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== सामाजिक घटकों के स्तर और धर्माचरण का अनुपालन ==
 
== सामाजिक घटकों के स्तर और धर्माचरण का अनुपालन ==
 
# धर्म की समझ रखने वाला और धर्माचरण करने वाला वर्ग : इसे शिक्षा के माध्यम से बनाया जाता है।
 
# धर्म की समझ रखने वाला और धर्माचरण करने वाला वर्ग : इसे शिक्षा के माध्यम से बनाया जाता है।
# धर्म को केवल समझने वाला लेकिन प्रत्यक्ष धर्माचरण में त्रुटियाँ होतीं हैं ऐसा वर्ग : ऐसे लोगों को ज्येष्ठ / श्रेष्ठ लोग या शासन के माध्यम से ठीक किया जा सकता है।
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# धर्म को केवल समझने वाला लेकिन प्रत्यक्ष धर्माचरण में त्रुटियाँ होतीं हैं ऐसा वर्ग : ऐसे लोगोंं को ज्येष्ठ / श्रेष्ठ लोग या शासन के माध्यम से ठीक किया जा सकता है।
# धर्म को न समझने वाला लेकिन धर्म की अच्छी समझ किसे है यह समझने वाला और उसका अनुसरण करनेवाला : सामान्यत: लोग ऐसे होते हैं। यह शिक्षा की श्रेष्ठता है कि ऐसे लोगों के मन बुद्धि के नियंत्रण में और और बुद्धि धर्माचरणी श्रेष्ठ लोगों के अनुसरण की रहे। आदेश से भी इनसे धर्माचरण करवाया जा सकता है। इस दृष्टि से आज्ञाकारिता का गुण बहुत महत्वपूर्ण है। कहा गया है{{Citation needed}}:
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# धर्म को न समझने वाला लेकिन धर्म की अच्छी समझ किसे है यह समझने वाला और उसका अनुसरण करनेवाला : सामान्यत: लोग ऐसे होते हैं। यह शिक्षा की श्रेष्ठता है कि ऐसे लोगोंं के मन बुद्धि के नियंत्रण में और और बुद्धि धर्माचरणी श्रेष्ठ लोगोंं के अनुसरण की रहे। आदेश से भी इनसे धर्माचरण करवाया जा सकता है। इस दृष्टि से आज्ञाकारिता का गुण बहुत महत्वपूर्ण है। कहा गया है{{Citation needed}}:
 
<blockquote>तर्कोंऽप्रतिष्ठित: श्रुतयोर्विभिन्न: नैको ऋषिर्यस्य मतं प्रमाणं ।</blockquote><blockquote>धर्मस्य तत्वं निहितं गुहाय महाजनों येन गत: स पंथ: ।।</blockquote><blockquote>अर्थ : जहाँ मेरा तर्क काम नहीं करता, श्रुतियों के अर्थघटन में भी मुझे भिन्न मार्गदर्शन मिलता है, ऋषियों द्वारा भी जो कहा गया है उसमें मुझे भिन्नता दिखाई देती है तब मैंने जो महाजन हैं, जो धर्म को जानकर और धर्म के अनुसार व्यवहार करने वाले हैं, ऐसा प्रसिद्ध है, उनका अनुसरण करना चाहिए।</blockquote>
 
<blockquote>तर्कोंऽप्रतिष्ठित: श्रुतयोर्विभिन्न: नैको ऋषिर्यस्य मतं प्रमाणं ।</blockquote><blockquote>धर्मस्य तत्वं निहितं गुहाय महाजनों येन गत: स पंथ: ।।</blockquote><blockquote>अर्थ : जहाँ मेरा तर्क काम नहीं करता, श्रुतियों के अर्थघटन में भी मुझे भिन्न मार्गदर्शन मिलता है, ऋषियों द्वारा भी जो कहा गया है उसमें मुझे भिन्नता दिखाई देती है तब मैंने जो महाजन हैं, जो धर्म को जानकर और धर्म के अनुसार व्यवहार करने वाले हैं, ऐसा प्रसिद्ध है, उनका अनुसरण करना चाहिए।</blockquote>
 
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