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एक दिन राजा कृष्णादेवराय जी सभा में बैठ कर अपने सभी सभाियों एवं मंत्रिगणों से विचार विमर्श कर रहे थे । राज्य की सभी समस्याओं एवं राज्य के विकास पर चर्चा चल रही थी । सभा का प्रहरी आकर महाराज से कहता है कि महाराज द्वार पर एक फरियादी आया है और वह आपसे मिलने की प्रार्थना कर रहा है। महाराज ने प्रहरी से उस व्यक्ति को अन्दर भेजने की आज्ञा दी ।  
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एक दिन राजा कृष्णादेवराय जी सभा में बैठ कर अपने सभी सभासदों एवं मंत्रिगणों से विचार विमर्श कर रहे थे । राज्य की सभी समस्याओं एवं राज्य के विकास पर चर्चा चल रही थी । सभा का प्रहरी आकर महाराज से कहता है कि महाराज द्वार पर एक फरियादी आया है और वह आपसे मिलने की प्रार्थना कर रहा है। महाराज ने प्रहरी से उस व्यक्ति को अन्दर भेजने की आज्ञा दी ।  
    
सभा में आते ही वह फरियादी गिड़गिड़ाने लगा, बोला महाराज मेरे साथ अन्याय हुआ है, कृपया मुझे न्याय दिलाइये महाराज। फरियादी की बात सुनकर महाराज ने कहा ठीक है आपको न्याय अवश्य मिलेगा, आपका नाम क्या है? और किसने आपके साथ अन्याय किया बताइए । फरियादी ने कहा मेरे मालिक ने मुझे धोखा दिया हैं, मेरे साथ अन्याय किया है । महाराज ने कहाँ पूरी बात बताइए कुछ समझ नहीं आ रहा है ।  
 
सभा में आते ही वह फरियादी गिड़गिड़ाने लगा, बोला महाराज मेरे साथ अन्याय हुआ है, कृपया मुझे न्याय दिलाइये महाराज। फरियादी की बात सुनकर महाराज ने कहा ठीक है आपको न्याय अवश्य मिलेगा, आपका नाम क्या है? और किसने आपके साथ अन्याय किया बताइए । फरियादी ने कहा मेरे मालिक ने मुझे धोखा दिया हैं, मेरे साथ अन्याय किया है । महाराज ने कहाँ पूरी बात बताइए कुछ समझ नहीं आ रहा है ।  

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