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५४. इसी प्रकार से परिवार की जीवनशैली के सूत्र तैयार कर प्रबोधन, प्रशिक्षण और प्रचार की योजना बनानी चाहिये ।
 
५४. इसी प्रकार से परिवार की जीवनशैली के सूत्र तैयार कर प्रबोधन, प्रशिक्षण और प्रचार की योजना बनानी चाहिये ।
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५५. वर्तमान राष्ट्रजीवन की मूल समस्याओं को जीवनदृष्टि के प्रकाश में समझने हेतु चिन्तन सत्र चलाना चाहिये । इस दृष्टि से राष्ट्रजीवन के प्रवाहों से सम्यक्‌ रूप से अवगत होना आवश्यक है । विश्वविद्यालय का क्षेत्र समाजजीवन की गतीविधियों से विमुख नहीं हो सकता । आज तो स्थिति यह है कि वैश्विक प्रवाहों से भी अवगत होना पडेगा
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५५. वर्तमान राष्ट्रजीवन की मूल समस्याओं को जीवनदृष्टि के प्रकाश में समझने हेतु चिन्तन सत्र चलाना चाहिये । इस दृष्टि से राष्ट्रजीवन के प्रवाहों से सम्यक्‌ रूप से अवगत होना आवश्यक है । विश्वविद्यालय का क्षेत्र समाजजीवन की गतीविधियों से विमुख नहीं हो सकता । आज तो स्थिति यह है कि वैश्विक प्रवाहों से भी अवगत होना पड़ेगा
    
५६. इन समस्याओं को समझकर, इनका विश्लेषण कर इनके उद्गम के स्रोत कौन से हैं, इनका परिणाम क्या हो रहा है और इन्हें दूर करने के उपाय क्या है इसके ज्ञानात्मक उत्तर खोजने होंगे । ज्ञानात्मक उत्तर ही सबसे प्रभावी होते हैं यह अनुभवजन्य सत्य है । इन उत्तरों के आधार पर मार्गदर्शक सूत्र बन सकते हैं ।
 
५६. इन समस्याओं को समझकर, इनका विश्लेषण कर इनके उद्गम के स्रोत कौन से हैं, इनका परिणाम क्या हो रहा है और इन्हें दूर करने के उपाय क्या है इसके ज्ञानात्मक उत्तर खोजने होंगे । ज्ञानात्मक उत्तर ही सबसे प्रभावी होते हैं यह अनुभवजन्य सत्य है । इन उत्तरों के आधार पर मार्गदर्शक सूत्र बन सकते हैं ।

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