Changes

Jump to navigation Jump to search
लेख सम्पादित किया
Line 1: Line 1: −
कुट्म्ब कैसे बनता है ?
+
== कुटुम्ब कैसे बनता है? ==
 
+
कुटुम्ब जीवन का केन्द्रबिन्दु है - पति और पत्नी ।
कुट्म्ब जीवन का केन्द्रबिन्दु है - पति और पत्नी ।
      
पतिपत्नी को जोड़ने वाला विवाह संस्कार होता है । एक
 
पतिपत्नी को जोड़ने वाला विवाह संस्कार होता है । एक
Line 71: Line 70:  
संस्कार का स्वरूप दिया गया है ।
 
संस्कार का स्वरूप दिया गया है ।
   −
'विवाह के उद्देश्य
+
== विवाह के उद्देश्य ==
 
   
यह सम्बन्ध शारीरिक से शुरू होकर आत्मिक तक
 
यह सम्बन्ध शारीरिक से शुरू होकर आत्मिक तक
   Line 91: Line 89:  
संस्कार के माध्यम से स्त्री और पुरुष को, पति और पत्नी
 
संस्कार के माध्यम से स्त्री और पुरुष को, पति और पत्नी
   −
को सिखाया जाता है और सिखाया जाना चाहिये । विवाह
+
को सिखाया जाता है और सिखाया जाना चाहिये ।  
 
  −
का दूसरा उद्देश्य है परम्परा बनाये रखने की व्यवस्था करना
  −
 
  −
और इसी दृष्टि से विवाह को भी व्याख्यायित किया गया
     −
है विवाह का उद्देश्य काम प्रेरित सुख नहीं है । ऐसे जीवन
+
'''विवाह का दूसरा उद्देश्य है परम्परा बनाये रखने की व्यवस्था करना और इसी दृष्टि से विवाह को भी व्याख्यायित किया गया है।''' विवाह का उद्देश्य काम प्रेरित सुख नहीं है । ऐसे जीवन
   −
में ख्री और पुरुष के आयुष्य में एक समय ऐसा आता है
+
में स्त्री और पुरुष के आयुष्य में एक समय ऐसा आता है
   −
fe of at ges a ही सुख मिलता है, पुरुष को ख्री से ही
+
fe of at ges a ही सुख मिलता है, पुरुष को स्त्री से ही
    
सुख मिलता है, यह काम सुख है । और इस दृष्टि से स्त्री
 
सुख मिलता है, यह काम सुख है । और इस दृष्टि से स्त्री
Line 119: Line 113:  
की रक्षा करने की चिन्ता करते हैं । इस कारण से भारत में
 
की रक्षा करने की चिन्ता करते हैं । इस कारण से भारत में
   −
कुट्म्ब भी नहीं बनता, समाज भी नहीं बनता | भारत में
+
कुटुम्ब भी नहीं बनता, समाज भी नहीं बनता | भारत में
    
विवाह का उद्देश्य केवल काम सुख नहीं है, काम सुख की
 
विवाह का उद्देश्य केवल काम सुख नहीं है, काम सुख की
Line 127: Line 121:  
परम्परा बनाना है, वंश परम्परा बनाना है और इसलिये
 
परम्परा बनाना है, वंश परम्परा बनाना है और इसलिये
   −
कुट्म्ब के लिये, गृहस्थाश्रमी के लिये ऋणत्रय की कल्पना
+
कुटुम्ब के लिये, गृहस्थाश्रमी के लिये ऋणत्रय की कल्पना
    
की गयी है ।
 
की गयी है ।
Line 255: Line 249:  
को मातापिता भी बनना है ।
 
को मातापिता भी बनना है ।
   −
परिवार व्यवस्था के सूत्र
+
== परिवार व्यवस्था के सूत्र ==
 
   
इन पाँच बिन्दुओं को ध्यान में रखकर पतिपत्नी के
 
इन पाँच बिन्दुओं को ध्यान में रखकर पतिपत्नी के
   Line 303: Line 296:  
तो वे भी इस व्यवसाय में शामिल होते हैं ।
 
तो वे भी इस व्यवसाय में शामिल होते हैं ।
   −
(३) अथर्जिन कुट्म्ब के निर्वाह के लिये होता है ।
+
(३) अथर्जिन कुटुम्ब के निर्वाह के लिये होता है ।
   −
इस कुट्म्ब के संचालन में भी दोनों की एक साथ भूमिका
+
इस कुटुम्ब के संचालन में भी दोनों की एक साथ भूमिका
    
रहती है । अथार्जिन करने का मुख्य दायित्व यदि पति का है
 
रहती है । अथार्जिन करने का मुख्य दायित्व यदि पति का है
Line 335: Line 328:  
एकात्मता का व्यवहारिक स्वरूप क्या है इसका यहाँ हमने
 
एकात्मता का व्यवहारिक स्वरूप क्या है इसका यहाँ हमने
   −
चार या पाँच बिन्‍्दुओं में ही उल्लेख किया है । कुट्म्ब की
+
चार या पाँच बिन्‍्दुओं में ही उल्लेख किया है । कुटुम्ब की
    
इस व्याख्या को प्रस्तुत करने के लिये, प्रतिष्ठित करने के
 
इस व्याख्या को प्रस्तुत करने के लिये, प्रतिष्ठित करने के
Line 353: Line 346:  
............. page-234 .............
 
............. page-234 .............
   −
आत्मीयता एक आधारभूत तत्त्व
+
== आत्मीयता एक आधारभूत तत्त्व ==
 
   
आत्मीयता का अर्थ है अपनापन । अपनापन की
 
आत्मीयता का अर्थ है अपनापन । अपनापन की
   Line 481: Line 473:  
दर्शाना यही मनुष्य का परम कर्तव्य बताया गया है ।
 
दर्शाना यही मनुष्य का परम कर्तव्य बताया गया है ।
   −
गृहसंचालन के कार्य
+
== गृहसंचालन के कार्य ==
 
   
परिवार व्यवस्था में दूसरा आयाम है गृह संचालन
 
परिवार व्यवस्था में दूसरा आयाम है गृह संचालन
   Line 493: Line 484:  
परिवार के सारे कामों का समावेश होता है । इसलिये शिक्षा
 
परिवार के सारे कामों का समावेश होता है । इसलिये शिक्षा
   −
की व्यवस्था में कुट्म्ब जीवन की शिक्षा यह भी प्रमुख मुद्दा
+
की व्यवस्था में कुटुम्ब जीवन की शिक्षा यह भी प्रमुख मुद्दा
    
............. page-235 .............
 
............. page-235 .............
Line 509: Line 500:  
था । बालक की शिक्षा गर्भाधान के क्षण से ही शुरू हो
 
था । बालक की शिक्षा गर्भाधान के क्षण से ही शुरू हो
   −
जाती है । यह शिक्षा तो अनिवार्य रूप से कुट्म्ब में ही दी
+
जाती है । यह शिक्षा तो अनिवार्य रूप से कुटुम्ब में ही दी
    
जाती है । माता और पिता मिलकर यह शिक्षा देते हैं ।
 
जाती है । माता और पिता मिलकर यह शिक्षा देते हैं ।
Line 573: Line 564:  
बालकों का संगोपन करना यह तो
 
बालकों का संगोपन करना यह तो
   −
कुट्म्ब के सर्वतोपरि महत्त्वपूर्ण और श्रेष्ठ काम हैं । अगर
+
कुटुम्ब के सर्वतोपरि महत्त्वपूर्ण और श्रेष्ठ काम हैं । अगर
    
हम मनुष्य जीवन के लिये उपयोगी, मनुष्य जीवन को उन्नत
 
हम मनुष्य जीवन के लिये उपयोगी, मनुष्य जीवन को उन्नत
Line 593: Line 584:  
कार्य बताया गया है । अतः भोजन बनाना, भोजन करना
 
कार्य बताया गया है । अतः भोजन बनाना, भोजन करना
   −
और करवाना यह कुट्म्ब का महत्त्वपूर्ण काम है। सब
+
और करवाना यह कुटुम्ब का महत्त्वपूर्ण काम है। सब
    
परिवार जनों को यह काम आना चाहिये । इसमें कुशलता
 
परिवार जनों को यह काम आना चाहिये । इसमें कुशलता
Line 623: Line 614:  
आदि भी आना चाहिये ।
 
आदि भी आना चाहिये ।
   −
कुट्म्ब शिक्षा के पाठ्यक्रम
+
== कुटुम्ब शिक्षा के पाठ्यक्रम ==
 
   
घर में संस्कार का एक आयाम है पूजा करना ।
 
घर में संस्कार का एक आयाम है पूजा करना ।
   Line 633: Line 623:  
त्योहार मनाने की विधि क्या है यह भी आना चाहिये । इस
 
त्योहार मनाने की विधि क्या है यह भी आना चाहिये । इस
   −
प्रकार कुट्म्ब जीवन को केन्द्र बनाते हुए अनेक प्रकार की
+
प्रकार कुटुम्ब जीवन को केन्द्र बनाते हुए अनेक प्रकार की
   −
कुशलतायें अर्जित करना यह कुट्म्ब व्यवस्था का, कुट्म्ब
+
कुशलतायें अर्जित करना यह कुटुम्ब व्यवस्था का, कुटुम्ब
    
जीवन का एक महत्त्वपूर्ण भाग है । परिवार की ca ae
 
जीवन का एक महत्त्वपूर्ण भाग है । परिवार की ca ae
Line 653: Line 643:  
स्थान क्या है, अपने उस स्थान के अनुसार अपने दायित्व
 
स्थान क्या है, अपने उस स्थान के अनुसार अपने दायित्व
   −
क्या बनते हैं, इसकी शिक्षा यह कुट्म्ब शिक्षा का एक
+
क्या बनते हैं, इसकी शिक्षा यह कुटुम्ब शिक्षा का एक
    
अहम मुद्दा है । इस शिक्षा की भी व्यवस्था होनी चाहिये ।
 
अहम मुद्दा है । इस शिक्षा की भी व्यवस्था होनी चाहिये ।
Line 663: Line 653:  
छोटेछोटे हिस्से बनाये गये और इनकों व्यापक रूप में
 
छोटेछोटे हिस्से बनाये गये और इनकों व्यापक रूप में
   −
प्रसारित करने की योजना भी बनी । कुट्म्ब जीवन प्रारम्भ
+
प्रसारित करने की योजना भी बनी । कुटुम्ब जीवन प्रारम्भ
    
करने के लिये व्यवस्थित शिक्षा देने की आवश्यकता है ।
 
करने के लिये व्यवस्थित शिक्षा देने की आवश्यकता है ।
Line 803: Line 793:  
योगाचार्य आयुर्वेदाचार्य, ज्योतिषाचार्य, धर्माचार्य आदि... भूमिका के साथ नया दायित्व भी प्राप्त होता है । इसलिये
 
योगाचार्य आयुर्वेदाचार्य, ज्योतिषाचार्य, धर्माचार्य आदि... भूमिका के साथ नया दायित्व भी प्राप्त होता है । इसलिये
   −
सभी के सहयोग की भी आवश्यकता निर्माण हुई और उन... केवल माता-पिता को ही नहीं तो पूरे कुट्म्ब को बालक के
+
सभी के सहयोग की भी आवश्यकता निर्माण हुई और उन... केवल माता-पिता को ही नहीं तो पूरे कुटुम्ब को बालक के
    
लोगों ने भी बहुत उत्साह से इसमें सहयोग किया । इसका... प्रति अपना जो दायित्व है उसे निभाना सीखना चाहिये ।
 
लोगों ने भी बहुत उत्साह से इसमें सहयोग किया । इसका... प्रति अपना जो दायित्व है उसे निभाना सीखना चाहिये ।
Line 829: Line 819:  
था और इसके भी व्यवस्थित विद्यालय शुरु हुए। ये वैसे तो इसका बहुत बडा हिस्सा गर्भावस्‍था की और
 
था और इसके भी व्यवस्थित विद्यालय शुरु हुए। ये वैसे तो इसका बहुत बडा हिस्सा गर्भावस्‍था की और
   −
विद्यालय कुट्म्ब विद्यालय के नाम से ही प्रसिद्ध हुए ।.. शिशुअवस्था की शिक्षा के अन्तर्गत आ गया है फिर भी
+
विद्यालय कुटुम्ब विद्यालय के नाम से ही प्रसिद्ध हुए ।.. शिशुअवस्था की शिक्षा के अन्तर्गत आ गया है फिर भी
    
कुटुम्ब विद्यालय भी स्थान-स्थान पर स्थापित होने लगे ।.... यहाँ कुछ बातों का निर्देश आवश्यक है। कहीं कहीं
 
कुटुम्ब विद्यालय भी स्थान-स्थान पर स्थापित होने लगे ।.... यहाँ कुछ बातों का निर्देश आवश्यक है। कहीं कहीं
Line 859: Line 849:  
भूमिका रहती है और वह बहुत महत्त्वपूर्ण होती है । अर्थात्‌ अपने बालक को देना है । अतः माता-पिता को
 
भूमिका रहती है और वह बहुत महत्त्वपूर्ण होती है । अर्थात्‌ अपने बालक को देना है । अतः माता-पिता को
   −
समग्र विकास प्रतिमान हेतु अभिभावक शिक्षा
+
== समग्र विकास प्रतिमान हेतु अभिभावक शिक्षा ==
 
   
BWW
 
BWW
   Line 875: Line 864:  
होने वाली माता के लिये यह विशेष रूप से आवश्यक है
 
होने वाली माता के लिये यह विशेष रूप से आवश्यक है
   −
क्योंकि वह दूसरे कुट्म्ब से इस Herat में आई है । उसे
+
क्योंकि वह दूसरे कुटुम्ब से इस Herat में आई है । उसे
    
अपने पितृ कुल का इतिहास तो मालूम है परन्तु पति कुल
 
अपने पितृ कुल का इतिहास तो मालूम है परन्तु पति कुल
Line 905: Line 894:  
यदि नहीं है तो उसे भी इसकी शिक्षा प्राप्त कर लेनी चाहिये ।
 
यदि नहीं है तो उसे भी इसकी शिक्षा प्राप्त कर लेनी चाहिये ।
   −
पत्नी अपने पति से अथवा पति-पत्नी दोनों कुट्म्ब के
+
पत्नी अपने पति से अथवा पति-पत्नी दोनों कुटुम्ब के
    
वृद्धजनों से ऐसी शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं ।
 
वृद्धजनों से ऐसी शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं ।
   −
संस्कार एवं संस्कार प्रक्रिया के सम्बन्ध में जानना
+
== संस्कार एवं संस्कार प्रक्रिया के सम्बन्ध में जानना ==
 
   
ब्रह्माण्ड में जो जीव है वे अपने लायक माता-पिता
 
ब्रह्माण्ड में जो जीव है वे अपने लायक माता-पिता
   Line 1,243: Line 1,231:  
कया किया जाय ?
 
कया किया जाय ?
   −
परम्परा का अज्ञान
+
== परम्परा का अज्ञान ==
 
   
वास्तव में आज की विषमता ही यह है । भारत के ही
 
वास्तव में आज की विषमता ही यह है । भारत के ही
   Line 1,363: Line 1,350:  
होंगे ।
 
होंगे ।
   −
माता बालक की प्रथम गुरु
+
== माता बालक की प्रथम गुरु ==
 
   
संस्कार देने लायक माता-पिता बनें इसके बाद शिशु
 
संस्कार देने लायक माता-पिता बनें इसके बाद शिशु
  

Navigation menu