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| जलपाईगुड़ी जिले के शालवाड़ी ग्राम में त्रिस्रोता नदी के तट पर भ्रामरी देवी का मन्दिर विराजित है। यह स्थान प्रमुख शक्तिपीठ है। सती का बायाँ पैर यहाँ पर गिरा था। यह स्थान भ्रामरी पीठ के रूप में भी प्रसिद्ध है। | | जलपाईगुड़ी जिले के शालवाड़ी ग्राम में त्रिस्रोता नदी के तट पर भ्रामरी देवी का मन्दिर विराजित है। यह स्थान प्रमुख शक्तिपीठ है। सती का बायाँ पैर यहाँ पर गिरा था। यह स्थान भ्रामरी पीठ के रूप में भी प्रसिद्ध है। |
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− | ढहाविॉलेगा
| + | === दार्जिलिंग === |
| + | एक सुरम्य पहाड़ी पर दार्जिलिंग स्थित है। यह प्राकृतिक सौंदर्य के लिए विश्वभरमें विख्यात है। इसका प्राचीन नाम दुर्जयगिरि है। दार्जिलिंग समुद्रतल से 2700 मीटर (लगभग) ऊँचाई पर स्थित है। यहाँ पर दुर्जय लिंग नामक शिवमन्दिर है। भेटिया समुदाय के ये प्रधान देवता हैं। पश्चिमोत्तार दिशा में अति शान्त और मनोरम पहाड़ी पर देवी का मन्दिर व दिव्यकुण्ड नामक तीर्थ स्थान है। |
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− | एक सुरम्य पहाड़ी पर दार्जिलिंग स्थित है। यह प्राकृतिक सौंदर्य के
| + | गुवाहाटी (गोहाटी) |
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− | लिए विश्वभरमें विख्यात है। इसका प्राचीन नाम दुर्जयगिरि है। दार्जिलिंग
| + | असम प्रान्त की राजधानी (दिसपुर) व प्रमुख नगर है। इसका पुराना मन्दिर, आदिनाथ मन्दिर, स्वयम्भूनाथ मन्दिर आदि अन्य पूजनीय स्थान नाम प्रागज्योतिषपुर है। कामाख्या शक्तिपीठ, कामाक्षी देवी, उमानन्द(भैरव) अश्वक्रान्त, शिव की तप-स्थलीआदिपुण्य तीर्थ होने के कारण विख्यात है। सत्ती का उरु भाग यहाँ पर गिरा था। सब प्रकार की कामनाओं को पूर्ण करने वाली शक्तिपीठ के रूप में कामाख्या की प्रसिद्धिहै। महाभारत' व देवी भगवत' में इस स्थान का श्रद्धा के साथ वर्णन किया गया है। कामाख्या कामगिरि पहाड़ी पर स्थित है। कामाक्षी देवी नील पर्वत पर विराजमान है। प्राचीन देवी मन्दिर को सन् १५६४ ई.में काला पहाड़ नामक मुस्लिम आक्रमणकारी ने तोड़ डाला था। वर्तमान मन्दिर कूच बिहार के राजा का वनवाया हुआ है। यहाँ पर आश्विन, माघ व भाद्रपद मास में विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। लोहित व मानस कुण्ड,श्रीपीठ, रुद्रपीठ आदि अन्य पवित्र स्थान यहाँ हैं। लांचित व बड़फूकन का कार्य-क्षेत्र यहीं है। |
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− | समुद्रतल से 2700 मीटर (लगभग) ऊँचाई पर स्थित है। यहाँ पर दुर्जय
| + | === जयन्तिया === |
− | | + | मेघालय की राजधानी शिलांग सुन्दर पर्वतीय नगर है। शिलांग से लगभग 50 किमी. दूर जयन्तिया पहाड़ी स्थित है।इस पहाड़ी परजयन्ती देवी का मन्दिर है। यह प्रधान शक्तिपीठ है| यहाँ सती की वाम जांघा गिरी थी | |
− | लिंग नामक शिवमन्दिर है। भेटिया समुदाय के ये प्रधान देवता हैं।
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− | पशिचमोत्तर दिशा में अति शान्त और मनोरम पहाड़ी पर देवी का मन्दिर
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− | व दिव्यकुण्ड नामक तीर्थ स्थान है।
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− | शुवाहाटी (लोहटी)
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− | असम प्रान्त की राजधानी (दिसपुर) व प्रमुख नगर है। इसका पुराना
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− | मन्दिर, आदिनाथ मन्दिर, स्वयम्भूनाथ मन्दिर आदि अन्य पूजनीय स्थान नाम प्रागज्योतिषपुर है। कामाख्या शक्तिपीठ, कामाक्षी देवी, उमानन्द(भैरव)
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− | 74 पुण्य भूमिभारत पूर्वोत्तरएवंपूर्वी भारत 75
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− | अश्वक्रान्त, शिव की तप-स्थलीआदिपुण्य तीर्थ होने के कारण विख्यात
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− | है। सत्ती का उरु भाग यहाँ पर गिरा था। सब प्रकार की कामनाओं को
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− | पूर्ण करने वाली शक्तिपीठ के रूप में कामाख्या की प्रसिद्धिहै। महाभारत'
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− | व देवी भगवत' में इस स्थान का श्रद्धा के साथ वर्णन किया गया है।
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− | कामाख्या कामगिरि पहाड़ी पर स्थित है। कामाक्षी देवी नील पर्वत पर
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− | विराजमान है। प्राचीन देवी मन्दिर को सन् 1564 ई.में काला पहाड़ नामक
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− | मुस्लिम आक्रमणकारी ने तोड़ डाला था। वर्तमान मन्दिर कूच बिहार के
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− | राजा का वनवाया हुआ है। यहाँ पर आश्विन, माघ व भाद्रपद मास में
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− | विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। लोहित व मानस कुण्ड,श्रीपीठ,
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− | रुद्रपीठ आदि अन्य पवित्र स्थान यहाँ हैं। लांचित व बड़फूकन का
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− | कार्य-क्षेत्र यहीं है।
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− | खाटयक्तिटया
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− | मेघालय की राजधानी शिलांग सुन्दर पर्वतीय नगर है। शिलांग से | |
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− | लगभग 50 किमी. दूर जयन्तिया पहाड़ी स्थित है।इस पहाड़ी परजयन्ती | |
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− | देवी का मन्दिर है। यह प्रधान शक्तिपीठ है| यहाँ सती की वाम जांघा गिरी | |
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− | थी | | |
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| बष्ट्रपदा | | बष्ट्रपदा |