भक्तिकाल के प्रसिद्ध संत, जिनका काल युगाब्द 46-47वीं (अर्थात् ईसा की 16वीं) शताब्दी का रहा है। इनका जन्म चर्मकार परिवार में हुआ था। ये काशी के निवासी थे और प्रसिद्ध वैष्णव सन्त रामानन्द के अनुयायी थे। चर्मकार का व्यवसाय करते हुए इन्होंने अपनी असाधारण कृष्णभक्ति की अपनी रचनाओं में सहज निर्मल अभिव्यक्ति की। सन्त कबीर के विपरीत रविदास सौम्य स्वभाव के सन्त पुरुष थे। वृद्धावस्था की ओर बढ़ते कबीर के पास यदा-कदा वे सत्संग-लाभ करने जाते थे। | भक्तिकाल के प्रसिद्ध संत, जिनका काल युगाब्द 46-47वीं (अर्थात् ईसा की 16वीं) शताब्दी का रहा है। इनका जन्म चर्मकार परिवार में हुआ था। ये काशी के निवासी थे और प्रसिद्ध वैष्णव सन्त रामानन्द के अनुयायी थे। चर्मकार का व्यवसाय करते हुए इन्होंने अपनी असाधारण कृष्णभक्ति की अपनी रचनाओं में सहज निर्मल अभिव्यक्ति की। सन्त कबीर के विपरीत रविदास सौम्य स्वभाव के सन्त पुरुष थे। वृद्धावस्था की ओर बढ़ते कबीर के पास यदा-कदा वे सत्संग-लाभ करने जाते थे। |