विक्रमादित्य और कालिदास के समकालीन प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य। इनका रचित 'बृहत् संहिता' प्रसिद्ध ग्रंथ है। सम्भवत: ये उज्जैन—निवासी थे। विक्रमादित्य की राजसभा के नवरत्नों में वराहमिहिर की भी गणना की जाती है। आर्यभट्ट के सिद्धांतो के बारे में उनकी निरपेक्षता से भी यही प्रकट होता है कि वे पूर्ववर्ती रहे होंगे। | विक्रमादित्य और कालिदास के समकालीन प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य। इनका रचित 'बृहत् संहिता' प्रसिद्ध ग्रंथ है। सम्भवत: ये उज्जैन—निवासी थे। विक्रमादित्य की राजसभा के नवरत्नों में वराहमिहिर की भी गणना की जाती है। आर्यभट्ट के सिद्धांतो के बारे में उनकी निरपेक्षता से भी यही प्रकट होता है कि वे पूर्ववर्ती रहे होंगे। |