भारतवर्ष में सर्वे भवन्तु सुखिन: को ध्यान में रखकर अर्थव्यवस्था को विकसित और स्थापित किया गया था। इस अर्थव्यवस्था में पेसे के लेनदेन से होनेवाले व्यवहारों को न्यूनतम रखने के कारण पैसे या चलन पर कडा नियंत्रण रहता था। पैसे के कारण व्यवहारों में बिगाड नही निर्माण होते थे। लगभग सभी व्यवहार आत्मीयता के, प्यार के आधारपर वस्तुओं के आदानप्रदान की व्यवस्था से चलाए जाते थे। यही कारण था की भारत एक श्रेष्ठ संस्कृति का अनुसरण करनेवाला और फिर भी अत्यंत समृध्द देश बना था। आज भी हमें आत्मीयता पर आधारित वर्तमान युग के अनुरूप अपनी अर्थव्यवस्था की फिर से स्थापना के प्रयास करने होंगे। | भारतवर्ष में सर्वे भवन्तु सुखिन: को ध्यान में रखकर अर्थव्यवस्था को विकसित और स्थापित किया गया था। इस अर्थव्यवस्था में पेसे के लेनदेन से होनेवाले व्यवहारों को न्यूनतम रखने के कारण पैसे या चलन पर कडा नियंत्रण रहता था। पैसे के कारण व्यवहारों में बिगाड नही निर्माण होते थे। लगभग सभी व्यवहार आत्मीयता के, प्यार के आधारपर वस्तुओं के आदानप्रदान की व्यवस्था से चलाए जाते थे। यही कारण था की भारत एक श्रेष्ठ संस्कृति का अनुसरण करनेवाला और फिर भी अत्यंत समृध्द देश बना था। आज भी हमें आत्मीयता पर आधारित वर्तमान युग के अनुरूप अपनी अर्थव्यवस्था की फिर से स्थापना के प्रयास करने होंगे। |