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सभा में आते ही वह फरियादी गिड़गिड़ाने लगा, बोला महाराज मेरे साथ अन्याय हुआ है, कृपया मुझे न्याय दिलाइये महाराज। फरियादी की बात सुनकर महाराज ने कहा ठीक है आपको न्याय अवश्य मिलेगा, आपका नाम क्या है? और किसने आपके साथ अन्याय किया बताइए । फरियादी ने कहा मेरे मालिक ने मुझे धोखा दिया हैं, मेरे साथ अन्याय किया है । महाराज ने कहाँ पूरी बात बताइए कुछ समझ नहीं आ रहा है ।  
 
सभा में आते ही वह फरियादी गिड़गिड़ाने लगा, बोला महाराज मेरे साथ अन्याय हुआ है, कृपया मुझे न्याय दिलाइये महाराज। फरियादी की बात सुनकर महाराज ने कहा ठीक है आपको न्याय अवश्य मिलेगा, आपका नाम क्या है? और किसने आपके साथ अन्याय किया बताइए । फरियादी ने कहा मेरे मालिक ने मुझे धोखा दिया हैं, मेरे साथ अन्याय किया है । महाराज ने कहाँ पूरी बात बताइए कुछ समझ नहीं आ रहा है ।  
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फरियादी बोला - जी महाराज ! मैं और मेरे मालिक एक दिन बहुत ही आवश्यक काम से पास के नगर में गए थे, लौटते समय हम थक गए थे और धूप भी बहुत अधिक थी, इसलिए एक मंदिर की छाँव में विश्रांति के लिए बैठ गए। हम जब वहां विश्रांति कर रहे थे तो मेरी नजर वहाँ रखी एक लाल पोटली पर पड़ी । मैंंने पोटली उठाकर खोली तो मैं आश्चर्य से देखता रह गया, उस पोटली में मटर के दाने जैसे चार हीरे थे । मैंंने मालिक को कहा मालिक किसी का हीरा यहाँ पड़ा है इसे राज्यकोश में जमा करा देते है। मालिक ने शांत रहने का इशारा करते हुए कहा की हमे किसी ने देखा नहीं है हम इसे ले चलते है आपस में बाँट लेंगे दो हीरे तुम ले लेना, दो हीरे मैंं रख लूँगा। मेरे मन में भी लालच आ गया इसलिए मैंंने हाँ कर दी और मुझे नौकरी का भी डर था मालिक के सामने नौकर की क्या चलती । परन्तु घर आने के बाद जब मैंंने अपना हिस्सा माँगा तो उन्होंने मना कर दिया ।
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फरियादी बोला - जी महाराज ! मैं और मेरे मालिक एक दिन बहुत ही आवश्यक काम से पास के नगर में गए थे, लौटते समय हम थक गए थे और धूप भी बहुत अधिक थी, अतः एक मंदिर की छाँव में विश्रांति के लिए बैठ गए। हम जब वहां विश्रांति कर रहे थे तो मेरी नजर वहाँ रखी एक लाल पोटली पर पड़ी । मैंंने पोटली उठाकर खोली तो मैं आश्चर्य से देखता रह गया, उस पोटली में मटर के दाने जैसे चार हीरे थे । मैंंने मालिक को कहा मालिक किसी का हीरा यहाँ पड़ा है इसे राज्यकोश में जमा करा देते है। मालिक ने शांत रहने का इशारा करते हुए कहा की हमे किसी ने देखा नहीं है हम इसे ले चलते है आपस में बाँट लेंगे दो हीरे तुम ले लेना, दो हीरे मैंं रख लूँगा। मेरे मन में भी लालच आ गया अतः मैंंने हाँ कर दी और मुझे नौकरी का भी डर था मालिक के सामने नौकर की क्या चलती । परन्तु घर आने के बाद जब मैंंने अपना हिस्सा माँगा तो उन्होंने मना कर दिया ।
    
अब आप ही न्याय कीजिये महाराज । महाराज ने तत्काल सैनिको को भेजकर मालिक को उपस्थित करने का आदेश दिया । सैनिको ने तुरंत मालिक को बुलाकर महाराज के सामने उपस्थित किया । महाराज ने मालिक से पूछा की तुम्हे मंदिर से हीरा मिला था, तुमने इसका हिस्सा इसे क्यों नही दिया ? मालिक ने जवाब दिया कि महाराज यह झूठ बोल रहा है मैंंने इसे इसका हिस्सा दे दिया आप चाहे तो मेरे घर के तीन नौकरों से पूछ सकते है, मैंंने उनके सामने इसे हीरे दिए थे । अब यह मुझे फ़साने का प्रयास कर रहा है आप ही न्याय कीजिये । महाराज ने तुरंत उन तीनो नौकरों को बुलवाया और उनसे महाराज ने पूछा कि क्या मालिक ने इसे हीरे दिए थे ? तीनो नौकरों ने कहा जी महाराज मालिक ने इसे हीरे दिए थे ।  
 
अब आप ही न्याय कीजिये महाराज । महाराज ने तत्काल सैनिको को भेजकर मालिक को उपस्थित करने का आदेश दिया । सैनिको ने तुरंत मालिक को बुलाकर महाराज के सामने उपस्थित किया । महाराज ने मालिक से पूछा की तुम्हे मंदिर से हीरा मिला था, तुमने इसका हिस्सा इसे क्यों नही दिया ? मालिक ने जवाब दिया कि महाराज यह झूठ बोल रहा है मैंंने इसे इसका हिस्सा दे दिया आप चाहे तो मेरे घर के तीन नौकरों से पूछ सकते है, मैंंने उनके सामने इसे हीरे दिए थे । अब यह मुझे फ़साने का प्रयास कर रहा है आप ही न्याय कीजिये । महाराज ने तुरंत उन तीनो नौकरों को बुलवाया और उनसे महाराज ने पूछा कि क्या मालिक ने इसे हीरे दिए थे ? तीनो नौकरों ने कहा जी महाराज मालिक ने इसे हीरे दिए थे ।  

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