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भारतीय शास्त्रों में धर्म की व्याख्या ' यतो अभ्युदय नि:श्रेयस सिद्धि स: धर्म:<ref>वैशेषिक दर्शन 1.1.2 </ref> - यह भी की गई है। इस का अर्थ है जिन नियमों का पालन करने से अभ्युदय की अर्थात् सुख और समृध्दि की प्राप्ति होती है वह और नि:श्रेयस अर्थात् मोक्ष की दिशा में प्रगति हो, उसे धर्म कहते है।
भारतीय शास्त्रों में धर्म की व्याख्या ' यतो अभ्युदय नि:श्रेयस सिद्धि स: धर्म:<ref>वैशेषिक दर्शन 1.1.2 </ref> - यह भी की गई है। इस का अर्थ है जिन नियमों का पालन करने से अभ्युदय की अर्थात् सुख और समृध्दि की प्राप्ति होती है वह और नि:श्रेयस अर्थात् मोक्ष की दिशा में प्रगति हो, उसे धर्म कहते है।
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व्यक्ति के स्तर पर इस लक्ष्य को ‘मोक्ष’ कहते हैं। सामाजिक स्तर पर यह लक्ष्य ‘स्वतंत्रता” होता है। और सृष्टी के स्तर पर यह लक्ष्य ‘धर्माचरण’ का होता है।
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व्यक्ति के स्तर पर इस लक्ष्य को ‘मोक्ष’ कहते हैं। सामाजिक स्तर पर यह लक्ष्य ‘स्वतंत्रता” होता है। और सृष्टि के स्तर पर यह लक्ष्य ‘धर्माचरण’ का होता है।
== भारतीय दृष्टि से शिक्षा के लक्ष्य की विशेषताएं ==
== भारतीय दृष्टि से शिक्षा के लक्ष्य की विशेषताएं ==