे हुए हैं। सूर्य-मन्दिर के पृष्ठभाग में सूर्य पत्नी संज्ञा का मन्दिर है। यह भी भग्नावस्था में हैं। |
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− | कोणार्क को प्राचीन पद्मक्षेत्र कहा जाता है।भगवान् श्रीकृष्ण केपुत्र उत्कल राज्य की राजधानी भी यह नगर रहा है। यह मन्दिरों का नगर
| + | === चिल्काझील === |
| + | उड़ीसा (उत्कल) जहाँ आध्यात्मिक व सांस्कृतिक दृष्टि से समृद्ध है,वाही प्राकृतिक सुषमा में भी बेजोड़ है | चिल्का झील इसका उदहारण है | यह मीठे व खारे पानी की एशिया की विशालतम झील है। चिल्का झील पुरी (जगन्नाथपुरी) के एकदम दक्षिण में स्थित है।शीत ऋतुमें यहाँ पक्षी विविध प्रकार के पक्षियों का अभ्यारण्य बना होता है। साइबेरिया तक से पक्षी जाड़ों में यहां ठहरते हैं। झील का क्षेत्रफल ११०० वर्ग कि.मी. है। |
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− | साम्ब ने यहाँ सूर्योपासना कर कुष्ठ रोग से मुक्ति पायी। साम्ब ने यहाँ पर है।श्री लिंगराज मन्दिर, राजारानीमन्दिर तथा भुवनेश्वर मन्दिर यहाँ के
| + | === बालनगिरि === |
− | | + | पठारी व पर्वतीय संरचना वाला यह क्षेत्र दक्षिणी कोसल के नाम से जाना जाता था। इसका वर्णन रामायणकाल में दक्षिणी कोसल के नाम से हुआ है। बौद्धकाल मेंइसका वैभव शिखर पर था। सहजयान नामक बौद्ध विचारधारा का विकास यहीं पर हुआ। सोनपुर बालनगिर के पास स्थित मन्दिर नगर के रूप में जाना जाता है। |
− | सूर्य-मूर्ति की स्थापना की थी (यह मूर्ति अब पुरी संग्रहालय में सुरक्षित विशाल व भव्य मन्दिर हैं। महाप्रतापी खारवेल की राजधानी भी यह नगर
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− | है)। वर्तमान में बना रथाकार सूर्य मन्दिर 13वीं शताब्दी का है। इसकी रहा है। खारवेल ने ग्रीक आक्रमणकारी डेमेट्रियस को भारत से बाहर
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− | कला उत्कृष्ट कोटि की है। विधर्मी आक्रमणकारियों नेइसे कई बारतोड़ा खदेड़ दिया। <sub>और लूटा,परन्तुपूरीतरह सफल नहींहो पाये। मन्दिरका शिखर व पहिए</sub>
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− | अमरकण्टक टूटे हुए हैं। सूर्य-मन्दिर के पृष्ठभाग में सूर्य पत्नी संज्ञा का मन्दिर है।
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− | शिखर पर अमरनाथ महादेव, नर्मदा देवी, नर्मदेश्वर व
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− | यह भी भग्नावस्था में हैं।
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− | अमरकण्टकेश्वर के मन्दिर बने हैं। यहाँ पर कईशैव व वैष्णव मन्दिर तथा
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− | चिल्काझील
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− | पवित्र सरोवर व कुण्ड हैं। केशव नारायण तथा मत्स्येन्द्रनाथ के मन्दिर
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− | उड़ीसा (उत्कल) जहाँ आध्यात्मिक व सांस्कृतिक दृष्टि से समृद्ध है,
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− | प्रमुख हैं। मार्कण्डेय आश्रम, भूगुकमण्डल, कपिलधारा आदि ऋषियों के
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− | प्रसिद्ध स्थान अमरकण्टक के आसपास ही हैं। कालिदास द्वारा रचित वहीं प्राकृतिक सुषमा में भी बेजोड़ है। चिल्का झील इसका उदाहरण है।
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− | यह मीठे व खारे पानी की एशिया की विशालतम झील है। चिल्का झील
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− | 'मेघदूत' में इसे आम्रकूट नाम दिया गया है। शोणभद्र और महानदी के
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− | पुरी (जगन्नाथपुरी) के एकदम दक्षिण में स्थित है।शीत ऋतुमें यहाँ पक्षी
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− | उद्गम स्थान अमरकण्टक के पूर्वीभाग में हैं।महात्मा कबीर नेअमरकण्टक
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− | विविध प्रकार के पक्षियों का अभ्यारण्य बना होता है। साइबेरिया तक से
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− | के पास काफी समय तक निवास कर जनचेतना जगायी।
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− | पक्षी जाड़ों में यहां ठहरते हैं। झील का क्षेत्रफल 1100 वर्ग कि.मी. है।
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− | जबलपुर
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− | बालकक्रिडिट
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− | नर्मदा-नदी पर स्थित मध्यप्रदेश का प्रख्यात नगर| प्राचीन काल में
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− | पठारी व पर्वतीय संरचना वाला यह क्षेत्र दक्षिणी कोसल के नाम से | |
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− | नर्मदा के तट पर यहीं जाबालि ऋषि का आश्रम था। इस कारण यहाँ की
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− | जाना जाता था। इसका वर्णन रामायणकाल में दक्षिणी कोसल के नाम से | |
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− | बस्ती का नाम जाबालि पत्तनम् या जाबालिपुर पड़ा। यहाँ एक सुन्दर
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− | हुआ है। बौद्धकाल मेंइसका वैभव शिखर पर था। सहजयान नामक बौद्ध | |
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− | सरोवर और अनेक पुरातन व नवीन मन्दिर हैं।महारानी दुर्गावती नेभी इसे
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− | अपनी राजधानी बनाया था। सत्यवादी महाराजा हरिश्चन्द्र ने नर्मदा-तट विचारधारा का विकास यहीं पर हुआ। सोनपुर बालनगिर के पास स्थित
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− | मन्दिर नगर के रूप में जाना जाता है। | |
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| पर मुकुट क्षेत्र में तपस्या की थी। भूगु ऋषि की तपस्थली भेड़ाघाट | | पर मुकुट क्षेत्र में तपस्या की थी। भूगु ऋषि की तपस्थली भेड़ाघाट |