२५. स्त्रीयों को ख्ियों के नाते समान मानना, स्त्रीत्व के गुणों का आदर करना, स्त्रीत्व की अमूल्य सम्पत्ति मानकर रक्षा करना सही उपाय है । उसके स्थान पर आज ख्ियों को पुरुष जैसा बनने में, पुरुष करते हैं वे सभी काम करने में, उन कामों में भी पुरुषों से आगे निकलने में अधिक रुचि लगती है। ऐसा होने में पुरुषों को भी आपत्ति नहीं है। परन्तु भारत की करोडों खियों को ऐसी शिक्षा और ऐसे अवसर नहीं दिये जा सकते यह कितना ही इच्छनीय और आवश्यक लगता हो तो भी व्यावहारिक स्तर पर यह सम्भव नहीं है । | २५. स्त्रीयों को ख्ियों के नाते समान मानना, स्त्रीत्व के गुणों का आदर करना, स्त्रीत्व की अमूल्य सम्पत्ति मानकर रक्षा करना सही उपाय है । उसके स्थान पर आज ख्ियों को पुरुष जैसा बनने में, पुरुष करते हैं वे सभी काम करने में, उन कामों में भी पुरुषों से आगे निकलने में अधिक रुचि लगती है। ऐसा होने में पुरुषों को भी आपत्ति नहीं है। परन्तु भारत की करोडों खियों को ऐसी शिक्षा और ऐसे अवसर नहीं दिये जा सकते यह कितना ही इच्छनीय और आवश्यक लगता हो तो भी व्यावहारिक स्तर पर यह सम्भव नहीं है । |