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# प्रथम चरण है रेखा खींचना। छात्र अंगुली से, पेन्सिल से या पेन से जमीन पर, स्लेट पर, दीवार पर, या कागज पर टेढ़ीमेढ़ी रेखायें खींचता है। उसका वह क्रियाकलाप तो बहुत पहले से ही शुरू हो जाता है परन्तु उसकी पेन पकड़ने की पद्धति सही नहीं होती है। इसलिए उसे सही तरह से पेन पकड़ना सिखाएँ। सही तरीके से पेन पकड़ने से उसकी लकीरें भी ठीक बनेंगी।
 
# प्रथम चरण है रेखा खींचना। छात्र अंगुली से, पेन्सिल से या पेन से जमीन पर, स्लेट पर, दीवार पर, या कागज पर टेढ़ीमेढ़ी रेखायें खींचता है। उसका वह क्रियाकलाप तो बहुत पहले से ही शुरू हो जाता है परन्तु उसकी पेन पकड़ने की पद्धति सही नहीं होती है। इसलिए उसे सही तरह से पेन पकड़ना सिखाएँ। सही तरीके से पेन पकड़ने से उसकी लकीरें भी ठीक बनेंगी।
 
# आड़ीटेढ़ी रेखा, रेखा नहीं है। रेखा अर्थात् दो निश्चित बिन्दुओं को जोड़ना। ऐसी रेखा खींचने के लिए सर्वप्रथम किसी भी प्रकार के माप के बिना हाथ से ही रेखा खींचने के लिए कहना चाहिए। आड़ी-टेढ़ी रेखा एवं रेखा के बीच का अंतर मस्तिष्क में बैठने तक मुक्त रूप से रेखाएँ खिंचवाना चाहिए। इसके लिए कल्पना के अनुसार भिन्न-भिन्न वस्तुओं के आकार बनाने के लिए कह सकते हैं। ये रेखाएँ स्वाभाविक रूप से ही घुमावदार होंगी। गोल, अर्धगोल, लंबगोल, आम का आकार, बेलन का आकार आदि विविध प्रकार से टेढ़ी रेखाएँ खींचने का अभ्यास हो यह आवश्यक है। इन आकारों में माप नहीं होगा परंतु धीरे धीरे उन्हें अनुपात की ओर ले जाएँ। पेन तथा हाथ की हलचल पर नियंत्रण रहे इसलिए मुक्त एवं नियंत्रित क्रियाएँ करवाएँ।  
 
# आड़ीटेढ़ी रेखा, रेखा नहीं है। रेखा अर्थात् दो निश्चित बिन्दुओं को जोड़ना। ऐसी रेखा खींचने के लिए सर्वप्रथम किसी भी प्रकार के माप के बिना हाथ से ही रेखा खींचने के लिए कहना चाहिए। आड़ी-टेढ़ी रेखा एवं रेखा के बीच का अंतर मस्तिष्क में बैठने तक मुक्त रूप से रेखाएँ खिंचवाना चाहिए। इसके लिए कल्पना के अनुसार भिन्न-भिन्न वस्तुओं के आकार बनाने के लिए कह सकते हैं। ये रेखाएँ स्वाभाविक रूप से ही घुमावदार होंगी। गोल, अर्धगोल, लंबगोल, आम का आकार, बेलन का आकार आदि विविध प्रकार से टेढ़ी रेखाएँ खींचने का अभ्यास हो यह आवश्यक है। इन आकारों में माप नहीं होगा परंतु धीरे धीरे उन्हें अनुपात की ओर ले जाएँ। पेन तथा हाथ की हलचल पर नियंत्रण रहे इसलिए मुक्त एवं नियंत्रित क्रियाएँ करवाएँ।  
# इसके बाद बारी आती है सीधी रेखा की। सीधी रेखा खींचने के लिए हाथ की हलचल पर अधिक नियंत्रण एवं अधिक एकाग्रता की जरूरत होती है। इसमें सहायता के लिए उन्हें बिन्दु निश्चित करके दें। ये बिन्दु एकदूसरे से बहुत दूर नहीं होने चाहिए। प्रथम उनसे सीधी रेखा खींचवानी चाहिये। ये रेखाएँ इतने प्रकार से खिंचवाएँ :
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# इसके बाद बारी आती है सीधी रेखा की। सीधी रेखा खींचने के लिए हाथ की हलचल पर अधिक नियंत्रण एवं अधिक एकाग्रता की आवश्यकता होती है। इसमें सहायता के लिए उन्हें बिन्दु निश्चित करके दें। ये बिन्दु एकदूसरे से बहुत दूर नहीं होने चाहिए। प्रथम उनसे सीधी रेखा खींचवानी चाहिये। ये रेखाएँ इतने प्रकार से खिंचवाएँ :
 
## आड़ी रेखा - बाई ओर से दाहिनी ओर जानेवाली   
 
## आड़ी रेखा - बाई ओर से दाहिनी ओर जानेवाली   
 
## खड़ी रेखा – उपर से नीचे की ओर जानेवाली ।
 
## खड़ी रेखा – उपर से नीचे की ओर जानेवाली ।
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# पिरोना: सुईं में धागा पिरोना, धागे में मोती पिरोना, सुई-धागे से फूल पिरोकर माला बनाना। यह बहुत सरल प्रक्रिया है। केवल सुई बहुत नोकदार न लें एवं थोड़ी बड़ी लें, जिससे सुई में धागा पिरोना आसान हो सके। इसी तरह मोती भी हाथ से आसानी से पकड़े जा सकें ऐसे आकार के ही चुनें। सुईधागे में फूल पिरोना हो तो सुई नोकदार एवं पतली होनी चाहिए एवं धागा भी पतला लेना चाहिए।
 
# पिरोना: सुईं में धागा पिरोना, धागे में मोती पिरोना, सुई-धागे से फूल पिरोकर माला बनाना। यह बहुत सरल प्रक्रिया है। केवल सुई बहुत नोकदार न लें एवं थोड़ी बड़ी लें, जिससे सुई में धागा पिरोना आसान हो सके। इसी तरह मोती भी हाथ से आसानी से पकड़े जा सकें ऐसे आकार के ही चुनें। सुईधागे में फूल पिरोना हो तो सुई नोकदार एवं पतली होनी चाहिए एवं धागा भी पतला लेना चाहिए।
 
# कढ़ाई करना: कढ़ाई करना अर्थात् काढ़ना। दैनिक उपयोग की चीजों को अपनी कला कारीगरी से कैसे सुंदर बनाएँ इसका प्रत्यक्ष अनुभव करने के लिए कढ़ाई बहुत उपयोगी क्रियाकलाप है। यह कार्य आसान बनाने के लिए सुई भोथरी एवं बड़ी, कुछ मोटा धागा एवं टाट जैसे छिद्रोंवाला कपड़ा लेना चाहिए। अभ्यास करते करते समान नाप के टांके एवं ऐसे टांके लेने के लिए कितने छिद्रों की गिनती करनी पडेगी इसकी समझ, रंगों का संयोजन आदि मन में सही बैठते जाएँगे। यह क्रियाकलाप कक्षा २ में करवा सकते हैं।
 
# कढ़ाई करना: कढ़ाई करना अर्थात् काढ़ना। दैनिक उपयोग की चीजों को अपनी कला कारीगरी से कैसे सुंदर बनाएँ इसका प्रत्यक्ष अनुभव करने के लिए कढ़ाई बहुत उपयोगी क्रियाकलाप है। यह कार्य आसान बनाने के लिए सुई भोथरी एवं बड़ी, कुछ मोटा धागा एवं टाट जैसे छिद्रोंवाला कपड़ा लेना चाहिए। अभ्यास करते करते समान नाप के टांके एवं ऐसे टांके लेने के लिए कितने छिद्रों की गिनती करनी पडेगी इसकी समझ, रंगों का संयोजन आदि मन में सही बैठते जाएँगे। यह क्रियाकलाप कक्षा २ में करवा सकते हैं।
# गूंथना: इसका प्रथम चरण है मोटे धागे में गाँठे लगाना। सादी गाँठें लगाने में अधिक समय देने की जरूरत है। मोटे धागे को गाँठ लगाकर उसे खोलना भी सिखाना चाहिए। सादी गाँठ लगाना सीखने के बाद चोटी गूंथना सिखाना चाहिए। मोटी सुतली या मोटे मोटे तीन धागे लेकर चोटी गूंथना सिखाएँ। ऐसी गूंथी हुई लड़ियों की सहायता से आसन भी बनाया जा सकता है। फूलदानी रखने के लिए छोटी दरी भी बना सकते हैं। मालाएँ लटकाकर सजावट भी कर सकते हैं।  
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# गूंथना: इसका प्रथम चरण है मोटे धागे में गाँठे लगाना। सादी गाँठें लगाने में अधिक समय देने की आवश्यकता है। मोटे धागे को गाँठ लगाकर उसे खोलना भी सिखाना चाहिए। सादी गाँठ लगाना सीखने के बाद चोटी गूंथना सिखाना चाहिए। मोटी सुतली या मोटे मोटे तीन धागे लेकर चोटी गूंथना सिखाएँ। ऐसी गूंथी हुई लड़ियों की सहायता से आसन भी बनाया जा सकता है। फूलदानी रखने के लिए छोटी दरी भी बना सकते हैं। मालाएँ लटकाकर सजावट भी कर सकते हैं।  
 
# सावधानियाँ
 
# सावधानियाँ
 
## मूल सामग्री अच्छी, समान नाप की एवं पक्के रंगोंवाली लेना चाहिए।
 
## मूल सामग्री अच्छी, समान नाप की एवं पक्के रंगोंवाली लेना चाहिए।
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# रूई में से बीज निकालना आसान काम नहीं है। इसके लिए बीज के आसपास की रूई अलग करके बीज निकाल लेना चाहिए। इसके लिए एक अंगुली एवं अंगूठे का उपयोग करना चाहिए। बीज निकालने के बाद उसका भी अलग संग्रह करना चाहिए।
 
# रूई में से बीज निकालना आसान काम नहीं है। इसके लिए बीज के आसपास की रूई अलग करके बीज निकाल लेना चाहिए। इसके लिए एक अंगुली एवं अंगूठे का उपयोग करना चाहिए। बीज निकालने के बाद उसका भी अलग संग्रह करना चाहिए।
 
# रूई पर कचरा लगा हो तो उसे चुन चुनकर दूर करना चाहिए। इसके बाद रूई को धुनने के लिए उसमें किसी साधन का उपयोग किए बिना केवल अंगुलियों का ही उपयोग करना चाहिए। रूई को धुनना अर्थात् उसमें यदि किसी प्रकार की गाँठ वगैरह हो तो उसे दूर करके रूई को तार या बत्ती बनाने के लायक बनाना।
 
# रूई पर कचरा लगा हो तो उसे चुन चुनकर दूर करना चाहिए। इसके बाद रूई को धुनने के लिए उसमें किसी साधन का उपयोग किए बिना केवल अंगुलियों का ही उपयोग करना चाहिए। रूई को धुनना अर्थात् उसमें यदि किसी प्रकार की गाँठ वगैरह हो तो उसे दूर करके रूई को तार या बत्ती बनाने के लायक बनाना।
# रूई धुनने के बाद रूई के छोटे छोटे पोल लेकर उन्हें लंबी लंबी पूनियों में ढालना सिखाना चाहिए। लंबी पूनियाँ अर्थात् लपेटना नहीं, केवल धुनी हुई रूई को लंबी करके वह टूटे नहीं ऐसी पूनियाँ तैयार करना। इसमें कुशलता प्राप्त करने के लिए धैर्य एवं अभ्यास की जरूरत है।
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# रूई धुनने के बाद रूई के छोटे छोटे पोल लेकर उन्हें लंबी लंबी पूनियों में ढालना सिखाना चाहिए। लंबी पूनियाँ अर्थात् लपेटना नहीं, केवल धुनी हुई रूई को लंबी करके वह टूटे नहीं ऐसी पूनियाँ तैयार करना। इसमें कुशलता प्राप्त करने के लिए धैर्य एवं अभ्यास की आवश्यकता है।
# इसी तरह छोटे छोटे फाहों की एक एक बत्ती बनाना चाहिए। बत्ती बनाना बहुत ही कुशलता का काम है। इस अवस्था में उत्तम प्रकार की बत्ती बनने की अपेक्षा न रखें परंतु बत्ती बनाने में अंगुलियों को सिखाने की जरूरत होती है। यह क्रियाकलाप केवल अंगुलियों को कुशल बनाने के लिए है। बत्ती का उपयोग दीपप्रज्वलन के समय करना चाहिए।  
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# इसी तरह छोटे छोटे फाहों की एक एक बत्ती बनाना चाहिए। बत्ती बनाना बहुत ही कुशलता का काम है। इस अवस्था में उत्तम प्रकार की बत्ती बनने की अपेक्षा न रखें परंतु बत्ती बनाने में अंगुलियों को सिखाने की आवश्यकता होती है। यह क्रियाकलाप केवल अंगुलियों को कुशल बनाने के लिए है। बत्ती का उपयोग दीपप्रज्वलन के समय करना चाहिए।  
 
# सावधानियाँ
 
# सावधानियाँ
 
## बिनौले, बीज या रूई को व्यर्थ नहीं फैंकना चाहिए। बिनौले के छिलकों का ईधन के रूप में एवं बीज का गिनती करने में उपयोग किया जा सकता है।  
 
## बिनौले, बीज या रूई को व्यर्थ नहीं फैंकना चाहिए। बिनौले के छिलकों का ईधन के रूप में एवं बीज का गिनती करने में उपयोग किया जा सकता है।  

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