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भारत को इसका त्याग करना होगा । भौतिकवादी यान्त्रिक एकरूपता से धार्मिक जीवनशैली का विकास नहीं हो सकता । यह केवल तत्त्वज्ञान का नहीं, व्यवहार का विषय है। एकरूपता के स्थान पर एकात्मता से प्रेरित स्वाभाविकता का स्वीकार किया जाय तो असंख्य रचनायें बदल जायेंगी। दिशा बदली तो मार्ग और गन्तव्य दोनों बदल जाने जैसा ही है ।
 
भारत को इसका त्याग करना होगा । भौतिकवादी यान्त्रिक एकरूपता से धार्मिक जीवनशैली का विकास नहीं हो सकता । यह केवल तत्त्वज्ञान का नहीं, व्यवहार का विषय है। एकरूपता के स्थान पर एकात्मता से प्रेरित स्वाभाविकता का स्वीकार किया जाय तो असंख्य रचनायें बदल जायेंगी। दिशा बदली तो मार्ग और गन्तव्य दोनों बदल जाने जैसा ही है ।
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एकरूपता के स्थान पर यदि स्वाभाविकता लाना है तो हमें, उदाहरण के लिये, हमारी दैनन्दिन उपयोग की छोटी छोटी बातें बदलने से प्रारम्भ करना होगा। छोटे प्रारम्भ से बडे बडे परिवर्तनों तक पहुँचा जा सकता है। यदि हम कारखाने में बने तैयार कपडे और जूते पहनने के स्थान पर हाथ से बने कपडे और जूते पहनने लगेंगे तो जूते और कपडे के कारखाने बन्द हो जायेंगे, यन्त्रसामग्री निरुपयोगी बन जायेगी, दर्जी और मोची को काम मिलेगा, वे नौकर नहीं अपितु अपने व्यवसाय के मालिक बनेंगे। अपने व्यवसाय के लिये वे गाँव में जायेंगे, वहाँ सुख से रहेंगे, गाँवों का विकास होगा और हमें अपने नाप के, दर्जी और मोची के मानवीय स्पर्शवाले कपड़े और जूते मिलेंगे । सारा अर्थतन्त्र, यान्त्रिकीकरण और शहरीकरण रुक जायेगा । और दिशा बदल जायेगी। आज डिझाइनर कपड़ों और जूतों की बडी प्रतिष्ठा है । यन्त्र दूर करते ही हर व्यक्ति को डिझाइनर कपडे और जूते मिलेंगे।
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एकरूपता के स्थान पर यदि स्वाभाविकता लाना है तो हमें, उदाहरण के लिये, हमारी दैनन्दिन उपयोग की छोटी छोटी बातें बदलने से प्रारम्भ करना होगा। छोटे प्रारम्भ से बडे बडे परिवर्तनों तक पहुँचा जा सकता है। यदि हम कारखाने में बने तैयार कपड़े और जूते पहनने के स्थान पर हाथ से बने कपड़े और जूते पहनने लगेंगे तो जूते और कपड़े के कारखाने बन्द हो जायेंगे, यन्त्रसामग्री निरुपयोगी बन जायेगी, दर्जी और मोची को काम मिलेगा, वे नौकर नहीं अपितु अपने व्यवसाय के मालिक बनेंगे। अपने व्यवसाय के लिये वे गाँव में जायेंगे, वहाँ सुख से रहेंगे, गाँवों का विकास होगा और हमें अपने नाप के, दर्जी और मोची के मानवीय स्पर्शवाले कपड़े और जूते मिलेंगे । सारा अर्थतन्त्र, यान्त्रिकीकरण और शहरीकरण रुक जायेगा । और दिशा बदल जायेगी। आज डिझाइनर कपड़ों और जूतों की बडी प्रतिष्ठा है । यन्त्र दूर करते ही हर व्यक्ति को डिझाइनर कपड़े और जूते मिलेंगे।
    
मूल संकल्पना बदलते ही कितनी दूर तक सारे परिवर्तन होते हैं इसका यह उदाहरण है।
 
मूल संकल्पना बदलते ही कितनी दूर तक सारे परिवर्तन होते हैं इसका यह उदाहरण है।

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