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== कैसे सिखाएँ ==
 
== कैसे सिखाएँ ==
 
उद्योग सिखाते समय कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना आवश्यक है:
 
उद्योग सिखाते समय कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना आवश्यक है:
# जल्दी न करें: कोई भी कौशल धीरे धीरे सीखा जाता है। हाथ की गति कम हो, साथ ही मानसिक रूप से भी जल्दी न हो, धैर्य न खोएँ यह जरूरी है। यह गुण प्रथम सिखानेवाले गुरु एवं मातापिता में होना चाहिए। यदि उनमें धैर्य होगा तो छात्रों में अपने आप ही आ जाएगा। जल्दी पूर्ण होने पर अधिक कार्य किया जा सकेगा ऐसा तर्क भी उपयोगी नहीं है।
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# जल्दी न करें: कोई भी कौशल धीरे धीरे सीखा जाता है। हाथ की गति कम हो, साथ ही मानसिक रूप से भी जल्दी न हो, धैर्य न खोएँ यह आवश्यक है। यह गुण प्रथम सिखानेवाले गुरु एवं मातापिता में होना चाहिए। यदि उनमें धैर्य होगा तो छात्रों में अपने आप ही आ जाएगा। जल्दी पूर्ण होने पर अधिक कार्य किया जा सकेगा ऐसा तर्क भी उपयोगी नहीं है।
 
# एक साथ एक ही काम लंबे समय तक न करें: किसी भी काम में महारत हासिल करने के लिए उसका अभ्यास आवश्यक है। अभ्यास अर्थात् पुनरावर्तन। अर्थात् एक ही कार्य बार बार नियमित रूप से करना। इसलिए प्रतिदिन कुछ समय उस कार्य के लिए देना चाहिए।
 
# एक साथ एक ही काम लंबे समय तक न करें: किसी भी काम में महारत हासिल करने के लिए उसका अभ्यास आवश्यक है। अभ्यास अर्थात् पुनरावर्तन। अर्थात् एक ही कार्य बार बार नियमित रूप से करना। इसलिए प्रतिदिन कुछ समय उस कार्य के लिए देना चाहिए।
 
# कार्य की इकाई छोटी एवं एक ही रखें। एक साथ अनेक कार्य न करें इस तरह करने से कार्य में सफाई आती है। कौशल हस्तगत होता है। उस कार्य के प्रति समझ भी स्पष्ट रूप से बढ़ती है।
 
# कार्य की इकाई छोटी एवं एक ही रखें। एक साथ अनेक कार्य न करें इस तरह करने से कार्य में सफाई आती है। कौशल हस्तगत होता है। उस कार्य के प्रति समझ भी स्पष्ट रूप से बढ़ती है।
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=== रेखा खींचना ===
 
=== रेखा खींचना ===
 
# प्रथम चरण है रेखा खींचना। छात्र अंगुली से, पेन्सिल से या पेन से जमीन पर, स्लेट पर, दीवार पर, या कागज पर टेढ़ीमेढ़ी रेखायें खींचता है। उसका वह क्रियाकलाप तो बहुत पहले से ही शुरू हो जाता है परन्तु उसकी पेन पकड़ने की पद्धति सही नहीं होती है। इसलिए उसे सही तरह से पेन पकड़ना सिखाएँ। सही तरीके से पेन पकड़ने से उसकी लकीरें भी ठीक बनेंगी।
 
# प्रथम चरण है रेखा खींचना। छात्र अंगुली से, पेन्सिल से या पेन से जमीन पर, स्लेट पर, दीवार पर, या कागज पर टेढ़ीमेढ़ी रेखायें खींचता है। उसका वह क्रियाकलाप तो बहुत पहले से ही शुरू हो जाता है परन्तु उसकी पेन पकड़ने की पद्धति सही नहीं होती है। इसलिए उसे सही तरह से पेन पकड़ना सिखाएँ। सही तरीके से पेन पकड़ने से उसकी लकीरें भी ठीक बनेंगी।
# आड़ीटेढ़ी रेखा, रेखा नहीं है। रेखा अर्थात् दो निश्चित बिन्दुओं को जोड़ना। ऐसी रेखा खींचने के लिए सर्वप्रथम किसी भी प्रकार के माप के बिना हाथ से ही रेखा खींचने के लिए कहना चाहिए। आड़ी-टेढ़ी रेखा एवं रेखा के बीच का अंतर मस्तिष्क में बैठने तक मुक्त रूप से रेखाएँ खिंचवाना चाहिए। इसके लिए कल्पना के अनुसार भिन्न-भिन्न वस्तुओं के आकार बनाने के लिए कह सकते हैं। ये रेखाएँ स्वाभाविक रूप से ही घुमावदार होंगी। गोल, अर्धगोल, लंबगोल, आम का आकार, बेलन का आकार आदि विविध प्रकार से टेढ़ी रेखाएँ खींचने का अभ्यास हो यह जरूरी है। इन आकारों में माप नहीं होगा परंतु धीरे धीरे उन्हें अनुपात की ओर ले जाएँ। पेन तथा हाथ की हलचल पर नियंत्रण रहे इसलिए मुक्त एवं नियंत्रित क्रियाएँ करवाएँ।  
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# आड़ीटेढ़ी रेखा, रेखा नहीं है। रेखा अर्थात् दो निश्चित बिन्दुओं को जोड़ना। ऐसी रेखा खींचने के लिए सर्वप्रथम किसी भी प्रकार के माप के बिना हाथ से ही रेखा खींचने के लिए कहना चाहिए। आड़ी-टेढ़ी रेखा एवं रेखा के बीच का अंतर मस्तिष्क में बैठने तक मुक्त रूप से रेखाएँ खिंचवाना चाहिए। इसके लिए कल्पना के अनुसार भिन्न-भिन्न वस्तुओं के आकार बनाने के लिए कह सकते हैं। ये रेखाएँ स्वाभाविक रूप से ही घुमावदार होंगी। गोल, अर्धगोल, लंबगोल, आम का आकार, बेलन का आकार आदि विविध प्रकार से टेढ़ी रेखाएँ खींचने का अभ्यास हो यह आवश्यक है। इन आकारों में माप नहीं होगा परंतु धीरे धीरे उन्हें अनुपात की ओर ले जाएँ। पेन तथा हाथ की हलचल पर नियंत्रण रहे इसलिए मुक्त एवं नियंत्रित क्रियाएँ करवाएँ।  
 
# इसके बाद बारी आती है सीधी रेखा की। सीधी रेखा खींचने के लिए हाथ की हलचल पर अधिक नियंत्रण एवं अधिक एकाग्रता की जरूरत होती है। इसमें सहायता के लिए उन्हें बिन्दु निश्चित करके दें। ये बिन्दु एकदूसरे से बहुत दूर नहीं होने चाहिए। प्रथम उनसे सीधी रेखा खींचवानी चाहिये। ये रेखाएँ इतने प्रकार से खिंचवाएँ :
 
# इसके बाद बारी आती है सीधी रेखा की। सीधी रेखा खींचने के लिए हाथ की हलचल पर अधिक नियंत्रण एवं अधिक एकाग्रता की जरूरत होती है। इसमें सहायता के लिए उन्हें बिन्दु निश्चित करके दें। ये बिन्दु एकदूसरे से बहुत दूर नहीं होने चाहिए। प्रथम उनसे सीधी रेखा खींचवानी चाहिये। ये रेखाएँ इतने प्रकार से खिंचवाएँ :
 
## आड़ी रेखा - बाई ओर से दाहिनी ओर जानेवाली   
 
## आड़ी रेखा - बाई ओर से दाहिनी ओर जानेवाली   
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## आसपास पडे अनावश्यक कागजों पर गोंद गिरने से कागज पर एवं फर्श पर दाग बन जाते हैं। ऐसा न हो इसका ध्यान रखें।
 
## आसपास पडे अनावश्यक कागजों पर गोंद गिरने से कागज पर एवं फर्श पर दाग बन जाते हैं। ऐसा न हो इसका ध्यान रखें।
 
## चिपकाने का कार्य जहाँ किया हो वहाँ कार्य पूर्ण होने पर भीगे कपड़े से पोंछा करना एवं हाथ धोकर पोंछना आवश्यक है। इसी तरह गोंद पोंछने के लिए जिस कपड़े का उपयोग हुआ हो उसे भी धोकर, सुखाकर, तह करके रखना चाहिए। गोंद या लेई जिस पात्र, कटोरी या अन्य साधन में लिया हो उसे भी साफ करके ही रखना चाहिए।
 
## चिपकाने का कार्य जहाँ किया हो वहाँ कार्य पूर्ण होने पर भीगे कपड़े से पोंछा करना एवं हाथ धोकर पोंछना आवश्यक है। इसी तरह गोंद पोंछने के लिए जिस कपड़े का उपयोग हुआ हो उसे भी धोकर, सुखाकर, तह करके रखना चाहिए। गोंद या लेई जिस पात्र, कटोरी या अन्य साधन में लिया हो उसे भी साफ करके ही रखना चाहिए।
## रेखा खींचने के लिए जिस प्रकार सामने चौकी होना जरूरी है उसी तरह चिपकाने के लिए भी चौकी होना आवश्यक है।
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## रेखा खींचने के लिए जिस प्रकार सामने चौकी होना आवश्यक है उसी तरह चिपकाने के लिए भी चौकी होना आवश्यक है।
 
## चिपकाने का कोई न कोई व्यावहारिक प्रयोजन होना चाहिए। उदाहरण के तौर पर चिपकाकर चित्र बनाना, तोरण बनाना, लिफाफे बंद करना, लिफाफे बनाना आदि।
 
## चिपकाने का कोई न कोई व्यावहारिक प्रयोजन होना चाहिए। उदाहरण के तौर पर चिपकाकर चित्र बनाना, तोरण बनाना, लिफाफे बंद करना, लिफाफे बनाना आदि।
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## विद्यालय में खुली जमीन न हो तो गमलों का उपयोग करना चाहिए।
 
## विद्यालय में खुली जमीन न हो तो गमलों का उपयोग करना चाहिए।
 
## पौधों को पानी देने के लिए झारी अवश्य रखें। छात्रों को इसका बहुत आकर्षण होता है।
 
## पौधों को पानी देने के लिए झारी अवश्य रखें। छात्रों को इसका बहुत आकर्षण होता है।
## इसी तरह पत्ते एवं फूल चुनने के लिए छोटी छोटी टोकरियाँ भी जरूरी हैं। इसमें छात्रों को आनंद मिलता है एवं व्यवस्थित काम करने के संस्कार बनते हैं।
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## इसी तरह पत्ते एवं फूल चुनने के लिए छोटी छोटी टोकरियाँ भी आवश्यक हैं। इसमें छात्रों को आनंद मिलता है एवं व्यवस्थित काम करने के संस्कार बनते हैं।
 
## बगीचे में या खेतों में काम करते समय गणवेश निकालकर दूसरे वस्त्र पहनकर काम करें।
 
## बगीचे में या खेतों में काम करते समय गणवेश निकालकर दूसरे वस्त्र पहनकर काम करें।
  

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