| १८. इसका एक कारण यह हो सकता है कि ये प्रयोग करने वाले सबके सब अंग्रेजी शिक्षा प्राप्त किये हुए थे । वे विद्वान तो थे परन्तु अंग्रेजी ज्ञान में । उन्हें शिक्षा का केन्द्रबिन्दु धार्मिक ज्ञान होना चाहिये यह बात ध्यान में ही नहीं आई । | | १८. इसका एक कारण यह हो सकता है कि ये प्रयोग करने वाले सबके सब अंग्रेजी शिक्षा प्राप्त किये हुए थे । वे विद्वान तो थे परन्तु अंग्रेजी ज्ञान में । उन्हें शिक्षा का केन्द्रबिन्दु धार्मिक ज्ञान होना चाहिये यह बात ध्यान में ही नहीं आई । |
− | १९. अनेक लोगोंं के लिये शिक्षा मुख्य विषय नहीं था । आज भी अनेक संगठन ऐसे हैं जिनका मुख्य विषय अन्य है परन्तु वे शिक्षा के क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं । इनके अपने विश्वविद्यालय भी हैं । परन्तु उनके मुख्य विषय दूसरे हैं, अधिक व्यापक हैं । स्वामी रामदेव महाराज, गायत्री प्रज्ञापीठ, रामकृष्ण मिशन, faa fea, स्वामीनारायण सम्प्रदाय आदि अनेक संस्थाओं और संगठनों के मुख्य विषय धर्म, संस्कृति, वेदान्त आदि हैं, शिक्षा उनके व्यापक कार्य का एक अंग है । इसलिये भावात्मक पक्ष तो सुदूढ है परन्तु ज्ञानात्मक पक्ष का विचार ये नहीं करते हैं । | + | १९. अनेक लोगोंं के लिये शिक्षा मुख्य विषय नहीं था । आज भी अनेक संगठन ऐसे हैं जिनका मुख्य विषय अन्य है परन्तु वे शिक्षा के क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं । इनके अपने विश्वविद्यालय भी हैं । परन्तु उनके मुख्य विषय दूसरे हैं, अधिक व्यापक हैं । स्वामी रामदेव महाराज, गायत्री प्रज्ञापीठ, रामकृष्ण मिशन, faa fea, स्वामीनारायण सम्प्रदाय आदि अनेक संस्थाओं और संगठनों के मुख्य विषय धर्म, संस्कृति, [[Vedanta_(वेदान्तः)|वेदांत]] आदि हैं, शिक्षा उनके व्यापक कार्य का एक अंग है । इसलिये भावात्मक पक्ष तो सुदूढ है परन्तु ज्ञानात्मक पक्ष का विचार ये नहीं करते हैं । |
| २०. देश में अनेक संगठन ऐसे हैं जो शुद्ध शिक्षा के क्षेत्र में कार्यरत हैं । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा प्रेरित ये संगठन देशव्यापी हैं । संख्यात्मक दृष्टि से विश्व में प्रथम क्रमांक पर हैं, संगठनात्मक दृष्टि से समाज में और शिक्षा क्षेत्र में इनकी स्वीकृति है, वे प्रभावी है। कार्यकर्ताओं का अच्छा समर्पित वर्ग भी इनके पास है । परन्तु ये सब भी ज्ञानात्मक पक्ष को स्पर्श करते नहीं दिखाई देते हैं। वही पश्चिमी शिक्षा हजारों विद्यालयों में चल रही है । | | २०. देश में अनेक संगठन ऐसे हैं जो शुद्ध शिक्षा के क्षेत्र में कार्यरत हैं । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा प्रेरित ये संगठन देशव्यापी हैं । संख्यात्मक दृष्टि से विश्व में प्रथम क्रमांक पर हैं, संगठनात्मक दृष्टि से समाज में और शिक्षा क्षेत्र में इनकी स्वीकृति है, वे प्रभावी है। कार्यकर्ताओं का अच्छा समर्पित वर्ग भी इनके पास है । परन्तु ये सब भी ज्ञानात्मक पक्ष को स्पर्श करते नहीं दिखाई देते हैं। वही पश्चिमी शिक्षा हजारों विद्यालयों में चल रही है । |