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६१. कर्तव्य के या सेवा के रूप में किये गये काम का कोई हिसाब नहीं रखा जाता । उसकी किसी भी प्रकार से, किसी भी रूप में कीमत चुकाई जानी चाहिये ऐसी अपेक्षा करना सेवाभाव को क्षीण करना है |
 
६१. कर्तव्य के या सेवा के रूप में किये गये काम का कोई हिसाब नहीं रखा जाता । उसकी किसी भी प्रकार से, किसी भी रूप में कीमत चुकाई जानी चाहिये ऐसी अपेक्षा करना सेवाभाव को क्षीण करना है |
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६२. बुद्धि, रूप, धन, कुशलता आदि का अहंकार करने और दूसरों के समक्ष उसे प्रकट करते रहने से हमारा सामर्थ्य और प्रभाव कम होते हैं । उससे हमेशा बचना चाहिये ।
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६२. बुद्धि, रूप, धन, कुशलता आदि का अहंकार करने और दूसरों के समक्ष उसे प्रकट करते रहने से हमारा सामर्थ्य और प्रभाव कम होते हैं । उससे सदा बचना चाहिये ।
    
६३. परिवार में और समाज में हमारी विशिष्ट भूमिका होती है । उस भूमिका के अनुरूप हमारा व्यवहार बने इस दृष्टि से अपने आपको बहुत कुछ सिखाना होता है । हम स्वयं अपने शिक्षक बनकर यह सब सिखायें यह अपेक्षित है ।
 
६३. परिवार में और समाज में हमारी विशिष्ट भूमिका होती है । उस भूमिका के अनुरूप हमारा व्यवहार बने इस दृष्टि से अपने आपको बहुत कुछ सिखाना होता है । हम स्वयं अपने शिक्षक बनकर यह सब सिखायें यह अपेक्षित है ।
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१०५, हमारा इस जन्म का जीवन कैसा है इसको पहचान कर हमारा पूर्वजन्म कैसा होगा इसका और हमारा अगला जन्म कैसा होगा इसका भी अनुमान लगाना चाहिये, क्योंकि हमारा इस जन्म का जीवन पूर्वजन्म का परिणाम है और अगला जन्म इस जन्म का परिणाम होगा ।
 
१०५, हमारा इस जन्म का जीवन कैसा है इसको पहचान कर हमारा पूर्वजन्म कैसा होगा इसका और हमारा अगला जन्म कैसा होगा इसका भी अनुमान लगाना चाहिये, क्योंकि हमारा इस जन्म का जीवन पूर्वजन्म का परिणाम है और अगला जन्म इस जन्म का परिणाम होगा ।
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१०६, एक धार्मिक हमेशा मोक्ष चाहता है । मोक्ष का अर्थ है मुक्ति । हम किन किन बातों से मुक्ति चाहते हैं इसकी ही प्रथम तो स्पष्टता कर लेनी चाहिये । वह चाह कितनी स्थिर है यह भी देखना चाहिये । यह चाह कितनी उचित है इसका भी विवेक होना चाहिये । इसके बाद मुक्ति की चाह पूर्ण कैसे होगी उसका विचार होगा और उसे प्राप्त करने हेतु प्रयास भी होगा ।
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१०६, एक धार्मिक सदा मोक्ष चाहता है । मोक्ष का अर्थ है मुक्ति । हम किन किन बातों से मुक्ति चाहते हैं इसकी ही प्रथम तो स्पष्टता कर लेनी चाहिये । वह चाह कितनी स्थिर है यह भी देखना चाहिये । यह चाह कितनी उचित है इसका भी विवेक होना चाहिये । इसके बाद मुक्ति की चाह पूर्ण कैसे होगी उसका विचार होगा और उसे प्राप्त करने हेतु प्रयास भी होगा ।
    
=== कौशलविकास ===
 
=== कौशलविकास ===

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