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=== अध्याय ४७ ===
   
बौद्धिकों में और सामान्य जनों में भारत को लेकर, भारत की शिक्षा को लेकर तरह तरह के प्रश्न उठते हैं । आये दिन अखबारों में कोई न कोई समाचार छपते रहते हैं । विभिन्न समझवाले लोग विभिन्न प्रकार से आलोचना करते रहते हैं । सारे अभिप्राय उलटसुलट होते हैं । परिणामस्वरूप किसी की भी समझ स्पष्ट नहीं होती । अतः यहाँ भिन्न भिन्न प्रकार के लोगोंं के अभिप्राय जानने हेतु कुछ लोगोंं को एक प्रश्नावलि भेजी गई और उनसे उत्तर मँगवाये गये । कुछ लोगोंं के साथ मौखिक चर्चा भी हुई । प्रश्नों के लिखित और मौखिक उत्तर देनेवालों में प्राध्यापक, महाविद्यालयीन छात्रा, एक मार्केटिंग कम्पनी का मुख्य कार्यवाहक अधिकारी, एक प्रथितयश डॉक्टर, एक शिक्षित गृहिणी, एक व्यापारी, एक सामाजिक कार्यकर्ता आदि विभिन्न प्रकार के लोग थे । ऐसा लगा कि अनेक लोग ऐसे थे जिन्होंने प्रश्न सामने आने तक इस मामले में कुछ विचार ही नहीं किया था । कुछ ऐसे थे कि जैसे ही प्रश्न पूछा तुरन्त जो सूझा वह बोल दिया । परन्तु उनसे निवेदन करने के बाद उन्होंने कुछ विचार किया और अपना प्रामाणिक अभिप्राय बताया । यह प्रश्नोत्तरी यहाँ प्रस्तुत है।
 
बौद्धिकों में और सामान्य जनों में भारत को लेकर, भारत की शिक्षा को लेकर तरह तरह के प्रश्न उठते हैं । आये दिन अखबारों में कोई न कोई समाचार छपते रहते हैं । विभिन्न समझवाले लोग विभिन्न प्रकार से आलोचना करते रहते हैं । सारे अभिप्राय उलटसुलट होते हैं । परिणामस्वरूप किसी की भी समझ स्पष्ट नहीं होती । अतः यहाँ भिन्न भिन्न प्रकार के लोगोंं के अभिप्राय जानने हेतु कुछ लोगोंं को एक प्रश्नावलि भेजी गई और उनसे उत्तर मँगवाये गये । कुछ लोगोंं के साथ मौखिक चर्चा भी हुई । प्रश्नों के लिखित और मौखिक उत्तर देनेवालों में प्राध्यापक, महाविद्यालयीन छात्रा, एक मार्केटिंग कम्पनी का मुख्य कार्यवाहक अधिकारी, एक प्रथितयश डॉक्टर, एक शिक्षित गृहिणी, एक व्यापारी, एक सामाजिक कार्यकर्ता आदि विभिन्न प्रकार के लोग थे । ऐसा लगा कि अनेक लोग ऐसे थे जिन्होंने प्रश्न सामने आने तक इस मामले में कुछ विचार ही नहीं किया था । कुछ ऐसे थे कि जैसे ही प्रश्न पूछा तुरन्त जो सूझा वह बोल दिया । परन्तु उनसे निवेदन करने के बाद उन्होंने कुछ विचार किया और अपना प्रामाणिक अभिप्राय बताया । यह प्रश्नोत्तरी यहाँ प्रस्तुत है।
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उत्तर  
 
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(१) लोकतन्त्र ब्रिटीशों की देन है। भारत तो असंख्य छोटे छोटे राज्यों में विभाजित था। सबके राजा थे। मुसलमानों के राजग्रहण करने के बाद उनके भी राज्य होने लगे और वे नवाब कहलाने लगे । राजा और नवाब विलासी होते थे और परस्पर लडते झघडते रहते थे । ब्रिटीशों ने इनको नियन्त्रित किया, अपने अधीन बनाया, भारत को एक राष्ट्र बनाया और सर्वजन समाज की देश को चलाने में समान रूप से सहभागिता हो ऐसी लोकतन्त्रात्मक राज्यव्यवस्था दी । अनेक प्रकार से ब्रिटीशों ने भारत का नुकसान किया होगा परन्तु लोकतन्त्र जैसी शासनप्रणाली देकर उसने हमारा बहुत बडा उपकार किया है । इसलिये उनके जाने के बाद भी हमने उस व्यवस्था को बनाये रखा।
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#लोकतन्त्र ब्रिटीशों की देन है। भारत तो असंख्य छोटे छोटे राज्यों में विभाजित था। सबके राजा थे। मुसलमानों के राजग्रहण करने के बाद उनके भी राज्य होने लगे और वे नवाब कहलाने लगे । राजा और नवाब विलासी होते थे और परस्पर लडते झघडते रहते थे । ब्रिटीशों ने इनको नियन्त्रित किया, अपने अधीन बनाया, भारत को एक राष्ट्र बनाया और सर्वजन समाज की देश को चलाने में समान रूप से सहभागिता हो ऐसी लोकतन्त्रात्मक राज्यव्यवस्था दी । अनेक प्रकार से ब्रिटीशों ने भारत का नुकसान किया होगा परन्तु लोकतन्त्र जैसी शासनप्रणाली देकर उसने हमारा बहुत बडा उपकार किया है । इसलिये उनके जाने के बाद भी हमने उस व्यवस्था को बनाये रखा।
 
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#राजाओं और नवाबों के समय में प्रजा का कोई सम्मान नहीं था । कर्ताधर्ता राजा ही होते थे, प्रजा तो अधिकार हीन थी। जबकि लोकतन्त्र में प्रजा को अधिकार प्राप्त हुआ। ऊँचनीच के भेद समाप्त हुऐ । वह एक आदर्श व्यवस्था है।
(२) राजाओं और नवाबों के समय में प्रजा का कोई सम्मान नहीं था । कर्ताधर्ता राजा ही होते थे, प्रजा तो अधिकार हीन थी। जबकि लोकतन्त्र में प्रजा को अधिकार प्राप्त हुआ। ऊँचनीच के भेद समाप्त हुऐ । वह एक आदर्श व्यवस्था है।
      
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==== प्रश्न ७ अमेरिका की ऐसी दो बातें बातइये जो आपको पसन्द नहीं है । दो ऐसी भी बताइये जो आपको पसन्द है। ====
 
==== प्रश्न ७ अमेरिका की ऐसी दो बातें बातइये जो आपको पसन्द नहीं है । दो ऐसी भी बताइये जो आपको पसन्द है। ====
 
उत्तर  
 
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#मुझे अमेरिका के लोग कानून का पालन करते हैं वह और वहाँ स्वच्छता बहुत अच्छी है ये दो बातें अच्छी लगती हैं । वहाँ भारत के जैसी कुटुम्ब व्यवस्था नहीं है वह और वहाँ लोग कभी स्थिर नहीं बैठते ये दो बाते अच्छी नहीं लगती।
(१) मुझे अमेरिका के लोग कानून का पालन करते हैं वह और वहाँ स्वच्छता बहुत अच्छी है ये दो बातें अच्छी लगती हैं । वहाँ भारत के जैसी कुटुम्ब व्यवस्था नहीं है वह और वहाँ लोग कभी स्थिर नहीं बैठते ये दो बाते अच्छी नहीं लगती।
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#वहाँ सारे सम्बन्ध औपचारिक हैं और वहाँ किसी को किसी की नहीं पड़ी है ये दो बातें अच्छी नहीं लगती। वहां यातायात का अनुशासन बहुत अच्छा है और रास्तों पर ट्रैफिक जेम की समस्या नहीं होती ये दो बातें बहुत अच्छी लगती है।
 
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#वहाँ बच्चोंं के मातापिता साथ नहीं रहते क्योंकि उनका विवाह विच्छेद हआ है। वहाँ बच्चे सोलह वर्ष के होते हैं तब मातापिता का उनके प्रति दायित्व समाप्त हो जाता है । ये दो बातें मुझे अच्छी नहीं लगतीं । वहाँ सब अपना काम स्वयं कर लेते हैं । वहाँ साफसफाई करने के लिये भी यन्त्र होते हैं । ये दो बातें मुझे अच्छी लगती हैं।
(२) वहाँ सारे सम्बन्ध औपचारिक हैं और वहाँ किसी को किसी की नहीं पड़ी है ये दो बातें अच्छी नहीं लगती। वहां यातायात का अनुशासन बहुत अच्छा है और रास्तों पर ट्रैफिक जेम की समस्या नहीं होती ये दो बातें बहुत अच्छी लगती है।
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#अमेरिका में पर्यावरण का प्रदूषण बहत होता है क्योंकि वहाँ प्राकृतिक सम्पदा का शोषण होता है। अमेरिका में लोगोंं के मन अत्यधिक उत्तेजनाग्रस्त रहते हैं । पहली बात के लिये मुझे नाराजगी होती है और दूसरी बात के लिये उसकी दया आती है। वहाँ सामाजिक बदनामी जैसा कुछ नहीं है । दैनन्दिन जीवन में भ्रष्टाचार नहीं है। ये दो बातें मुझे अच्छी लगती हैं।
 
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#अमेरिका में किसी को खर्च की सीमा आँकना नहीं आता । बैंक के ऋण ले लेकर वे अपना खर्च करते हैं । वहाँ बचत नाम की कोई बात नहीं है । ये दो बातें मुझे जरा भी उचित #अमेरिका में ज्ञानविज्ञान के क्षेत्र का बहुत विकास हुआ है। हार्वर्ड और एमआईटी जैसे विश्वविद्यालय और नासा जैसी अनुसन्धान संस्था विश्व में सर्वश्रेष्ठ है । यह विश्वभर के विद्वानों को आकर्षित करता है। दूसरा, अमेरिका समृद्ध देश है। उस पर प्रकृति की बडी कृपा है । इन दो कारणों से मुझे अमेरिका अच्छा लगता है । परन्तु अमेरिका इन्हीं दो कारणों से विश्व पर वर्चस्व जमाने का प्रयास करता है, विश्व को अपनी तरह चलाना चाहता हैं। साथ ही वह बाजार के माध्यम से अन्य देशों की सम्पत्ति छीनने का प्रयास करता है । ये दो बातें मुझे अच्छी नहीं लगतीं ।
(३) वहाँ बच्चोंं के मातापिता साथ नहीं रहते क्योंकि उनका विवाह विच्छेद हआ है। वहाँ बच्चे सोलह वर्ष के होते हैं तब मातापिता का उनके प्रति दायित्व समाप्त हो जाता है । ये दो बातें मुझे अच्छी नहीं लगतीं । वहाँ सब अपना काम स्वयं कर लेते हैं । वहाँ साफसफाई करने के लिये भी यन्त्र होते हैं । ये दो बातें मुझे अच्छी लगती हैं।
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#अमेरिका विश्व में अपना वर्चस्व बनाये रखने के लिये आतंकवाद को बढावा देने में भी संकोच नहीं करता । वह स्वार्थप्रेरित हिंसा का आश्रय लेता है। दूसरा, इतने समृद्ध देश में भी बेरोजगारी और भुखमरी तो है ही। इसका अर्थ है कि वह देश को चला नहीं सकता । इसलिये मुझे अमेरिका अच्छा नहीं लगता । ये दो इतनी बड़ी बातें हैं कि उन के सामने और कोई अच्छी बात टिक नहीं सकती। फिर भी आप क्या अच्छा लगता है यह भी पूछ रहे हैं इसलिये बताता हूँ कि वहां के रास्ते, वहाँ के बड़े बड़े भवन और वहाँ यातायात की सुविधा मुझे अच्छे लगते हैं।
 
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#अमेरिका भौतिक दृष्टि से आगे होगा परन्तु उसकी समृद्धि हिंसक है । साथ ही सांस्कृतिक दृष्टि से वह बहुत ही पिछडा देश माना जायेगा । सामाजिक स्तर पर अकेलापन और व्यक्तिगत स्तर पर शान्ति और सन्तोष का अभाव इस देश के भविष्य को धूमिल बना रहे हैं । उसे मानसिक स्थिरता सिखाने की आवश्यकता है । इन दो बातों के सामने और यदि कोई अच्छी बातें रहीं तो भी वे निरर्थक हैं। इसलिये छोटी छोटी अच्छी बातों का मैं उल्लेख ही नहीं कर रहा हूँ। विश्व को अमेरिका से सावध रहने की आवश्यकता है।
(४) अमेरिका में पर्यावरण का प्रदूषण बहत होता है क्योंकि वहाँ प्राकृतिक सम्पदा का शोषण होता है। अमेरिका में लोगोंं के मन अत्यधिक उत्तेजनाग्रस्त रहते हैं । पहली बात के लिये मुझे नाराजगी होती है और दूसरी बात के लिये उसकी दया आती है। वहाँ सामाजिक बदनामी जैसा कुछ नहीं है । दैनन्दिन जीवन में भ्रष्टाचार नहीं है। ये दो बातें मुझे अच्छी लगती हैं।
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(५) अमेरिका में किसी को खर्च की सीमा आँकना नहीं आता । बैंक के ऋण ले लेकर वे अपना खर्च करते हैं । वहाँ बचत नाम की कोई बात नहीं है । ये दो बातें मुझे जरा भी उचित नहीं लगती । अमेरिका में खाने पीने में, मौज मस्ती करने में कोई किसी को टोकता नहीं है। लोग पंक्ति तोडते नहीं हैं । ये दो बातें मुझे अच्छी लगती हैं।
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(६) अमेरिका में ज्ञानविज्ञान के क्षेत्र का बहुत विकास हुआ है। हार्वर्ड और एमआईटी जैसे विश्वविद्यालय और नासा जैसी अनुसन्धान संस्था विश्व में सर्वश्रेष्ठ है । यह विश्वभर के विद्वानों को आकर्षित करता है। दूसरा, अमेरिका समृद्ध देश है। उस पर प्रकृति की बडी कृपा है । इन दो कारणों से मुझे अमेरिका अच्छा लगता है । परन्तु अमेरिका इन्हीं दो कारणों से विश्व पर वर्चस्व जमाने का प्रयास करता है, विश्व को अपनी तरह चलाना चाहता हैं। साथ ही वह बाजार के माध्यम से अन्य देशों की सम्पत्ति छीनने का प्रयास करता है । ये दो बातें मुझे अच्छी नहीं लगतीं ।
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(७) अमेरिका विश्व में अपना वर्चस्व बनाये रखने के लिये आतंकवाद को बढावा देने में भी संकोच नहीं करता । वह स्वार्थप्रेरित हिंसा का आश्रय लेता है। दूसरा, इतने समृद्ध देश में भी बेरोजगारी और भुखमरी तो है ही। इसका अर्थ है कि वह देश को चला नहीं सकता । इसलिये मुझे अमेरिका अच्छा नहीं लगता । ये दो इतनी बड़ी बातें हैं कि उन के सामने और कोई अच्छी बात टिक नहीं सकती। फिर भी आप क्या अच्छा लगता है यह भी पूछ रहे हैं इसलिये बताता हूँ कि वहां के रास्ते, वहाँ के बड़े बड़े भवन और वहाँ यातायात की सुविधा मुझे अच्छे लगते हैं।
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(८) अमेरिका भौतिक दृष्टि से आगे होगा परन्तु उसकी समृद्धि हिंसक है । साथ ही सांस्कृतिक दृष्टि से वह बहुत ही पिछडा देश माना जायेगा । सामाजिक स्तर पर अकेलापन और व्यक्तिगत स्तर पर शान्ति और सन्तोष का अभाव इस देश के भविष्य को धूमिल बना रहे हैं । उसे मानसिक स्थिरता सिखाने की आवश्यकता है । इन दो बातों के सामने और यदि कोई अच्छी बातें रहीं तो भी वे निरर्थक हैं। इसलिये छोटी छोटी अच्छी बातों का मैं उल्लेख ही नहीं कर रहा हूँ। विश्व को अमेरिका से सावध रहने की आवश्यकता है।
      
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==References==
 
==References==
 
<references />धार्मिक शिक्षा : वैश्विक संकटों का निवारण धार्मिक शिक्षा (धार्मिक शिक्षा ग्रन्थमाला ५), प्रकाशक: पुनरुत्थान प्रकाशन सेवा ट्रस्ट, लेखन एवं संपादन: श्रीमती इंदुमती काटदरे
 
<references />धार्मिक शिक्षा : वैश्विक संकटों का निवारण धार्मिक शिक्षा (धार्मिक शिक्षा ग्रन्थमाला ५), प्रकाशक: पुनरुत्थान प्रकाशन सेवा ट्रस्ट, लेखन एवं संपादन: श्रीमती इंदुमती काटदरे
[[Category:धार्मिक शिक्षा ग्रंथमाला 5: वैश्विक संकटों का निवारण धार्मिक शिक्षा]]
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[[Category:धार्मिक शिक्षा ग्रंथमाला 5: पर्व 6: सारांश]]
[[Category:Education Series]]
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[[Category:Dharmik Shiksha Granthmala(धार्मिक शिक्षा ग्रन्थमाला)]]
 
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