अब राष्ट्र की बात करना संकुचितता मानी जाती है। शिक्षा में पूर्व प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा तक वैश्विक स्तर के संस्थान खुल गये हैं। बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ व्यापार कर रही हैं। भौतिक पदार्थों से लेकर स्वास्थ्य और शिक्षा तक के लिए वैश्विक स्तर के मानक स्थापित हो गये हैं। लोग नौकरी और व्यवसाय के लिए एक देश से दूसरे देश में आवनजावन सरलता से करते हैं। अब विश्वभाषा, विश्वसंस्कृति, विश्वनागरिकता की बात हो रही है। | अब राष्ट्र की बात करना संकुचितता मानी जाती है। शिक्षा में पूर्व प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा तक वैश्विक स्तर के संस्थान खुल गये हैं। बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ व्यापार कर रही हैं। भौतिक पदार्थों से लेकर स्वास्थ्य और शिक्षा तक के लिए वैश्विक स्तर के मानक स्थापित हो गये हैं। लोग नौकरी और व्यवसाय के लिए एक देश से दूसरे देश में आवनजावन सरलता से करते हैं। अब विश्वभाषा, विश्वसंस्कृति, विश्वनागरिकता की बात हो रही है। |