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धार्मिक शिक्षा ग्रन्थमाला २
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पश्चिमीकरण से मुक्ति का क्या स्वरूप है । पश्चीमी प्रभाव को नष्ट करने का अर्थ क्या होता है इसको समझने के लिये हमें
पश्चिमीकरण से मुक्ति का क्या स्वरूप है । पश्चीमी प्रभाव को नष्ट करने का अर्थ क्या होता है इसको समझने के लिये हमें
−
बहुत पुरुषार्थ करना
पडेगा
। हम उल्टी दिशा में अर्थात् पश्चिमीकरण की दिशा में इतने दूर निकल गये है कि सही मार्ग पर
+
बहुत पुरुषार्थ करना
पड़ेगा
। हम उल्टी दिशा में अर्थात् पश्चिमीकरण की दिशा में इतने दूर निकल गये है कि सही मार्ग पर
का एक एक पडाव, छोटे से छोटा कदम भी हमें अव्यावहारिक लगने लगेगा । उदाहरण के लिये यदि हम कहें कि शिक्षा
का एक एक पडाव, छोटे से छोटा कदम भी हमें अव्यावहारिक लगने लगेगा । उदाहरण के लिये यदि हम कहें कि शिक्षा
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से निराश और उदास होकर महर्षि व्यास, उनके पुत्र शुकदेवजी एवं
से निराश और उदास होकर महर्षि व्यास, उनके पुत्र शुकदेवजी एवं
−
अन्य अनुयायी दक्षिण की ओर तीर्थयात्रा पर चल
पडे
और
+
अन्य अनुयायी दक्षिण की ओर तीर्थयात्रा पर चल
पड़े
और
गोदावरी के तट पर तप के लिए उन्हों ने डेरा डाल दिया । उनके
गोदावरी के तट पर तप के लिए उन्हों ने डेरा डाल दिया । उनके
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