५३. शिक्षा योजना के अभाव में आज एक भी संगठन वर्तमान शिक्षा का पूर्ण विकल्प देने में सक्षम नहीं है। शक्ति है परन्तु ज्ञान नहीं है इस कारण से क्रियाशक्ति का अपव्यय होता है और इच्छाशक्ति दुर्बल हो जाती है । इस स्थिति में भारतयी शिक्षा अथवा भारत देश उनसे क्या अपेक्षा कर सकता है ? अनुकूलता और जनसमर्थन होने पर भी समर्थ व्यक्ति, संस्था या संगठन यदि कुछ करता नहीं है तो शिक्षा का अथवा प्रजा का पालक और कौन हो सकता है ? बलवान रक्षा नहीं करता तो दीन और दुर्बल क्या करेंगे ? मातापिता यदि पालनपोषण नहीं करते तो बच्चे क्या करेंगे ? शासक यदि व्यवस्था नहीं बनाता तो प्रजा किससे क्या माँगे ? विद्वान यदि शिक्षा का दायित्व नहीं लेते तो समाज किससे अपेक्षा करेगा ? संगठन यदि विद्वानों को अपने साथ नहीं जोडे तो विद्वान क्या करेंगे ? विद्वान यदि स्वयं संगठित नहीं होते और कार्यशक्ति नहीं प्राप्त करते तो शिक्षा किसका शरण लेगी ? इस देश को अआज्ञानियों और अनाडियों का देश बनाने का पाप किसको लगेगा ? यह पाप न लगे इसकी सावधानी रखने का किस का क्या दायित्व है ? | ५३. शिक्षा योजना के अभाव में आज एक भी संगठन वर्तमान शिक्षा का पूर्ण विकल्प देने में सक्षम नहीं है। शक्ति है परन्तु ज्ञान नहीं है इस कारण से क्रियाशक्ति का अपव्यय होता है और इच्छाशक्ति दुर्बल हो जाती है । इस स्थिति में भारतयी शिक्षा अथवा भारत देश उनसे क्या अपेक्षा कर सकता है ? अनुकूलता और जनसमर्थन होने पर भी समर्थ व्यक्ति, संस्था या संगठन यदि कुछ करता नहीं है तो शिक्षा का अथवा प्रजा का पालक और कौन हो सकता है ? बलवान रक्षा नहीं करता तो दीन और दुर्बल क्या करेंगे ? मातापिता यदि पालनपोषण नहीं करते तो बच्चे क्या करेंगे ? शासक यदि व्यवस्था नहीं बनाता तो प्रजा किससे क्या माँगे ? विद्वान यदि शिक्षा का दायित्व नहीं लेते तो समाज किससे अपेक्षा करेगा ? संगठन यदि विद्वानों को अपने साथ नहीं जोडे तो विद्वान क्या करेंगे ? विद्वान यदि स्वयं संगठित नहीं होते और कार्यशक्ति नहीं प्राप्त करते तो शिक्षा किसका शरण लेगी ? इस देश को अआज्ञानियों और अनाडियों का देश बनाने का पाप किसको लगेगा ? यह पाप न लगे इसकी सावधानी रखने का किस का क्या दायित्व है ? |