'''शिक्षक''' : मैं आपकी कठिनाई समझता हूँ परन्तु साहस करने की आवश्यकता भी देखता हूँ। मैं देखता हूँ कि स्पष्टता के अभाव में हम कई प्रश्न सुलझाने का प्रयास ही नहीं कर रहे हैं। भारत में शिक्षा धार्मिक होनी चाहिये ऐसा सूत्र प्रस्तुत करना और उस पर चर्चा आमन्त्रित करना तो प्रारम्भ है । इसमें हमें संकोच क्यों करना चाहिये ? धर्म, अध्यात्म, राष्ट्र आदि संकल्पनाओं को हम जितना जल्दी ठीक करें उतना अच्छा है । 'धार्मिक शिक्षा' कोई संविधान के विरोध की बात तो है नहीं। अतः मेरा आग्रह है कि हम अपनी बात दृढतापूर्वक रखें । स्वाधीनता प्राप्ति के बाद बहुत समय बीत चुका है। हम उल्टी दिशा में ही जा रहे हैं । देशवासियों में इसका भान जगे ऐसा प्रयास सरकार को भी करना चाहिये । प्रशासन में तो अब उच्चशिक्षित लोग होते हैं। वे यद्यपि उल्टा पढे हैं परन्तु उल्टा क्या और सीधा क्या इतना समझने की बुद्धि उनमें अवश्य है। सरकार संकल्प करे और प्रजा उस संकल्प को अपना ले तो काम शुरू हो सकता है। हमारे जैसे शैक्षिक संगठन सक्रिय होंगे तो कार्य को गति भी मिल सकती है। | '''शिक्षक''' : मैं आपकी कठिनाई समझता हूँ परन्तु साहस करने की आवश्यकता भी देखता हूँ। मैं देखता हूँ कि स्पष्टता के अभाव में हम कई प्रश्न सुलझाने का प्रयास ही नहीं कर रहे हैं। भारत में शिक्षा धार्मिक होनी चाहिये ऐसा सूत्र प्रस्तुत करना और उस पर चर्चा आमन्त्रित करना तो प्रारम्भ है । इसमें हमें संकोच क्यों करना चाहिये ? धर्म, अध्यात्म, राष्ट्र आदि संकल्पनाओं को हम जितना जल्दी ठीक करें उतना अच्छा है । 'धार्मिक शिक्षा' कोई संविधान के विरोध की बात तो है नहीं। अतः मेरा आग्रह है कि हम अपनी बात दृढतापूर्वक रखें । स्वाधीनता प्राप्ति के बाद बहुत समय बीत चुका है। हम उल्टी दिशा में ही जा रहे हैं । देशवासियों में इसका भान जगे ऐसा प्रयास सरकार को भी करना चाहिये । प्रशासन में तो अब उच्चशिक्षित लोग होते हैं। वे यद्यपि उल्टा पढे हैं परन्तु उल्टा क्या और सीधा क्या इतना समझने की बुद्धि उनमें अवश्य है। सरकार संकल्प करे और प्रजा उस संकल्प को अपना ले तो काम शुरू हो सकता है। हमारे जैसे शैक्षिक संगठन सक्रिय होंगे तो कार्य को गति भी मिल सकती है। |