व्यक्ति के स्तर पर इस लक्ष्य को ‘मोक्ष’ कहते हैं। सामाजिक स्तर पर यह लक्ष्य ‘स्वतंत्रता” होता है। और सृष्टि के स्तर पर यह लक्ष्य ‘धर्माचरण’ का होता है। | व्यक्ति के स्तर पर इस लक्ष्य को ‘मोक्ष’ कहते हैं। सामाजिक स्तर पर यह लक्ष्य ‘स्वतंत्रता” होता है। और सृष्टि के स्तर पर यह लक्ष्य ‘धर्माचरण’ का होता है। |