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शूद्रों को ब्राह्मणों के विरुद्ध, यहाँ की पूरी प्रजा अन्धविश्वासों से भरी हुई है, पिछडी है ऐसा कहकर पूरी प्रजा को अपने धर्म, संस्कृति और धर्माचार्यों के विरुद्ध भटकाने के लगातार प्रयास किये गये, जो आज भी चल रहे हैं जिसके परिणाम स्वरूप वर्गभेद आज भी दृढमूल बनकर अपना प्रभाव दिखा रहा है ।
 
शूद्रों को ब्राह्मणों के विरुद्ध, यहाँ की पूरी प्रजा अन्धविश्वासों से भरी हुई है, पिछडी है ऐसा कहकर पूरी प्रजा को अपने धर्म, संस्कृति और धर्माचार्यों के विरुद्ध भटकाने के लगातार प्रयास किये गये, जो आज भी चल रहे हैं जिसके परिणाम स्वरूप वर्गभेद आज भी दृढमूल बनकर अपना प्रभाव दिखा रहा है ।
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८. तीसरा उपाय शिक्षा का था । समाज के ब्राह्मण वर्ग के कुछ लोगोंं पर उन्होंने अंग्रेजी शिक्षा देने की “कृपा' की और उन्हें शेष समाज से अलग कर अपने साथ जोडा । अपने जैसा वेश, अपने जैसा खानपान, अपने जैसा शिष्टाचार, अपनी भाषा और अपना ज्ञान देकर उन्हें अपने जैसा बनाया, उनका सम्मान किया, उनके गुणगान किये और शेष प्रजा को हीन मानना सिखाया । शिक्षित वर्ग में अंग्रेजी, अंगप्रेजीयत और अंग्रेजी ज्ञान अपने आपको श्रेष्ठ मानकर शेष प्रजा को हीन मानता है ।
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८. तीसरा उपाय शिक्षा का था । समाज के ब्राह्मण वर्ग के कुछ लोगोंं पर उन्होंने अंग्रेजी शिक्षा देने की “कृपा' की और उन्हें शेष समाज से अलग कर अपने साथ जोड़ा । अपने जैसा वेश, अपने जैसा खानपान, अपने जैसा शिष्टाचार, अपनी भाषा और अपना ज्ञान देकर उन्हें अपने जैसा बनाया, उनका सम्मान किया, उनके गुणगान किये और शेष प्रजा को हीन मानना सिखाया । शिक्षित वर्ग में अंग्रेजी, अंगप्रेजीयत और अंग्रेजी ज्ञान अपने आपको श्रेष्ठ मानकर शेष प्रजा को हीन मानता है ।
    
९. इन तीनों बातों की सहायता से, शिक्षित धार्मिकों का ही साधन के रूप में उपयोग कर सभी राजकीय, प्रशासनिक, पारिवारिक, सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक संस्थाओं को छिन्नविच्छन्न कर उनके स्थान पर युरोपीय संस्थाओं को प्रस्थापित कर दिया । शिक्षा के माध्यम से बुद्धि में, अत्याचार और छल के माध्यम से मन में और व्यवस्थाओं के माध्यम से व्यवहार में वे छा गये ।  
 
९. इन तीनों बातों की सहायता से, शिक्षित धार्मिकों का ही साधन के रूप में उपयोग कर सभी राजकीय, प्रशासनिक, पारिवारिक, सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक संस्थाओं को छिन्नविच्छन्न कर उनके स्थान पर युरोपीय संस्थाओं को प्रस्थापित कर दिया । शिक्षा के माध्यम से बुद्धि में, अत्याचार और छल के माध्यम से मन में और व्यवस्थाओं के माध्यम से व्यवहार में वे छा गये ।  

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